मोहन मरकाम ने बन कर दिखाया उप पुलिस निरीक्षक
आर्थिक समस्या, संघर्ष के बाद मोहन मरकाम को मिली सफलता
मोहन मरकाम पिता श्री सुकमन मरकाम जो कि किसान है और माता श्रीमती सुकवती मरकाम गृहिणी है। जो कि ग्राम बुडरा, तहसील माकड़ी, जिला- कोण्डागांव बस्तर (छत्तीसगढ़) के निवासी है उनका चयन पुलिस उपनिरीक्षक 2024 के पद पर हुआ है।
शिक्षा का संघर्ष
मोहन मरकाम की शिक्षा प्राथमिक से हायर सेकेण्डरी तक सरकारी स्कूल कटागांव में हुई। वहीं उच्च शिक्षा सरकारी कालेज भानु प्रतापदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय काँकेर से सम्पन हुई है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
मोहन मरकाम जो कि एक किसान परिवार से है उनके माता पिता और पूरा परिवार ही खेती किसानी का कार्य करते है। मोहन मरकाम के पारिवारिक आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी, पाँच भाई बहनों में माता पिता के 5 बच्चे है।
तीन भाई और दो बहन उसी में से तीसरे नंबर का मोहन मरकाम है। सबसे अहम बात तो यह है कि आर्थिक स्िथति कमजोर होने के कारण मोहन मरकाम से दो बड़े बहन और भाई आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 12 वी के आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। सभी की शिक्षा सरकारी स्कूलों से पूरी हुई है।
वन रक्षक में चयन हुआ लेकिन ज्वाईन न कर पाने से पछताबा हुआ
वहीं आर्थिक परिस्थिति इतनी खराब थी कि पढ़ाई करने के लिए मजदूरी करने भी जाना पड़ा। मोहन मरकाम ने गरीबी और बुरे परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद भी घर की स्थिति को देखकर हार नहीं माना और निरंतर पढ़ाई करते गया। मोहन मरकाम जब 12 वीं पास हुआ तो वनरक्षक की नौकरी मिल भी गई थी लेकिन किन्ही कारणों से उसे ज्वाइन नहीं कर पाया। जिसका पछतावा मोहन मरकाम को बाद में हुआ।
जोमेटो में फूड डेलिवरी का काम भी किया था
मोहन मरकाम ने फिर से मेहनत करने का प्रयास किया और हिम्मत नहीं हारा क्योंकि वह अधिकारी बनना चाहता था। फिर उसके बाद निरंतर मेहनत करते गये और उच्च शिक्षा के लिए कांकेर गया वहां पढ़ाई पुरी करने के बाद वह रायपुर में कोचिंग करने गया।
आगे उड़ान एकेडमी में कोचिंग ज्वाइन किया जिसका फीस जमा करने के लिए मोहन मरकाम के पास पैसे नहीं थे तो उस समय उसके दोस्तों ने सहयोग किया। सविता, जोहर, महन्त, महेश, राजेश, और महेन्द्र इन सभी दोस्तों का मुझे बहुत सहयोग मिला।
इतना ही नहीं मोेहन मरकाम ने पार्ट टाइम में जोमेटो में फूड डेलिवरी का काम भी किया था। मोहन मरकाम का 2021 में प्री निकल गया फिर मेन्स दिलाना था तो उसके दोस्त महन्त और जोहर उसे खाना बनाकर देते थे। दोस्तों ने कहा कि तुम सिर्फ पढ़ाई करने में ध्यान दो और अंत में मेन्स भी निकल गया। फिर इन्टरव्यू के नतीजा मोहन मरकाम पुलिस अधिकारी बन गया।
शिक्षकों का रहा महत्वपूर्ण योगदान
मोहन मरकाम को इस मुकाम तक पहुंचाने में इस दौरान शिक्षको का भी बहुत योगदान रहा उनका मार्ग दर्शन मिलता रहा जिसमें कांति पटेब सर, रविन्द्र सिंह शोरी, रमेश िपस्दा सर, बालमुकुन्द बनेर सर, भगवान दास कोसरिया सर, सन्तोष प्रधान सर, मनोज मरकाम सर, भगतराम नाग सर, श्रवण नेताम सर और सभी शिक्षको का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
परिवार, शिक्षक के साथ दोस्तों को दिया श्रेय
इस सफलता तक पहुंचाने में मेरे दोस्तो का भी योगदान रहा जिसमें राजेश पटेल, महेन्द्र बरेठ, महन्त शोरी, महेश मंडावी, जोहर नेताम, सन्नू, पवित, महेन्द्र शोरी, जितेन शोरी, राजू नेताम, बृज शोरी, सोनाराम शोरी, सविता साहू, इन सभी ने बहुत मदद किया। मोहन मरकाम अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, सभी शिक्षक गण, दोस्त देते है।
सफलता का मूल मंत्र है निरंतर अभ्यास करते रहे
वहीं उनका कहना है कि समाज के आने वाली पीढ़ी के लिए दशा दिशा सफलता का मूल मंत्र है निरंतर अभ्यास करते रहे। परिणाम के विषय में न सोंचे, रख हौसला वो मंजर भी आयेगा, प्यासे के पास समन्दर भी आएगा। थक कर न बैठ मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा।
हमारे गाँव बुडरा में मेरा प्रथम सरकारी जॉब है अभी तक मेरे गांव के आदिवासी समुदाय से हूं। इस संघर्ष के दौरान कई सामाजिक बुराइयों का सामना करना पड़ा जिससे और मोटीवेट होते गया कि कुछ बनके दिखाना है।