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कलेक्टर के निदेर्शों का नहीं कर रहे पालन-बीआरसी बरघाट

कलेक्टर के निदेर्शों का नहीं कर रहे पालन-बीआरसी बरघाट 

बीआरसी बरघाट का तुगलकी फरमान बच्चों की शिक्षा में बन रहा बाधक 

सिवनी। गोंडवाना समय। 

विगत दिनों सिवनी कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन द्वारा चालू शिक्षा सत्र में छात्रों के अध्यापन एवं उचित परीक्षा परिणाम के साथ शिक्षा विभाग में चल रही तमाम गतिविधियों की विस्तारित समीक्षा की गई थी। जिसमें डीईओ, बीईओ, डीपीसी, बीआरसी एवं बीएसी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
             


कलेक्टर द्वारा समीक्षा के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि समाचार पत्रों में शिक्षको एवं एमडीएम से संबंधित समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होते है तो संबंधित बीईओ/प्राचार्य/बीआरसी तत्काल संज्ञान लेकर प्रकरण की पांच दिवस में जांच उपरांत उचित कार्रवाई करेंगे। 

जन शिक्षक का अतिरिक्त कार्य सौंपा (नियुक्त) गया है


किंतु बीआरसी बरघाट द्वारा अनुचित तरीके से शिक्षकों को उपकृत करने की मंशा से संकुल सह समन्वयको को बिना बीईओ/प्राचार्य के अनुमोदन लिए अपनी मनमर्जी से प्रभारी जन शिक्षक का अतिरिक्त कार्य सौंपा (नियुक्त) गया है। इस संबंध में गोंडवाना समय समाचार पत्र द्वारा लगातार लेख प्रकाशित किया जा रहा है इसके उपरांत भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया है। इससे कलेक्टर के निदेर्शों की अवहेलना किये जाने की जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है।

शासकीय मा. शाला साल्हेखुर्द में शिक्षण कार्य प्रभावित होने की सँभावना 

अब सवाल यह उठता है कि बरघाट बीआरसी के नियम विरूद्ध जारी किये गये फरमान की जांच कब होगी और कौन करेंगे, यह सरकार की पारदर्शिता व सुशासन व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जिन शिक्षकों को जनशिक्षक का कार्य सौंपा गया है उन्हीं की शाला शिक्षकों की समस्या से जूझ रही है ऐसे में बीआरसी बरघाट का तुगलकी फरमान बच्चों की शिक्षा में बाधक बनता नजर आ रहा है। शासकीय माध्यमिक शाला साल्हेखुर्द में कक्षा 1 से 8 तक दर्ज संख्या में 155 बच्चों को पढ़ा रहे हैं तीन प्राथमिक एवं एक माध्यमिक शिक्षक एवं एक शिक्षक को संकुल सह समन्वयक के साथ प्रभारी जनशिक्षक का कार्य सोपा जाना कहां तक उचित है। 

प्राथमिक शाला आष्टा दो शिक्षकों को जनशिक्षक का कार्य सौंपा 

ऐसा ही मामला प्राथमिक शाला आष्टा से जुड़ा हुआ है जिसमें 4 शिक्षकों में से दो शिक्षक ही 85 बच्चों को कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को अध्यापन करा रहे हैं। इसी शाला से दो शिक्षकों को जनशिक्षक के कार्य सौंप दिए गए है, जिससे शाला की पढ़ाई प्रभावित होने से बेखबर बीआरसी बरघाट अपने फरमान पर आज तक अडिग है, यहां तक की कलेक्टर द्वारा समीक्षा में दिए गए निदेर्शों का भी पालन नहीं कर रहे हैं।

क्या बीआरसी को अधिकार है ? 

हम आपको बता दें कि बीआरसी को किसी भी शिक्षक की नियुक्ति या उन्हें अतिरिक्त कार्य सौंपने के अधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसा करने के लिए उन्हें बीईओ/प्राचार्य या उच्च अधिकारी का अनुमोदन लेना अनिवार्य है किंतु बीआरसी बरघाट द्वारा बिना परवाह के शिक्षकों को उपकृत करने के लिए कार्य सौंपने का आदेश प्रसारित करना पड़ा है। ऐसे में विकासखंड के जिम्मेदार बीईओ एवं प्राचार्य बच्चों की पढ़ाई की खबर को नजरअंदाज कर रहे हैं अर्थात जिम्मेदार ही छात्र हित से शिक्षक हित को सर्वोपरि मान रहे हैं।

पालक एवं सामाजिक संगठनों की विरोध करने की देख रहे राह

जिन शिक्षकों को प्रभारी जन शिक्षक संबंधी अतिरिक्त कार्य कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्हीं के विद्यालय, शिक्षक की कमी से जूझ रहे है एवं पीटीए एवं पालकों द्वारा शिक्षकों की अतिरिक्त व्यवस्था करने हेतु संकुल प्राचार्य के समक्ष निवेदन पत्र दिया जा रहा है ताकि छात्रों का अध्यापन कार्य प्रभावित न हो सके। वहीं शाला से संबंधित क्षेत्रों में जल्द ही शालाओं में शिक्षकों को वापिस नहीं किया जाता है तो विकासखंड स्तर पर सामाजिक संगठनों एवं पलकों द्वारा संयुक्त धरना आंदोलन करने की  चचार्एं व्याप्त हो रही है।

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