कानूनों का उल्लंघन कर आदिवासियों की संस्कृति व अधिकारों के साथ किया जा रहा खिलवाड़
पेंच टाईगर रिजर्व टुरिज्म के नाम पर कमाई कर आदिवासियों को कर रहा बेदखल
गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की
जबलपुर/सिवनी। गोंडवाना समय।
पेंच टाईगर रिजर्व वन के ग्राम कर्मा झिरी, ग्राम पंचायत टुरिया एवं जमतरा के आदिवासियों को बेदखल ना करने एवं आदिवासी संस्कृति के अनुरूप पर्यावरण को संरक्षित करने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में जनहित याचिका दायर की गई है।
आदिवासियों व वन कानूनों से संबंधित अधिकारों के तहत याचिका दायर की गई
गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ के संभागीय अध्यक्ष श्री किशोरी लाल भलावी, श्रीमति शांता बाई सैयाम, यशवंत कवेर्ती व अन्य के द्वारा एक जनहित याचिका क्र0-34103/2024 इस आशय की दायर की गई है कि पेंच टाईगर रिजर्व फारेस्ट जिला सिवनी द्वारा विभिन्न कानूनों जैसे वन अधिनियम-1927, ग्रीन इण्डिया एवं ग्रीनिश इण्डिया-1988, नेशनल एग्रीकल्चर कमीशन-1972 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद-244 में प्रदत्त आदिवासियों को स्वयत्ता का अधिकार जिसमें 5 वीं एवं 6 वीं अनुसूची के प्रावधान दिए गए हैं, उसे म०प्र० में लागू करने, आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिये पट्टा अधिनियम-2006 आदि कानून बनाये गये हैं।
जंगल सत्याग्रह में आदिवासी हुये शहीद
गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ के संभागीय अध्यक्ष श्री किशोरी लाल भलावी ने आगे जानकारी देते हुये बताया कि जिसमें यह प्रावधान है कि आदिवासी जो सदियों से जंगलों में निवासरत हैं, उनकी संस्कृति अनुरूप उन्हें जंगलों में रहने का अधिकार और पट्टा दिऐ जाने प्रावधान दिऐ गऐ हैं।
वहीं दिनांक-09 अक्टूबर 1930 को एक सत्ताग्रह आदिवासियों ने जंगल सत्याग्रह के रूप में किया था, जिसमें अंग्रेजों से लोहा लेकर 4 महिला आदिवासी एवं एक पुरूष आदिवासी शहीद हुऐ थे, उस समय अंग्रेजों ने उन्हें गोलियों से छलनी किया था, जहां वर्तमान में उनका स्मारक बना हुआ है।
उक्त ग्रामों को बेदखल करने की साजिश रची जा रही है
गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ के संभागीय अध्यक्ष श्री किशोरी लाल भलावी ने आगे जानकारी देते हुये बताया कि पेंच टाईगर रिजर्व फारेस्ट के बीच से नागपुर, जबलपुर, हाईवे गुजरता है और उक्त हाइवे से लगे गांव ग्राम पंचायत टुरिया, ग्राम पंचायत कर्माझिरी एवं जमतरा ग्राम स्थित हैं। जहां जो ग्राम आदिवासी बाहुल क्षेत्र हैं पूर्व में म०प्र० शासन द्वारा विभिन्न कानूनों की अनदेखी कर उक्त ग्रामों को पेंच टाईगर फारेस्ट रिजर्व एरिया से हटाकर वर्तमान में बसाया गया था किंतु पुन: शासन द्वारा उक्त रिजर्व एरिया को बढ़ाने का प्रयास कर उक्त ग्रामों को बेदखल करने की साजिश रची जा रही है।
टूरिज्म के नाम पर कमाई की जा रही है
गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ के संभागीय अध्यक्ष श्री किशोरी लाल भलावी ने आगे जानकारी देते हुये बताया कि टूरिजम के नाम पर रात दिन लाखों वाहन का आवागमन वन के अंदर कर शासन द्वारा मोटी कमाई की जा रही है और आदिवासी व्यक्ति जो सदियों से जंगल में रह रहा है, उन्हें बेदखल किया जा रहा है, जबकि उक्त ग्राम हाईवे से लगे हुऐ है और हाईवे को जानवरों व वन्य प्राणियों के संरक्षण के अनुरूप विकसित किया गया है।
पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है
एक ओर तो म०प्र०शासन द्वारा व्यवसायिककरण कर शेर, बाघ, व अन्य जंगली जानवरों को दर्शन कराने के नाम पर मोटी कमाई की जा रही है और 24 घण्टे उनसे छेड़छाड़ कर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर आदिवासी जो सदियों से जंगल में रहकर वन्य प्राणियों की रक्षा कर उनके बारे में पूर्ण जानकारी रख कर पर्यावरण व अपनी संस्कृति से तालमेल बनाऐ हुऐ हैं किंतु म०प्र०शासन द्वारा आधुनीकरण के नाम पर विभिन्न कानूनों का उल्लंघन कर उनके संस्कृति व हितों से खिलवाड़ कर रहा है जिसके विरोध में उक्त जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिकाकर्तागणों की ओर से अधिवक्ता बालकिशन चौधरी, नारायण चौधरी, समयक बौद्ध पैरवी कर रहे हैं।