डॉक्टर बिरादरी को किया बदनाम और आदिवासी विधायक को गाली देकर किया अपमान
डॉक्टरी पेशा को कलंकित करने वाले डॉ सी पी एस ठाकुर के विरूद्ध 11 को रतलाम ऊलगुलान
रतलाम/सैलाना। गोंडवाना समय।
डॉक्टर जिसे भगवान माना जाता है, इंसान अपनी जिंदगी को बचाने की बागडोर डॉक्टरों के हाथों में सौंप देते है। डॉक्टर के सेवा कार्य, कर्तव्य, व्यवहार के विषय में देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, माननीय न्यायाधीश भी अनेकों बार चिकित्सकों के कार्यक्रमों के दौरान संदेश दे चुके है कि डॉक्टर को अपना व्यवहार सरल, सहज, मधुर वाणी युक्त रखना चाहिये।
वहीं डॉ सी पी एस ठाकुर ने पता नहीं कौन से चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई किया होगा जहां पर मरीजों का उपचार करने के पहले मां की गाली बककर बात करना जरूरी है यह सिखाया होगा। डॉक्टर की पोशाक उतारकर डॉ सी पी एस ठाकुर को तो पुलिस या जल्लादों की वर्दी पहनाना चाहिये।
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश के लिये शर्मनाक
जिस तरह से डॉ सी पी एस ठाकुर ने डॉक्टर की पदवी पाकर, नौकरी करते हुये आदिवासी विधायक के साथ मां की गाली बककर अभ्रदता का बर्ताव किया है वह डॉक्टर बिरादरी को बदनाम करने से कम नहीं है वहीं डॉक्टरी पेशा को कलंकित करने का कारनामा भी डॉ सी पी एस ठाकुर ने किया है।
भाजपा की सरकार में कुछेक डॉक्टर भी इतने बेलगाम हो गये है कि आम जन, मरीज से छोड़ों आदिवासी विधायक को मां की गाली देकर संबोधित कर रहे है। इसके बाद भी आदिवासी विधायक पर ही उल्टा प्रकरण पुलिस ने कायम कर लिया है। डॉक्टर द्वारा मां की गाली आदिवासी विधायक को दिया जाना आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश के लिये शर्मनाक है।
11 दिसंबर को रतलाम में उलगुलान का बिगूल फूंका
ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर सी पी एस ठाकुर को मालूम था कि ये सैलाना के आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार है उसके बाद भी उनके तेवर नरम नहीं पड़े। डॉक्टर उल्टे तल्ख तेवर में विधायक के साथ बदसलूकी करता रहा। साथ ही कहने लगा कि तू जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।
सोशल मीडिया पर डॉक्टर के साथ गली गलौज का वीडियो वायरल हो रहा है। साथ ही डॉक्टर के दुस्साहस पर भी सवाल उठ रहे हैं। वही विधायक पर ही पुलिस प्रकरण दर्ज करने को लेकर 11 दिसंबर को रतलाम में उलगुलान का विगुल फूंक दिया गया है।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिवनी मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन पर डॉक्टरों को दिया था ये संदेश
मेरा मानना है कि जिनके मन में सेवा भावना होती है, वही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में चिकित्सा सेवा को चुनते है। उन्होंने सिवनी में उपस्थित छात्र-छात्राओं को मेडिकल कॉलेज के संस्थापक डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और छात्र के रूप में आप सब को सेवा भावना, संवेदनशीलता, सहानुभूति और रोगी परिजनों के प्रति समानुभूति के भावों और व्यवहार की मजबूत परंपरा को कायम करना होगा।
पीड़ित मानवता की सेवा बहुत बड़ी जिम्मेदारी और मानवता का सर्वोच्च धर्म है, इसीलिए हमारे देश में डॉक्टरों को लोग भगवान मानते हैं क्योंकि वे लोगों की स्वास्थ्य-रक्षा तथा प्राण-रक्षा करते हैं।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने छात्र-छात्राओं से कहा चिकित्सा सेवा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण आपको हमेशा याद रखना है कि आपके द्वारा दी गई दवा या परामर्श के साथ आपके व्यवहार में हीलिंग टच हो। आपको सचेत रहना है कि विषम परिस्थितियों में भी आपकी कार्यशैली में धैर्य, संवेदनशीलता, संवेदना और करुणा जैसे मूल्य बने रहें।