ट्राइबल विभाग सिवनी में नियम विरूद्ध अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग करने की तैयारी
सहायक आयुक्त कार्यालय में नियम विरूद्ध जमे कुछ अधिकारी कर्मचारी कर रहे खेला
भाजपा सरकार, शासन, प्रशासन की सुशासन की नीति के विरोध में करवा रहे माहौल तैयार
सिवनी। गोंडवाना समय।
वर्तमान में जनजाति कार्य विभाग सिवनी में अतिशेष शिक्षकों की दावा-आपत्ति मंगा कर केवल खाना पूर्ति की जा रही है।
सूत्रों प्राप्त जानकारी अनुसार सब अपने चहेतों को बचा रहे हैं। जिले में कहीं उसी विषय के शिक्षक को, शिक्षक की कमी बताकर अतिशेष बताया जा रहा है, तो वहीं कहीं उसी विषय के शिक्षक को अतिशेष बताया जा रहा है तो कन्ही शिक्षकों की कमी है, यह बताते हुए प्रभावशाली व्यक्तियों के रिश्तेदारों को यथावत रखने की पूर्ण तैयारी कर ली गई है।
अत्यधिक त्रुटि पूर्ण अतिशेष शिक्षकों की तैयार की गई है
जनजाति कार्य विभाग सिवनी में भारी आरोप प्रत्यारोप और विवादों के बीच अतिशेष शिक्षकों की सूची जारी हो गई है। जिसमें अत्यधिक विसंगतियां है। प्रथम दृष्टि में सूची का निरीक्षण करने पर पता चल रहा है कि सच में अत्याधिक त्रुटि पूर्ण अतिशेष शिक्षकों की तैयार की गई है।
जानकारी यह भी है कि कमेटी द्वारा जो निर्णय को लिया गया था लेकिन कुछ तानाशाही रवैया वाले अधिकारियों द्वारा अपनी मनमर्जी से कुछ शिक्षकों को अतिशेष किया गया और कुछ शिक्षकों को नहीं किया गया है जबकि संस्थानों में स्थिति समान है।
जनजाति कार्य विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
वहीं जबकि मध्य प्रदेश शासन जनजाति कार्य विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा जारी आदेश भोपाल दिनांक 24/09/2024 में स्पष्ट रूप से आदेशित किया गया है कि अतिशेष शिक्षकों कि प्रस्थापना केवल, शिक्षक विहीन शालाओं में ही किया जावे। इसके साथ मध्य प्रदेश शासन जनजाति कार्य विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा स्पष्ट रूप से यह भी निर्देशित किया गया है कि शिक्षक विहीन शालाओं के अलावा अन्यत्र कहीं भी शिक्षकों की पदस्थापना ना कि जावे।
अतिशेष की परिभाषा को बदलकर चला रहे अपनी मनमर्जी
जनजाति कार्य विभाग सिवनी में फिर भी कुछ तानाशाही एवं रूपये कमाने के लोभी अधिकारी मनमर्जी से अतिशेष की परिभाषा को ही बदलकर शिक्षकों नियम विरूद्ध शिक्षक विहीन शाला के अलावा अन्य शालाओं में भेजने की पूर्ण तैयारी में जुड़ गए हैं जिसमें उनके कुछ दलाल भी शामिल है जो शिक्षक संवर्ग से ही है।
रूपये कमाने के उद्देश्य से नियमों के विरुद्ध पदस्थापना करने में लगे हुए हैं
प्रथम दृष्टि में तो अतिशेष शिक्षकों की सूची ही निरस्त हो जाना चाहिए था। यदि फिर भी यदि अतशेष शिक्षकों की सूची निरस्त नहीं की जाती है तो फिर शासन के आदेश का पूर्णता पालन किया जाना चाहिये। ऐसी स्थिति में यह भी चर्चा चल रही है कि अतिशेष शिक्षक काउंसलिंग का बहिष्कार कर सकते है।
वैसे भी वर्तमान समय में तिमाही परीक्षा के बाद छमाही परीक्षा का समय चल रहा है एवं अध्यापन कार्य भी व्यवस्थित चल रहा है। ऐसे समय में जनजाति कार्य विभाग सिवनी द्वारा इस प्रकार शासन के आदेशों की अवहेलना कर रूपये कमाने के उद्देश्य से नियमों के विरुद्ध पदस्थापना करने में लगे हुए हैं ।