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बैगा आदिवासी का फर्जी एनकाऊंटर के मुद्दे को लोकसभा में उठाऊंगा और सीबीआई जांच की मांग करूंगा

बैगा आदिवासी का फर्जी एनकाऊंटर के मुद्दे को लोकसभा में उठाऊंगा और सीबीआई जांच की मांग करूंगा

राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा आदिवासी को नक्सली बताकर हत्या करना राष्ट्र के लिये शर्मनाक 

राजकुमार रौत सांसद ने पीड़ित परिवार से मिलकर न्याय दिलाने की बात कहीं 

जिम्मेदार अधिकारियों का निलंबन कर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाये

सिवनी/मण्डला। गोंडवाना समय। 

छोटी छोटी घटनाओं व मामलों पर सरकार संज्ञान लेती है लेकिन आदिवासियों के मामले में सरकार व राष्ट्रीय मीडिया खामोश रहता है। मण्डला जिले में बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते की फर्जी एनकाऊंटर में हुई मृत्यू की घटना सिर्फ मण्डला या मध्यप्रदेश के लिये ही नहीं पूरे देश के लिये शर्मनाक है।
             


मृतक हिरन सिंह बैगा के पीड़ित परिवारजनों को संवेदना व्यक्त करते हुये व दु:ख जताते हुये भारत आदिवासी पार्टी के सांसद श्री राजकुमार रौत ने कहा कि बैगा जनजाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा मिला है। बैगा जनजाति विलुप्त होती जा रही है इसलिये इसे संरक्षित जनजाति 9 अगस्त 2012 को घोषित किया गया है। 

सरकार तो आदिवासी को इंसान की बराबरी का दर्जा भी नहीं देना चाहती है 


मध्यप्रदेश के मण्डला जिले के बैगा समुदाय जो कि धरती के मूल मालिक है जिन्हें 9 अगस्त 2012 को मिला है। देश में आदिवासी को नक्सली बताकर मारा जा रहा है, ये मण्डला ही नहीं मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे राष्ट्र के लिये शर्मसार करने वाली घटना है। सांसद राजकुमार रौत ने कहा कि जैसे ही मुझे घटना की जानकारी मिली मैं सीधे दिल्ली से यहां पर आया हूं।
                

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मुआवजा राशि की घोषणा किया जाना ही भेदभाव को दर्शाता है। आदिवासी की हत्या पर सिर्फ 10 लाख मुआवजा वहीं मऊगंज में हुई हत्या के मामले में 1 करोड़ का मुआवजा दिया जाता है। यह भेदभाव सरकार के द्वारा आदिवासियों के साथ किया जा रहा है।
              

 
घटना दोनो गलत है लेकिन मुआवजा के निर्धारण में भेदभाव क्यों। सरकार तो आदिवासी को इंसान की बराबरी का दर्जा भी नहीं देना चाहती है। जिस तरह से बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते की मृत्यू हुई है ऐसे ही कई निर्दोष लोगों को मार दिया गया है।

अधिकारियों के अलग-अलग बयान ही फर्जी मुठभेड़ का प्रमाण है 


पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के अनुसार व पुलिस व स्थानीय प्रशासन से लेकर उच्च स्तरीय प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा दिये गये अलग अलग बयानों से यह स्पष्ट है कि हिरन सिंह बैगा का फर्जी एनकाऊंटर है। सरकार भी घटना को अंजाम देने वालों को बचाने का प्रयास कर रही है, ऐसी स्थिति में सरकार पर ही सवाल खड़े हो रहे है। क्या सरकार पीड़ित परिवार को न्याय देगी, सरकारे हमेशा अपना फायदा देखती है। वहीं जो घटनाक्रम आदिवासी वर्ग के साथ हुआ है यदि वहीं घटनाक्रम अन्य वर्ग के साथ होता तो पूरे देश में हल्ला मचता। 

2 लोगों को पकड़ना प्रशासन का प्री प्लान 

बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते को मारने में जो अधिकारी लिप्त है, वहीं इसकी जांच कर रहे है। वहीं नक्सली को सहयोग करने के नाम पर दो लोगों को पकड़ा गया है। इससे ऐसा लगता है कि प्रशासन का यह प्री प्लान है कि उन्हें गवाह के रूप में तैयार किया जा रहा है।
            बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते को पहले टार्चर किया गया है, लातो घूंसों, जूतो से मारा गया है। उसके पूरे शरीर पर चोटें आई है, वह मृत हो गया है। इसके बाद प्लान बनाया गया कि इसे नक्सली बताकर फर्जी मुठभेड़ के नाम पर बैगा आदिवासी की हत्या हुई है। 

बैगा समुदाय के हिरन सिंह परते को नक्सली बताकर मार दिया गया 

सांसद राजकुमार रौत ने कहा कि मैं एससी, एसटी, ओबीसी एवं गरीब तबके लिये मैं लड़ता आ रहा हूं। मुझे जैसे ही सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि मध्यप्रदेश के अंदर बैगा समुदाय की हत्या की गई है। बैगा समुदाय तो सीधा साधा व भोला भाला समाज है जो कि जंगलों पर ही निर्भर है।
                बैगा समुदाय के लोग जंगलों से जाकर लकड़ी, गोंद लाकर व जंगल के वनोपज पर ही अपना जीवन यापन करते है। राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त बैगा समुदाय के हिरन सिंह परते को नक्सली बताकर मार दिया गया है। जबकि वह 9 मार्च को अपने घर से निकला था।
                 उक्त घटनाक्रम के बाद उनका परिवार ने उन्हें 3-4 दिन तक ढृूढ़ता रहा। वहीं इस संबंध में पुलिस थाना में रिपोर्ट भी लिखाया गया था। वहीं संबंधित थाना में बीट प्रभारी के पास पूरा डाटा रहता है। इसके बाद भी चार दिनों तक ये व्यक्ति कौन यह थाना को पता नहीं चला। इससे स्पष्ट है कि फर्जी मुठभेड़ है। 

मध्यप्रदेश सरकार हत्या के मामले को दबाने का प्रयास कर रही है 


देश में आदिवासी की आवाज जनप्रतिनिधि भी नहीं उठाते है और न ही नेशनल मीडिया उठाती है। घटना को लेकर संदेह है और स्पष्ट भी है कि फर्जी मुठभेड़ है। राष्ट्र के लिये शर्मनाक है। देश में पशु के नाम पर राजनीति होती है, बंग्लादेश में गलत हुआ उसे राष्ट्रीय मीडिया में स्थान मिलता है।
                लेकिन आदिवासी के साथ होने वाली दर्दनाक घटनाओं को स्थान नहीं मिलता है। मैंने लोकसभा के माध्यम से जानकारी निकलवाया हूं। बीते लगभग 10 वर्षों में ही डेढ़ हजार के आसपास आदिवासियों की हत्या हुई है। वहीं बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते की हत्या का मामले को मध्यप्रदेश सरकार दबाने का प्रयास कर रही है। मैं इस मुद्दे को लोकसभा में उठाऊंगा। 

बिल्ली से दूध की रखवाली की जिम्मेदारी भाजपा सरकार दे रही है 

राजकुमार रौत ने बताया कि लोकसभा सदन के माध्यम से जानकारी निकलवाया हूं। जिसमें पता चला है कि देश के चार पांच राज्यों में नक्सली के नाम पर आदिवासी की हत्या हुई है। वहीं मध्यप्रदेश के मण्डला में बैगा आदिवासी हिरन सिंह परते की हतया के मामले में जांच की कार्यवाही मध्यप्रदेश सरकार उन्हें ही सौंप रही है जो कि हत्या करने के मामले में जो विभाग जिम्मेदार है। बिल्ली से दूध की रखवाली की जिम्मेदारी भाजपा सरकार दे रही है। 

मैं स्वयं गृह मंत्री अमित शाह से मिलुंगा, सीबीआई जांच की मांग करूंगा 

सरकार को स्वीकार कर लेना चाहिये की गलती है पुलिस की है वहीं जिम्मेदार अधिकारियों निलंबित कर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिये। कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिये। इस बात को लेकर हम सड़को से लेकर सदन तक लड़ेंगे। मानवाधिकार संगठन तक इस बात को पहुंचाऊंगा। मैं स्वयं गृह मंत्री अमित शाह से मिलुंगा, सीबीआई जांच से कराये जाने की मांग किया जायेगा।  

बिरसा मुण्डा जी की प्रतिमा पर किया माल्यापर्ण 

फर्जी एनकाऊंटर मामले में मृतक हिरन सिंह परते बैगा आदिवासी पीड़ित परिवार के यहां मण्डला जिले के ग्राम लसरी टोला में मिलने के लिये पहुंचे भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रौत ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया।
        


वहीं लसरी टोला जाते समय रास्ते में क्रांतिसूर्य महामानव बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर माल्यापर्ण भी किया। इस दौरान उनके साथ भारत आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रीतम सिंह उईके, पदाधिकारी इजराईल खान, लालबहादुर सिंह नेटी, सिवनी जिला अध्यक्ष जोगी सरयाम, मण्डला जिला अध्यक्ष खुशयाल सिंह मरकाम सहित अनुपपुर जिला अध्यक्ष ललन सिंह परस्ते, सहित शहडोल, जबलपुर, सिवनी, मण्डला, बालाघाट व अन्य जिलों के पदाधिकारी व कार्यकर्तागण भी मौजूद रहे।



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