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टेंडर देने के बाद भी शौचालय निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं कर पाई परिषद

टेंडर देने के बाद भी शौचालय निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं कर पाई परिषद

विशेष सम्मेलन में शौचालय निर्माण के टेंडर निरस्त करने पर करेगी परिषद विचार

बस स्टैंड और चमरा नाला के नजदीक बनने वाले शौचालय का मामला


छपारा। गोंडवाना समय। 

नेशनल हाईवे 44 में मौजूद छपारा नगर छपारा को ग्राम पंचायत से नगर परिषद का दर्जा दिलाने के लिए नगर संघर्ष समिति और छपारा नगर के लोगों ने छपारा नगर के विकास के लिए संघर्ष कर नगर परिषद बनवाया और नगर परिषद बनने के बाद नगर में सुख सुविधाओं और विकास कार्यों को लेकर जो सपने देखे थे, वह सपना नगर परिषद बनने के बाद भी आज भी पूरे होते नजर नहीं आ रहा हैं। 

छपारा नगर परिषद की मनमानी रोक पाने विफल आ रहे नजर 


बताया जाता है कि नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद छपारा नगर परिषद में वर्ष 2022 को नगर परिषद का चुनाव हुआ सबसे अधिक पार्षद भाजपा के जीत कर आए. जिन में अधिकांश महिला पार्षद का चुनाव जीतकर इन सभी पार्षदों का जिम्मा छपारा नगर में नागरिकों को सुख सुविधा और विकास कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए लोगों ने इनको चुनाव 8 अगस्त 2022 को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को निर्विरोध पार्षदों के द्वारा चुना गया लेकिन कुछ समय बाद नगर परिषद में होने वाले कामों को लेकर पार्षदों के विरोध के सुर भी देखे गए। बाद में पार्षदों के द्वारा छपारा नगर परिषद में जिस तरीके की मनमानी चल रही और उसे पर अंकुश लगाने में निर्विरोध नगर परिषद के पार्षद पूरी तरह विफल नजर आ रहे हैं। 

21 जनवरी को विशेष सम्मेलन 


जिसका नतीजा यह है कि छपारा नगर के बस स्टैंड और सबसे व्यस्ततम इलाका कपड़ा मार्केट के नजदीक चमरा नाला के पास बनाए जाने वाला शौचालय को निरस्त करने के लिए नगर परिषद के द्वारा 21 जनवरी को विशेष सम्मेलन की बैठक के एजेंडा में 18 बिंदुओं पर चर्चा होना है। जिसमें यह दो शौचालय निरस्त करने पर विचार किए जाने का बिंदु शामिल कर लिया गया है। बताया जाता है कि 20-20 लाख रुपए से अधिक की लागत का शौचालय बस स्टैंड और चमरा नल के नजदीक बनाया जाना था। 

अतिक्रमण करने वालों के सामने घुटने टेक दिए

जिसको लेकर नगर परिषद ने इन शौचालयों को बनाने के लिए बाकायदा नगर परिषद में प्रस्ताव पास कर टेंडर जारी कर ठेका भी दे दिया लेकिन अतिक्रमणकारियों के सामने नगर 15 पार्षद और निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी इन अतिक्रमण करने वालों के सामने घुटने टेक दिए और 2 साल बीत जाने के बाद भी ठेकेदार को शौचालय निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं कर पाए। अब नगर परिषद की विशेष सम्मेलन की बैठक में उक्त दोनों स्थानों में बनाए जाने वाले शौचालय को निरस्त करने को लेकर विचार किए जाने एजेंडा में शामिल किया गया है। 

 इनसे विकास की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है 

ऐसे में सवाल उठता है कि निर्विरोध नगर परिषद के पार्षद और अध्यक्ष, उपाध्यक्ष क्या पूरी तरह अतिक्रमणकारियों के सामने बोने साबित हो गए हैं। जिस वजह से शौचालय निर्माण करना छोड़ अब इस निरस्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। क्या इस बीच दूसरे स्थान का चयन क्यों नहीं किया गया ? क्या अतिक्रमण करने वालों का प्रभाव इस कदर है कि नगर परिषद उनसे डर कर जिस स्थान पर शौचालय बनाने के लिए प्रस्ताव पास किए गए और टेंडर भी लगा दिए गए और अब वह पीछे हट रही है। जिससे अंदाजा लगाया ऐसा जा सकता है कि महिलाओं की हितेषी बताने भाजपा शासित नगर परिषद छपरा नगर के बस स्टैंड और मुख्य बाजार के चमरा नाला क्षेत्र में शौचालय भी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनसे विकास की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। 


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