अफसरों की छूट, मयखाने में मची लूट
लूघरवाड़ा की शराब दुकान में कीमत से ज्यादा राशि कर रहे वसूल
20 से 50 रुपए अधिक राशि शराब ठेकेदार के कर्मचारी कर रहे वसूली
नियम के बावजूद उपभोक्ताओं को नहीं देते बिल
सिवनी। गोंडवाना समय।
जहां शराब सेहत के लिए खराब मानी जाती है, देश व प्रदेश का सामाजिक व नैतिक पतन निरंतर गिरता जा रहा है इससे सरकार को कोई भी सरोकार नहीं है। चर्चा में यही कहते सुने जाता है कि सरकार शराब की कमाई से चलती है।
वहीं दूसरी ओर शराब ठेकेदारों के लिए शराब का धंधा बहुत अधिक फायदेमंद साबित हो रही हैं। शराब ठेकेदार आबकारी विभाग के अफसरों की छूट पर शराब के शौकीनों से जमकर आर्थिक रूप से लूट कर रहे हैं। शराब की बोतल में दर्ज कीमत से ज्यादा राशि डंके की चोट पर वसूल रहे हैं और आबकारी विभाग के अधिकारी इन पर मेहरबान बने हुए है। यह मामला आबकारी विभाग के सहायक आबकारी अधिकारी के संरक्षण में चल रही लूघरवाड़ा स्थित मेसर्स मनीष जाट की शराब दुकान का है।
20 रुपए से 50 रुपए तक अधिक राशि कर रहे वसूल
मेसर्स मनीष जाट के नाम से संचालित लूघरवाड़ा स्थित शराब दुकान में ठेकेदार के गुर्गे शराब की एक बोतल में 20 रुपए से 50 रुपए तक की अधिक राशि वसूल कर रहे है।
वहीं 05 नवंबर की शाम एक सख्श ने जब ओल्ड मंक की क्वाटर खरीदी जिसके एवज में 170 रुपए की राशि ली गई जबकि बोतल में स्पष्ट रूप से 136 रुपए से 150 कीमत लिखी हुई है। यानी 136 रुपए कीमत में 34 रुपए और 150 रुपए कीमत में 20 रुपए ज्यादा लिए गए।
अधिक कीमत वसूल कर लाखों कमा रहे शराब ठेकेदार
यदि आप औसतन 20 रुपए प्रति ग्राहक और प्रति बोतल ज्यादा ले रहे है तो प्रतिदिन शराब ठेकेदार लोगों और शासन की आंखों में धूल झोंककर कई हजार रुपए अवैध वसूल रहा है। यानी महीने भर में लाखों ओर साल भर में तकरीबन एक करोड़ रुपए की राशि अवैध वसूल रहा है।
जिसका न तो एक नंबर में हिसाब किताब हो रहा होगा और न ही टैक्स जमा हो रहा होगा, क्योंकि बोतल में लिखी हुई राशि के हिसाब से ही ठेकेदार वाणिज्य कर अधिकारियों के समक्ष अपनी इनकम शो कर रहे होंगे ऐसे में ठेकेदार की बल्ले बल्ले और शराब के शौकीनों की जेब ढीली हो रही है।
अफसरों का तर्क भी ठेकेदार के नतमस्तक
अब आप सोचिए कि जिस वस्तु में कीमत निर्धारित ओर लिखी हुई है उससे ज्यादा तो पढ़ा लिखा तो क्या अनपढ़ व्यक्ति भी नहीं दे सकता लेकिन अपनी कमियों की छिपाने और शराब ठेकेदार के पक्ष में तर्क दे रहे थे कि शराब का लाट पुराना है लेकिन मार्च के बाद नए रेट में वितरित की गई है। इसलिए ठेकेदार द्वारा 150 रुपए की शराब 170 रुपए में बेची जा रही है। अधिकारियों के इस तर्क से तो आप लोग भी समझ जाएंगे कि ठेकेदार को लूटने की खुली छूट दे दी गई है।
सीएम हेल्पलॉइन में हुई शिकायत
अब हम बात करते हैं बिल की तो शासन के स्पष्ट आदेश है कि कोई भी व्यक्ति सामग्री क्रय के बाद बिल ले सकता है लेकिन जिले के शराब ठेकेदारों के सामने तो जिले के आबकारी अधिकारी शैलेश जैन, सहायक आबकारी अधिकारी प्रणय श्रवास्तव तो बौने साबित हो रहे हैं।
एक भी दुकान संचालक बिल नहीं दे रहा है, ऐसे में बिल के अभाव में कई लोग लूघरवाड़ा शराब दुकान में चल रही हिटलरशाही और लूट खसोट को लेकर शिकायत नहीं कर पा रहे है। अब इस मामले को लेकर सीएम हेल्प लाइन सहित लिखित रूप से शिकायत आबकारी विभाग के अधिकारी से की गई है। अब देखना यह है कि अधिकारी जांच कर शराब ठेकेदार की हिटलरशाही पर लगाम कस पाते है या फिर उनको संरक्षण देते रहेंगे यह आने वाला समय बताएगा।