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महिला थाना प्रभारी ने आदिवासी युवक कोे गलत धारा लगाकर भिजवाया जेल

महिला थाना प्रभारी ने आदिवासी युवक कोे गलत धारा लगाकर भिजवाया जेल 

सिवनी महिला थाना प्रभारी संदीपिका ठाकुर की कार्यप्रणाली से आदिवासी पहुंचा जेल 

आदिवासियों की जेल में संख्या बढ़ने का कहीं यही कारण तो नहीं है ?


सिवनी। गोंडवाना समय। 

जेल में सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की है, यह चर्चा विधानसभा सत्र, लोकसभा सत्र के दौरान मीडिया की सुर्खियां बनता है। इसके पीछे मूल कारण क्या है इस पर न तो सरकार ध्यान देती है और न ही जनप्रतिनिधि संज्ञान लेते है।
                


यहां तक आदिवासी समाज के सामाजिक संगठनों के द्वारा भी इसमें गंभीरता से चिंतन-मंथन कर सरकार, शासन, प्रशासन की ओर ध्यानाकर्षण भी नहीं कराया जाता है। विपक्ष भी इस मामले में मुख्य मुद्दा नहीं बनाता है हां लेकिन वोट लेने की बारी आती है तो पक्ष और विपक्ष दोनो आदिवासियों का हितेषी जरूर बताते है।                             जेल में आदिवासियों की संख्या अधिक क्यों होती है, कुछेक मामले तो ऐसे भी होते है जिसमें आदिवासियों कोे फंसाया जाता है और उन्हें जेलों सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है। कुछेक मामलों में आदिवासी जेल में होते है लेकिन उनकी जमानत कराने वाला कोई नहीं होता है। 

महिला थाना प्रभारी के विरोध में सड़क में उतरने की चल रही तैयारी 

सिवनी पुलिस प्रशासन में महिला थाना प्रभारी का भी एक मामला प्रकाश में आया है जहां पर गोपाल मरकाम नामक आदिवासी को गलत धारा लगाकर जेल की सलाखों तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई है। इस मामले में महिला थाना प्रभारी के द्वारा की गई गलत कार्यवाही से आदिवासी समाज में जानकारी पहुंचने पर अब महिला थाना प्रभारी के विरोध में सड़क पर उतरने की तैयारी भी चल रही है। हालांकि महिला थाना प्रभारी भी मामले को किसी भी तरह से दबाने का पूरा प्रयास कर रही हैै। 

महिला को पैर में हल्का फेक्चर आया था 

प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला थाना सिवनी में बीते कुछ दिनों पहले एक महिला के द्वारा शिकायत दी गई थी। जिस पर महिला थाना प्रभारी द्वारा रिपोर्ट दर्ज की गई थी जिसमें महिला का पड़ोस में रहने वाले गोपाल मरकाम से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था, जिस पर दोनों में मारपीट हो गई थी। महिला थाना में महिला की रिपोर्ट पर प्रकरण भी कायम किया गया था। जिसके बाद महिला का एक्सरा कराया गया जिसमें महिला को पैर में हल्का फेक्चर आया था। 

गरीब आदिवासी का जीवन संकट में डाल दिया और उसे जेल तक भिजवा दिया 

सूत्र बताते हैं कि उक्त अपराध का आरोपी गोपाल मरकाम पर महिला थाना प्रभारी ने फेक्चर की धारा ना लगाकर अंग भंग करने की गंभीर धारा लगाकर उसे जेल भेज दिया था। महिला थाना प्रभारी सिवनी ने संबंधित आरोपी गोपाल मरकाम पर गलत धारा लगाकर जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया था।
                जिस प्रकरण में लगाई गई धारा में गोपाल मरकाम को महिला थाना प्रभारी ने गिरफ्तार किया था उस धारा में उसका चालान भी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हो पा रहा है क्योंकि जानकार बताते हैं कि जिस धारा का अपराध आरोपी करता है पुलिस उसी अपराध की धारा लगा सकती है। सिवनी महिला थाना प्रभारी ने गलत धारा लगाकर एक गरीब आदिवासी का जीवन संकट में डाल दिया और उसे जेल तक भिजवा दिया।

महिला थाना प्रभारी ऐसा पढ़ाती है पाठ कि पीड़िता शिकायत करने नहीं होती है तैयार 

महिला थाना प्रभारी संदीपिका ठाकुर ने पुलिस थाना में दलाल लगा रखे हैं। उनके इशारे पर ही काम किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि महिलाओं से संबंधी दर्ज अपराध में महिला थाना प्रभारी द्वारा अपराधियों से सांठगांठ कर उन्हें जमानत का लाभ भी दिलाया जाता है।
            बीते 6 मार्च को ही एक आदिवासी युवती का मामला भी महिला पुलिस थाना पहुंचा था। जहां पर आदिवासी युवती अपने परिजनों के साथ एक गैर आदिवासी युवक के द्वारा परेशान करने व जहां पर विवाह तय हुआ था, उस लड़के के यहां फोटो वीडियों भेजकर ब्लैक मेल करने के मामले में कार्यवाही कराने के लिये महिला थाना पहुंची थी।
                महिला थाना पहुंचने के बाद बताया जाता है कि उक्त युवक को भी बुलवाया गया था जहां पर उसका मोबाईल भी जप्त किया गया था। आदिवासी युवती के परिजनों को ही ऐसा क्या पाठ पढ़ाया गया कि वह शिकायत करने के लिये जाने के बाद शिकायत करने से ही मना करने लगे थे। महिला थाना प्रभारी की समझाईश का नतीजा अब आदिवासी युवती के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। महिला थाना सिवनी में पहुंचने वाली महिलाओं, युवतियों, बेटियों को ऐसा ही पाठ महिला थाना सिवनी प्रभारी द्वारा अधिकांशतय: पढ़ाया जाता है। 


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