अनुकंपा नियुक्ति घोटाला की जनजाति कार्य विभाग सिवनी में जमी है जड़
सिवनी। गोंडवाना समय।
व्यापम घोटाला जैसे ही अनुकंपा नियुक्ति का घोटाला भी मध्यप्रदेश में वृहद स्तर पर हुआ है। अनुकंपा नियुक्ति घोटाला की जड़ सिवनी जनजाति कार्य विकास विभाग में दलाली व वसूली का कार्य करने वाले महेन्द्र चौकसे से जुड़े होने की चर्चा है।
अनुकंपा नियुक्ति का घोटाला के मुख्य किरदार के रूप में महेन्द्र चौकसे के नाम की चर्चा विशेष रूप से हो रही है। जनजाति कार्य विकास विभाग के साथ साथ अन्य विभागों के कुछेक अधिकारियों ने महेन्द्र चौकसे को मुंह लगाकर रखा हुआ है।
अनुकंपा नियुक्ति कराने के मामले में महेन्द्र चौकसे ने ऐसे कारनामा किया है कि वह भारत में इतिहास बनाने वाले विषय है। जिस पर सिवनी जिले के कुछेक नेताओं और भोपाल व जबलपुर के अधिकारियों का भी संरक्षण है।
सरवटे दे रहे सरंक्षण
महेन्द्र चौकसे अंशकालीन भर्ती, संविदा नियुक्ति, स्थानांतरण, आदि विभागीय कार्यों में जनजाति कार्य विकास विभाग में मास्टर मार्इंड के नाम से जाना जाता है। महेन्द्र चौकसे को बढ़ावा देने में जनजाति कार्य विकास विभाग के भोपाल, जबलपुर के कुछेक अधिकारियों ने भूमिका निभा रहे है।
जिसमें उपायुक्त सरवेट का नाम भी प्रमुख रूप से लिया जा रहा है। महेन्द्र चौकसे डंके की चोट पर कहता है कि कौन से आदेश में सरवटे साहब के हस्ताक्षर करवाना है। किसका आदेश निकलवाना है, सरवटे साहब को जहां मैं कहूंगा वहां पर आंख बंद करके हस्ताक्षर कर देते है।
दो-दो अनुकंपा नियुक्ति कराने का मास्टर मार्इंड है महेन्द्र चौकसे
जनजाति कार्य विकास विभाग सिवनी में भी सहायक आयुक्त के पद पर कार्य करने वाले अधिकारी महेन्द्र चौकसे को बढ़ावा देते है। जिस स्कूल में महेन्द्र चौकसे पदस्थ है वहां के बच्चे भी महेन्द्र चौकसे शिक्षक को नहीं पहचानते है।
वहीं जनजातिय कार्य विकास विभाग में अंशकालीन भर्ती, नियुक्ति, ट्रांसफर, अनुकंपा नियुक्ति कराने का ठेका महेन्द्र चौकसे शिक्षक लेता है। इसके लिये वह नियमों को ताक पर रखकर कार्य कराने की गारण्टी देता है। एक अनुकंपा के प्रकरण में दो दो लोगों की अनुकंपा कराने का कार्य भी करा लेता है। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी है लेकिन इसके बावजूद भी शिकवा शिकायत की रास्ता देखते है।