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क्या सिवनी कलेक्टर को चुनौती दे रहे छात्रावास अधीक्षक ?

क्या सिवनी कलेक्टर को चुनौती दे रहे छात्रावास अधीक्षक ?

सिवनी। गोंडवाना समय। 

छात्रावास में अध्ययनरत व निवासरत विद्यार्थियों कोे सुविधाजनक व्यवस्था प्रदान करने के लिये सिवनी जिला कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन द्वारा बेहतर प्रयास किया जा रहा है।
                


इसके लिये संभवतय: ऐसा पहली बार ही किसी आईएएस अधिकारी ने छात्रावास का निरीक्षण कराने के लिये टीम का गठन करते हुये छात्रावास में क्या व्यवस्था मिल रही है, क्या व्यवस्था होना चाहिये, छात्रावास की क्या स्थिति है ऐसे अनेक बिंदुओं पर वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिये प्रोफार्मा भरवाकर जानकारी एकत्र करने का कार्य किया है। इससे संभावना है कि छात्रावास की व्यवस्था में सुधार आयेगा और शैक्षणिक विकास में सहायक सिद्ध होगा। 

कलेक्टर कार्यालय व सहायक आयुक्त कार्यालय के समीप छात्रावास में लापरवाही 


इसके बाद भी कुछेक छात्रावास व आश्रम में जिम्मेदार अधीक्षक लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यदि सिवनी कलेक्टर कार्यालय और सहायक आयुक्त कार्यालय के समीप ही छात्रावास में लापरवाही बरती जा रही हो तो फिर इसे क्या कहा जायेगा।
                इससे तो यही प्रतीत होता है कि छात्रावास अधीक्षक सिवनी जिले की कलेक्टर को ही चुनौती दे रहे है। जब स्वयं सिवनी जिले की कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन छात्रावास की व्यवस्थाओं को सुधार कर शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ छात्रावास अधीक्षक छात्रावास की व्यवस्था को अपने हिसाब से मनमर्जी से चलाने का प्रयास कर रहे है। 

थाली में भोजन लेकर जाती है छात्रायें, दुघर्टना की है आशंका 


हम आपको बता दे कि गोंडवाना समय के पास सिवनी मुख्यालय में दलसागर तालाब के किनारे स्थित छात्रावास का एक वीडियों व फोटोग्राफस प्राप्त हुई है। जिसमें छात्रायें थाली में भोजन लेकर जाती हुई नजर आ रही है। जबकि प्रत्येक छात्रावास में मेस की व्यवस्था व बैठालकर भोजन खिलाने की व्यवस्था शासन द्वारा की गई है।               

 
ऐसी स्थिति में यदि गर्म भोजन थाली में ले जाती हुई छात्रायें नजर आ रही है। वहीं यदि जहां भोजन बनता होगा यदि वहां से लाती होंगी उस दौरान गर्म भोजन के बर्तन आदि से कोई अनहोनी घटना घट जाती है तो ऐसे समय में कौन जिम्मेदार होगा।
                इसके साथ ही थाली में एक बार में जितना भोजन मिलता होगा उतना ही छात्राओं के द्वारा किया जाता होगा क्योंकि बार-बार थाली लेकर जाना पड़ता है। इससे भोजन करने में भी छात्राओं को परेशानी होती होगी। अर्थात भरपेट भोजन छात्रायें नहीं कर पाती होगी।
            इसके लिये कौन जिम्मेदार है यह तो वहां के प्रबंधन व प्रमुख कर्ता धर्ता ही जानते है। इतना जरूर है कि छात्रावास में कलेक्टर की मंशा के विपरीत कार्य किया जा रहा है। इस पर जनजातिय कार्य विभाग के उच्चाधिकारी को संज्ञान लेने की आवश्यकता है। 

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