जेल पहुंचे आदिवासी विधायक और डॉक्टर पर कार्यवाही को लेकर उठ रहे सवाल ?
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासी विधायक का अपमान पर सरकार मौन क्यों ?
सैलाना/रतलाम। गोंडवाना समय।
आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को गाली बककर अपमानित करने वाले डॉ. चंद्र प्रताप सिंह राठौर पर कानूनी कार्रवाई प्रकरण दर्ज करने की गई है लेकिन उनकी गिरफतारी क्यों नहीं किया गया वहीं दूसरी ओर आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को जेल भेज दिया गया ?
हम आपको बता दे कि बीते 6 दिसंबर 2024 को रात्रि लगभग 10 बजे सिविल अस्पताल, रतलाम में विधायक कमलेश्वर डोडियार और अन्य मरीजों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले डॉक्टर चंद्र प्रताप सिंह राठौर पर विभागीय कार्यवाही अब तक क्यों नहीं किया गया है ? क्या यह सरकार की आदिवासी-विरोधी मानसिकता को दशार्ता है ?
मेडिकल कॉउंसिल की कार्यप्रणाली पर सवाल
वहीं सबसे अहम विषय यह है कि मेडिकल काउंसिल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे है। मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया ने अब तक इस मामले में डॉक्टर पर क्या कार्यवाही हो सकती है इस संबंध में कोई कदम क्यों नहीं उठाया ? क्या यह आदिवासी समाज के प्रति भेदभाव का प्रमाण नहीं है ?
मुख्यमंत्री की चुप्पी क्यों ?
ऐसी स्थिति में आदिवासी विधायक के साथ डॉक्टर द्वारा गाली बकने के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुलेआम गाली-गलौज और धमकियां देने वाले इस डॉक्टर सी पी एस ठाकुर पर कोई विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश ेदेने के लिये ठोस कदम उठाने में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की चुप्पी क्यों है?
आदिवासी की सुरक्षा प्राथमिकता में क्यों नहीं ?
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में सर्वाधिक संख्या होने के बाद भी आदिवासी समाज कहीं न कहीं असुरक्षित सा महसूस कर रहा है। आम आदिवासी की तो छोड़ों जो विधानसभा का सदस्य 71 हजार से अधिक मतों से जीतकर विधायक बनने वाला आदिवासी जनप्रतिनिधि भी असुरक्षित है, उसे खुलेआम गाली बक कर संबोधित किया जा रहा है। जबकि औसतन की यदि बात करें तो मध्यप्रदेश में हर पांचवां नागरिक आदिवासी है और देश में हर 13 वां व्यक्ति आदिवासी है फिर भी आदिवासियों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में क्यों नहीं है ?
डॉक्टर की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई ?
कानून के जानबकारों की माने तो आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को खुलेआम चुनौती देकर धमकी देकर गाली बकने वाले डॉ सी पी एस ठाकुर पर गैर-जमानती धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है इसके बावजूद भी डॉक्टर सी पी एस ठाकुर की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई है ?
वहीं दूसरी ओर आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को पुलिस ने गिरफतार कर जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया है। वहीं कानून की जानकार बताते है कि गंभीर गैर-जमानती धाराओं के तहत डॉक्टर सी पी एस ठाकुर पर भी मामला दर्ज होने के बावजूद डॉक्टर की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई ?
आदिवासी समाज का अपमान करने वालों को संरक्षण दे रही सरकार
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को अपमानजनक भाषा और गंदी गालियां देने वाले डॉक्टर सी पी एस ठाकुर के खिलाफ सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है ? क्या सरकार आदिवासियों का अपमान करने वालों को संरक्षण दे रही है ?
आदिवासी समाज के योगदान बाद भी भेदभाव जारी
पुरातन काल से ही आदिवासी समाज देश की प्रगति, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। फिर भी सरकार द्वारा उनके साथ इस प्रकार का भेदभाव क्यों किया जा रहा है ?
वैधानिक कार्यवाही होने से आपराधिक रिकार्ड में फँस रहे आदिवासी युवा
आदिवासी विधायक को गाली बककर अपमानित करने वाले डॉक्टर सी पी एस ठाकुर पर विभागीय कार्यवाही हेतु शांतिपूर्ण संवैधानिक तरीके से आवाज उठाने वाले आदिवासी समाज के लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास हर तरीके से सरकार, शासन, प्रशासन के द्वारा किया गया है। आंदोलन स्थल पर पहुंचने से पहले ही आदिवासी समाज के सामाजिक पदाधिकारी को रोका गया।
यहां तक आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार को आंदोलन स्थल पर पहुचंने से पहले ही गिरफतार कर जेल भेज दिया गया था। आखिर आदिवासी समाज पर ही कार्रवाई क्यों ? क्या सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले आदिवासियों को जेल में डालकर संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं कर रही है ? इसके बाद आदिवासियों पर वैधानिक कार्यवाही करते हुये जेल भेजकर उनके रिकार्ड आपराधिक बनाने की कोशिश की जा रही है। आदिवासी समाज की आवाज को दबाने के साथ उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है।
आदिवासी समाज को सुरक्षा व न्याय के लिये उठाये जाये कदम
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासी विधायक को गाली बकने वाले डॉक्टर चंद्र प्रताप सिंह राठौर पर तत्काल विभागीय कार्यवाही की जाना चाहिये, वहीं गिरफतार कर जेल भेजा जाना चाहिये। मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया और स्वास्थ्य विभाग डॉ चंद्र पताप सिंह राठौर जैसे व्यक्ति जो कि चिकित्सा पेशा को बदनाम कर रहे है उन पर सख्त कार्रवाई करना चाहिये।
आदिवासी समाज के साथ साथ आदिवासी जनप्रतिनिधियों के सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीतियां बनाई जाना चाहिये। आदिवासियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को समर्थन देते हुए उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिये या प्रदर्शन, आंदोलन के पहले ही उनकी समस्या का समाधान किया जाना चाहिये। समाज के जनप्रतिनिधियों और कार्यकतार्ओं पर की गई पुलिस ज्यादती की जांच कर जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाना चाहिये।