दिनेश हनुमंते बीआरसीसी क्या अपनी मनमर्जी से बना रहे जनशिक्षक ?
संलग्नीकरण के आदेशों-निर्देशों का नहीं कर रहे पालन
बरघाट। गोंडवाना समय।
बीआरसीसी बरघाट दिनेश हनुमंते अपने नियम बनाकर उसे क्रियान्वयन कराने का काम धड़ल्ले से कर रहे है। जबकि बरघाट के बीआरसीसी को प्रभारी जनशिक्षक नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, इसके बावजूद भी अपनी प्रशासनिक अकुशलता का परिचय देते हुये बीआरसीसी बरघाट द्वारा 3 प्राथमिक शिक्षकों को प्रभारी जनशिक्षक नियुक्त करने का कार्य किया गया है।
वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार शासकीय शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की शिक्षा पर सर्वाधिक जोर दे रही है वहीं सिवनी जिले की कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन भी शैक्षणिक व्यवस्थाओं में गुणात्मक सुधार हेतु बेहतर कार्य करने का प्रयास कर रही है।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है विद्यालय
जिन शिक्षकों को प्रभारी जन शिक्षकों की जिम्मेदारी सौंपी गई है उनके विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है। स्कूल के विद्यार्थियों की शिक्षा पर ध्यान देने के वजाय शिक्षकों को उपकृत करने कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में अतिशेष शिक्षकों को शाला से अन्यत्र कर बच्चों के भविष्य पर ध्यान दिया जा रहा है।
वहीं दूसरी बरघाट के बीआरसीसी दिनेश हनमुंते शिक्षकों की कमी वाली शाला में संलग्न करने की बजाय जनशिक्षक की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। यह जानते हुये भी कि इनके पास जनशिक्षक के कार्य का अनुभव नहीं है।
तो शाला में अतिरिक्त अध्यापन कार्य क्यों नहीं कर सकते है
प्रश्न यह उठता है कि यदि यह शिक्षक अतिरिक्त कार्य कर सकते है तो शाला में अतिरिक्त अध्यापन कार्य क्यों नहीं कर सकते है। ऐसे में अतिरिक्त कार्य कराने की क्या आवश्यकता बीआरसीसी को आन पड़ी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जिन जनशिक्षा केंद्रों में इन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहां पर पूर्व से एक जनशिक्षक कार्य कर रहे है। वहीं विगत 2-3 वर्षों से यहां पर एक जनशिक्षक अपने कार्य को कर रहे है। ऐसे में अचानक काम की अधिकता का हवाला देकर इन्हें उपकृत करने का कार्य समझ से परे है।
प्राथमिक शिक्षक को कैसे बना दिये जनशिक्षक
हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि वैसे भी बीआरसीसी को यह अधिकार नहीं है कि वह शिक्षकों की अन्यत्र तैनाती करे, इसके लिये उन्हें बीईओ/प्राचार्य/डीपीसी या उच्चाधिकारियों से अनुमोदन की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद भी नियमों कोक ताक में रखते हुये प्राथमिक शिक्षकों को प्रभारी जनशिक्षक का दायित्व सौंपा गया है। जबकि जनशिक्षक के लिये माध्यमिक शिक्षकों को योग्य माना गया है।
कलेक्टर व डीपीसी को संज्ञान लेने की आवश्कता है
एक ही विद्यालय से 2 शिक्षकों को प्रभारी जनशिक्षक बनाना कितना न्यायोचित है। ऐसे में उन विद्यालयों के बच्चों के परीक्षा परिणाम की भी बीआरसी को चिंता नहीं है। वहीं ऐसे नियमों को ताक पर रखने वाले गंभीर विषयों पर सिवनी जिला कलेक्टर व डीपीसी को संज्ञान लेने की आवश्यकता है।