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85 लाख की लागत से बने भवन में छत से पानी टपकता है, एक ही साल में दिखने लगी खराबी

 85 लाख की लागत से बने भवन में छत से पानी टपकता है, एक ही साल में दिखने लगी खराबी

1 साल पुराने भवन में बड़े पैमाने पर खराबी, जिम्मेदार कौन ? 

उपतहसील भवन अपनी खराब गुणवत्ता के लिए चर्चा में है 

85 लाख की लागत से बने भवन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं

भवन की खराबी से उठते सवाल, जांच की मांग तेज


अजय नागेश्‍वर, विशेष संवाददाता
उगली। गोंडवाना समय।

मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग द्वारा स्वीकृत उपतहसील कार्यालय भवन उगली का निर्माण 11 फरवरी 2023 को पूरा हुआ था, जिसकी लागत 85 लाख रुपये थी। लेकिन अब यह भवन अपनी खराब गुणवत्ता के लिए चर्चा में है। महज एक साल में ही भवन की छत से पानी टपकने लगा है और दरवाजों की गुणवत्ता भी बहुत खराब है।
            


इस मामले में भ्रष्टाचार की बू आती है, क्योंकि इतनी बड़ी राशि के बावजूद भवन की गुणवत्ता इतनी खराब है। यह मामला मध्यप्रदेश शासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। साथ ही, भवन की मरम्मत के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि लोगों को अच्छी सेवाएं मिल सकें।

उगली उपतहसील भवन घोटाला: ठेकेदार पर गुणवत्ताहीन निर्माण के आरोप


उगली उपतहसील भवन के निर्माण में ठेकेदार पर गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग करने और अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। भवन की लागत 85 लाख रुपये थी, लेकिन निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। ठेकेदार पर आरोप है कि उन्होंने भवन की गुणवत्ता से समझौता किया और अनियमितताओं को छिपाया। लोगो का कहना है कि भवन की गुणवत्ता इतनी खराब होने के बावजूद नायब तहसीलदार कुंवर लाल राऊत द्वारा हैंडओवर लेना भ्रष्टाचार को दशार्ता है।

भवन की खराब गुणवत्ता के बावजूद हैंडओवर, भ्रष्टाचार की आशंका


उगली उपतहसील भवन के हैंडओवर में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। नायब तहसीलदार, श्री कुंवर लाल राऊत, ने भवन की खराब गुणवत्ता के बावजूद हैंडओवर लिया है। भवन की लागत 85 लाख रुपये थी, लेकिन निर्माण में गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग किया गया है।
                उपतहसील के कर्मचारियों ने बताया कि भवन की छत से पानी टपकता है, दरवाजे अच्छे क्वालिटी के नहीं हैं और अन्य कई समस्याएं हैं। लोगों का कहना है कि भवन की गुणवत्ता इतनी खराब होने के बावजूद हैंडओवर लेना नायब तहसीलदार कुंवर लाल राऊत की विफलता को दशार्ता है।अब प्रश्न यह उठता है कि क्या नायब तहसीलदार ने भवन की गुणवत्ता की जांच की ? क्या उन्हें भवन निर्माण में अनियमितताओं की जानकारी थी ? क्या उनके भवन के निर्माणकतार्ओं से संबंध हैं ?

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