पटवारी की गलती से निजी भूमि और स्वामित्व भूमि पर दिख रहीं खामियां
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में लापरवाही
फील्ड में जाकर नहीं किया पटवारी ने सहीं भौगोलिक सत्यापन, अब स्वामित्व में विवाद
सिवनी/लखनादौन। गोंडवाना समय।
देश और प्रदेश की महत्वपूर्ण स्वामित्व योजना के प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम की शुरूआत सिवनी जिला मुख्यालय से 18 जनवरी 2025 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की उपस्थिति में हुई। जहां देश के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर के हजारों गांव के लाखों हितग्राहियों को जमीन कार्ड का वितरण कर और योजना के लाभार्थियों से संवाद किया। उसी जिले में यदि लापरवाही से कार्य कर योजना को नुकसान पहुंचा कर ईमानदारी से कार्य ना किया गया हो तो सरकार की योजना के साथ धोखाधड़ी करना नहीं है तो क्या है.....?
कानूनी संपत्ति कार्ड मलिकाना दस्तावेज प्रदान किए जाते हैं
ग्रामीण भारत को संपत्ति के स्वामित्व के माध्यम से सशक्त बनाने स्वामित्व योजना का निर्माण भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा किया गया है। स्वामित्व योजना गांव का सर्वेक्षण कर और सुधारित तकनीक से नक्शा बनाना ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र में संपत्ति के स्पष्ट स्वामित्व की स्थापना की दिशा में एक सुधारात्मक कदम है। इस योजना के तहत ड्रोन कैमरा तकनीक का उपयोग करके भूमि के टुकड़ों का नक्शा बनाया जाता है और गांव के घरों के मालिकों को स्वामित्व अधिकार के साथ कानूनी संपत्ति कार्ड मलिकाना दस्तावेज प्रदान किए जाते हैं।
संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने का उद्देश्य है
स्वामित्व योजना का उद्देश्य भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि अभिलेख का निर्माण और संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने का उद्देश्य है। ग्रामीण भारत में नागरिकों को रिण और अन्य वित्तीय लाभ लेने के लिए वित्तीय संपत्ति के रूप में अपनी संपत्ति का उपयोग करने में सक्षम बनाकर वित्तीय स्थिरता लाने के लिए सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे राज्य के राजकोष में वृद्धि होगी।
राहूल राजपूत पटवारी की लापरवाही से योजना बनी विवादित
जहां भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना को लापरवाही की भेंट चढ़ाने सिवनी जिले की लखनादौन तहसील में पदस्थ राजस्व विभाग के होनहार और अधिकारियों के चहेते धूमा पटवारी राहुल राजपूत योजना को विफल करने कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। जहां एक ओर सरकार की इस महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना है।तो वहीं धूमा पटवारी राहुल राजपूत के द्वारा महत्वपूर्ण योजना को हल्के में लेकर लापरवाही बरती जा रहीं और अधिकारियों को भी गलत जानकारी देकर विश्वास में लेकर स्वामित्व योजना के ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) मैप नक्शे का कार्य बिना फील्ड में और मौके में ना जाकर प्राईवेट लोगों के साथ घर बैठे तैयार कर अधिकारियों को भ्रम में रखकर त्रुटिपूर्ण ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) नक्शे तैयार कर सर्वे आफ इंडिया कार्यालय जबलपुर में जमा कर दिया गया।
त्रुटिपूर्ण ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) नक्शे के आयेगी परेशानी
उन्ही त्रुटिपूर्ण ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) नक्शे के आधार पर सर्वे आफ इंडिया कार्यालय से फाइनल नक्शे जारी कर दिए गए। जहां पटवारी राहुल राजपूत की गलती और लापरवाही के कारण मौके पर निजी भूमि और आबादी भूमि पर सही मिलान ही नहीं हो रहा है। वहीं राजस्व-अभिलेख खसरा व नक्शा अभिलेखों में जो भूमि निजी भूमि है। वहां आबादी भूमि स्वामित्व के प्लाट नक्शे बन कर आये है और जहां राजस्व-अभिलेख खसरा व नक्शा अभिलेखों में आबादी भूमि हैं। वहां होनहार पटवारी कि लापरवाही से निजी भूमि की आकृति स्वामित्व नक्शा पर बनकर दिखाई दे रही है। पटवारी के द्वारा ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) नक्शा तैयार करने के दौरान लापरवाही बरती गई। क्योंकि पटवारी के द्वारा मौके पर जाकर सही और सटीक भौगोलिक सत्यापन नहीं किया गया है।
त्रुटि पूर्ण करके सर्वे आफ इंडिया के कार्यालय भेजा गया
मौके पर जाकर सही मिलान नहीं करने के कारण गलत ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) तैयार कर तहसील कार्यालय के अधिकारियों को भी गुमराह करते हुए उन्हीं के माध्यम से महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के महत्वपूर्ण कार्य को गलत और त्रुटि पूर्ण करके सर्वे आफ इंडिया के कार्यालय भेजा गया। जहां सर्वे आफ इंडिया कार्यालय से फाइनल नक्शा शीट जारी कर दी गई और सर्वे आॅफ इंडिया से जारी फाइनल नक्शा शीट में ऐसी कई गलतियां नजर आ रही है।
स्वामित्व के नक्शे पर कई निजी खसरे गायब हो गए हैं
जहां स्वामित्व के नक्शे पर कई निजी खसरे गायब हो गए हैं। वह निजी जमीन प्लाट बनकर नक्शे में दिख रही हैं और अब सर्वे आफ इंडिया से प्राप्त फाइनल नक्शा शीट के आधार पर स्वामित्व योजना को रिकॉर्ड आॅफ राईट (आरओआर) यानी की अभिलेख तैयार पूर्ण करने धूमा पटवारी राहुल राजपूत कार्य को मूर्तरूप देने रिकॉर्ड आॅफ राईट(आरओआर) अभिलेख तैयार किये जा रहे हैं।
ड्रोन कैमरा सर्वे के द्वारा ड्राफ्ट मैप तैयार किया जाता है
जबकि किसी भी ग्राम की आबादी भूमि पर सर्वे आफ इंडिया द्वारा ड्रोन कैमरा सर्वे के द्वारा ड्राफ्ट मैप तैयार किया जाता है। जिसे जीटी यानी कि ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) टारगेट के लिए राजस्व विभाग के पास भेजा जाता है। जहां राजस्व विभाग के कर्मचारी यानी कि हल्का पटवारी के द्वारा मौके पर जाकर फील्ड में राजस्व अभिलेख नक्शा से मिलान करते हुए सर्वे आफ इंडिया के ड्राफ्ट मैप से मिलान कर ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) भौगोलिक सत्यापन सावधानी पूर्वक और गंभीरता से तैयार किया जाता है। जिसे पुन: सर्वे आफ इंडिया कार्यालय में संबंधित कर्मचारी और तहसील स्तर के अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद जमा किया जाता है। जहां सर्वे आफ इंडिया कार्यालय से फाइनल मैप तैयार कर रिकॉर्ड आॅफ राइट यानी कि अभिलेख तैयार करने के लिए पुन: पटवारी के पास (आरओआर) रिकॉर्ड आॅफ राईट तैयार करने के लिए भेज दिया जाता है।
सरकार की मंशा पर फेर रहा पानी
भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जिस उद्देश्य से स्वामित्व योजना संचालित की गई हैं कि संपत्ति विवाद ना हो परंतु धूमा पटवारी राहुल राजपूत के साथ-साथ तहसीली अधिकारीयों द्वारा भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के महात्वपूर्ण कार्य को लापरवाही पूर्वक खानापूर्ति करने के नजरिए से गलत व त्रुटिपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। जिससे स्वामित्व योजना का उद्देश्य सरकार की मंशा के ठीक उलट परिणाम सामने आते दिख रहे हैं। भारत सरकार और प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना का उद्देश्य ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि अभिलेख का निर्माण और संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने का उद्देश्य है परंतु लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से यह योजना ग्राम धूमा में पहले ही त्रुटि पूर्ण और विवादों में घिरती हुई नजर आ रही है। जिस पर किसी भी अधिकारी की नजर नहीं गई है। जबकि ड्राफ्ट मैप पर सही तरीके से ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) मौके पर फील्ड में जाकर भौगोलिक सत्यापन तैयार नहीं किया गया है। जहां राजस्व विभाग के सिपाही कहे जाने वाले पटवारी की लापरवाही से सरकार की महत्वपूर्ण स्वामित्व योजना की सही पहरेदारी नहीं हो सकी है। गलत तरीके से और त्रुटिपूर्ण की गई ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) के बाद फाइनल मैप में भी रिकॉर्ड आॅफ राइट (आरओआर) अभिलेख तैयार करने की कवायत जारी है। जब ड्राफ्ट मैप में ही सही ग्राउंड ट्रूथिंग (जीटी) नहीं किया गया है। तो फिर तैयार किया जा रहा अभिलेख कहां तक सही बनेंगा।
स्थानीय अधिकारियों की घोर लापरवाही
वही सरकार की महत्वाकांक्षी महत्वपूर्ण इस स्वामित्व कार्य योजना में धूमा पटवारी के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों की घोर लापरवाही की वजह से सही और सटीक कार्य नहीं किया गया है। लापरवाही और खाना पूर्ति करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण कार्य को त्रुटिपूर्ण करके आने वाले समय में विवादों में पहुंचने के उद्देश्य से किए गए लापरवाही के कार्य पर प्रशासनिक अधिकारियों को समय रहते गंभीरता दिखाने की जरूरत है। क्योंकि यदि स्वामित्व योजना का कार्य त्रुटिपूर्ण और गलत भौगोलिक सत्यापन के फाइनल रूप देकर फाइनल कर दिया जाएगा।तो आने वाले दिनों में स्थानीय लोगों को लिए परेशानियों का सबब बन जाएगा। साथ ही तहसील न्यायालयों पर अनावश्यक जमीनी विवादों के मामलों में बढ़ोतरी होगी। जबकि योजना जिस उद्देश्य से तैयार की गई है।कि संपत्ति विवाद कम हो परंतु ऐसी स्थिति में विवादों की अधिकता जरूर देखी जाएगी। पूरे मामले पर जिला प्रशासन को गंभीरता दिखाते हुए मामले की जांच और लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई करने की जरूरत है।