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सी ग्रेड छात्रावास, आश्रम अधीक्षकों को आखिर क्यों नहीं हटाया गया ?

सी ग्रेड छात्रावास, आश्रम अधीक्षकों को आखिर क्यों नहीं हटाया गया ?

कलेक्टर की पहल पर पहली बार हुआ था छात्रावास, आश्रमों का निरीक्षण

निरीक्षण दलों की टीप और ग्रेडिंग के बाद भी जुगाड़ से यथावत है अधीक्षक

दो बार हुई छात्रावास व आश्रमों की जांच फिर भी बच गये लापरवाह अधीक्षक


सिवनी। गोंडवाना समय। 

कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन की पहल पर पहली सिवनी जिले में जनजाति कार्य विभाग के अंतर्गत संचालित छात्रावासों व आश्रमों में संचालन व्यवस्था से लेकर प्रत्येक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाकर सुधार की शुरूआत की गई थी।
               


इसके लिये निरीक्षण दल का गठन किया गया तो उन्हें एक एक बिंदुओं पर आधारित फार्मेट में निरीक्षण के आधार पर वास्तविक जानकारी उच्चाधिकारियों के समक्ष जानकारी प्रस्तुत करना था। वहीं जो छात्रावास व आश्रम सही तरीके से संचालित हो रहे थे वहां के अधीक्षकों कोे ए प्लस, ए, बी, सी ग्रेड भी दिया जाना था।
                सूत्रों की माने तो दो छन्ना लगाने के बाद भी यानि निरीक्षण दल की जांच के बाद एसडीएम स्तर व अन्य उच्च अधिकारियों के द्वारा भी जांच कराई गई थी। इसके बाद भी कुछ छात्रावास व आश्रम की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया अर्थात कचरा साफ ही नहीं हो पाया था।
                सूत्र तो यह भी बताते है कि कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन के द्वारा सी ग्रेड वाले अधीक्षकों को कतई अधीक्षक नहीं बनाये रखने के लिये भी कहा गया था। इसके बाद भी वहां पर पदस्थ अधीक्षकों को हटाया नहीं गया है वे अधीक्षक जुगाड़ व सेटिंग से अपने पद पर यथावत जमे हुये है।  

शैक्षणिक स्तर से लेकर नाश्ता-भोजन, सफाई, पेयजल, विद्युत सहित प्रत्येक बिंदु पर करना था निरीक्षण 


सिवनी जिले में संभवतय: पहली बार ही ऐसा हुआ है कि छात्रावास, आश्रम के विद्यार्थियों से निरीक्षण दल को यह जानना था कि अधीक्षक व कर्मचारी उनके साथ मारपीट, दुव्यर्वहार या प्रताड़ित तो नहीं करते है। वहीं विद्यार्थियों में आपस में भी मधुर संबंध है कि नहीं, कहीं अधीक्षक के परिवार का कोई सदस्य अथवा कर्मचारी डराता धमकाता तो नहीं है।
            पालकों का मिलने का निर्धारित समय है की नहीं, उनके परिचय पत्र आदि की जानकारी लेना था। वहीं विद्यार्थियों से चर्चा करके मीनू आधारित भोजन, नाश्ता मिलता है या नहीं, नाश्ते का समय, भोजन का समय, भोजन की गुणवत्ता, भोजन करने हेतु कक्ष व मेजों की स्थिति, भोजन बनाने से लेकर खाने के स्थल तक के संबंध में साफ-सफाई की जानकारी लेना था।
                    इतना ही नहीं सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीसीटीव्ही कैमरा, आर ओ मशीन, टी व्ही, पुस्तकालय, विश्राम शयन हेतु बिस्तर की व्यवस्था, मच्छरदानी, विद्युत की व्यवस्था, भवन की मरम्मत, कंटजेंसी राशि, खेलकूद सामग्री, पानी की टंकी, पेयजल हैंडपंप, कुआं, ट्यूबवेल, नल की सुविधा, शौचालय की सफाई, भवन व परिसर में सफाई, कुआं जालीयुक्त है या नहीं, भवन से बरसात का पानी टपकने की जानकारी, खिड़कियां पर मच्छर जालियां, छात्रावास व आश्रम में दूरभाष नंबरों की जानकारी, भवन शासकीय या अशासकीय, पर्याप्त है या नहीं, क्या जरूरत है, छात्रावासों में शौचालय, स्नानागार की संख्या, छात्रावास में बाउन्ड्रीवाल, मैन गेट, बिस्तर, पलंग, टेबिल, कुर्सी, आलमारी, शिष्यवृत्ति, कैशबुक, स्वास्थ्य परीक्षण, पुस्तकालय, कोचिंग आदि की सुविधा, खेलकूद की व्यवस्था, प्रसाधन सामग्री, प्राथमिक उपचार किट, सोलर गीजर, इनवर्टर, छात्रावास पालक समिति की बैठक, विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर, वहीं छात्रावास के निरीक्षण के पश्चात छात्रों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, भोजन आदि पर निरीक्षणकर्ता अधिकारी का अभिमत एवं छात्रावास के समस्त तथ्यों के आधार पर छात्रावास की गे्रडिंग, ए प्लस, ए, बी, सी दिया जाना था। 

विकासखंड बार टीम गठित करके निरीक्षण किया गया था


जनजाति कार्य विकास विभाग अंतर्गत सिवनी जिले में छात्रावासों व आश्रमों की जांच व जानकारी के लिये निरीक्षण दलों की टीम बनाई गई थी। वहीं छात्रावासों, आश्रमों की द्वितीय जांच की गई थी इसके लिये टीम बनाई गई थी।
            इसमें कुछेक छात्रावास व आश्रम सी ग्रेड प्राप्त संस्थाओं की जांच एसडीएम स्तर के व उच्च अधिकारियों के द्वारा की गई थी उन्होंने भी प्राप्त निरीक्षण दल के परिणाम अनुसार पुन: अक्टूबर माह 2024 में स्वयं भी जाकर निरीक्षण किया था। जिसमें भी पुन: अधिकांश गलतियां पाई गई थी।
             वहीं इस मामले में सूत्र बताते है कि कलेक्टर द्वारा ऐसी संंस्थाओं में पदस्थ अधीक्षकों कोे हटाने के लिये स्पष्ट कहा गया था। वहीं लंबे समय से प्राप्त शिकायत संस्थाओं के अधीक्षकों को भी हटाने के लिये कहा गया था। इसके बाद भी सी ग्रेड वाली संस्थाआें के अधीक्षकों को हटाया नहीं गया है। 

सेटिंग से अपना अधीक्षक बनने का रूतबा कायम रखा हुआ है 

बताया जाता है कि जिन अधीक्षकों की संस्था सी ग्रेड स्तर पर आई है उनके यहां पुन: जांच के बाद भी गलतियां पाई गई थी। ऐसे संस्थाआें के अधीक्षकों ने जुगाड़ लगाकर अपना बचाव करते हुये पुन: अधीक्षक के पद पर कार्यरत है जबकि कलेक्टर की मंशा साफ थी कि ऐसे अधीक्षकों को हटाया जावे। इसके बाद भी अधीक्षकों ने सेटिंग करते हुये अपना अधीक्षक बनने का रूतबा कायम रखा हुआ है।
                वहीं सवाल अब यह भी उठ रहा है कि जब छात्रावास व आश्रम की व्यवस्थाओं पर सुधार के साथ साथ संचालन व्यवस्था सही रखने के लिये निरीक्षण दल का गठन किय गया था और उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही अधीक्षकों को यथावत रखा जाना था तो फिर निरीक्षण दल की रिपोर्ट के बाद भी आखिर अधीक्षकों को क्यों यथावत रखा गया है। 


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