शिक्षण संस्थाओं के भवन की खस्ताहालत क्यों है-रावेनशाह उईके
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में शैक्षणिक विकास के लिये विशेष कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत
सिवनी। गोंडवाना समय।
शासन का ध्यान बड़े से बड़े कारखाने, अधिकारियों के दफ्तर व नेताओं के बगलों को संवारने की तरफ विशेष रूप से रहता है। वहीं दूसरी आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी के शासकीय स्कूल प्राथमिक, माध्यमिक भवन दुरुस्त तक नहीं कर पा रहे हैं।
इसलिए शायद अब बच्चों के पालक बच्चों की अच्छी एवं अच्छे भवन वाले प्राइवेट या शहर की ओर अग्रसर हो रहे है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में हर गांव में प्राथमिक और हर पंचायत गांव में माध्यमिक शालाए स्थापित है।
454 ऐसे स्कूल हैं जिनमें सुधार कार्य होना अति आवश्यक है
सामाजिक कार्यकर्ता रावेन शाह उईके ने बताया कि यदि आंकड़ों की बात करें तो जिले में लगभग 749 माध्यमिक और 2097 प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। जिनमें 454 ऐसे स्कूल हैं जिनमें सुधार कार्य होना अति आवश्यक है। अन्यथा कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
वहीं 108 स्कूल ऐसे हैं जहां बालक बालिकाओं के शौचालय भी नहीं हैं और लगभग 43 स्कूल हैं जिनके परीक्षा परिणाम 35% से भी कम रहे। इसीलिए पिछले वर्ष जहां पहली कक्षा में जितने बच्चों ने प्रवेश लिया था, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर लगभग आधा हो गया है। जिले के कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें जीरो ईयर की नौबत आ गई है।
सांसद, विधायक नहीं उठाते आवाज
ग्रामीण क्षेत्रों के इन स्कूलों में शिक्षक भी अब पर्याप्त नहीं है। सिवनी जिले में शैक्षणिक सुविधाओं की हालात चिंताजनक है। अतिथि शिक्षको को कम वेतन देकर उनके भरोसे शिक्षण संस्थान चल रहे हैं, क्या ऐसे में शिक्षा का विकास हो सकेगा। ऐसी स्थिति में भी जिले के नेता विधायक/सांसदों ने इस मुद्दे पर आज तक सदन में आवाज नहीं उठाए हैं।
जर्जर स्कूल भवनों में बाउंड्रीवाल जरूर बनाई जा रही है
हां जरूर देखा जा रहा है कि स्कूल परिसरों में शाला विकास के नाम से 20 लाख की राशि से अधिक की बाउंड्रीवॉल बनाईं जा रही है। योजना आदिवासी विकास मद से, गौण खनिज मद से, स्टांप शुल्क मद से एवं राज्य शासन 15 वें वित्त अनुदान मद से परंतु जिले के आधा से ज्यादा स्कूलों में सुविधायुक्त भवन की जरूरत है। अितरिक्त कक्ष में पांच-पांच क्लास एक साथ लग रही है।
कमीशन के चलते भवन की बजाय बाउंड्रीवाल की कार्ययोजना बना रहे अधिकारी
वहीं उनमें शौचालय व्यवस्था भी दुरुस्त नही है। 50 % से अधिक ग्रामीण स्कूलों में स्वस्थ पेयजल आपूर्ति भी नहीं हो रही है। जिन मदों का उपयोग बाउंड्रीवाल बनाने में किया जा रहा है जबकि इन मदों से प्राथमिक माध्यमिक भवन निर्माण कराया जा सकता है। जिले की कार्ययोजना बनाई जा सकती है लेकिन अधिकारी मोटी कमीशन के चलते ऐसा सुझाव सरकार को नहीं देना चाहते हैं।
सैकड़ों स्कूलों में सड़क की समस्या भी बनी हुई है
यदि मंशा स्पष्ट शिक्षा व्यवस्था के लिए होगी तो किया जा सकता है। आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक सुविधाओं व स्कूल भवन की स्थिति अधिकांश स्थानों पर जर्जर स्थिति में है वहीं कुछेक स्कूलों में पहुंच मार्ग भी नही है, ऐसे सैंकड़ों स्कूल हैं। जो मुख्य मार्ग सड़क से आज तक जुड़ नहीं सके है जबकि सरकार शिक्षा व्यवस्था के बजट पर विकास का राग अलापने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं लेकिन वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत है।
कलेक्टर से शैक्षणिक विकास को प्राथमिकता देने जताई अपेक्षा
अब सिवनी जिले के नवागत कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन से सामाजिक कार्यकर्ता रावेन शाह उईके ने आशा व्यक्त किया है कि इन सब विषयों की रिपोर्ट तैयार कर खस्ताहाल स्कूलों की व्यवस्था पर शासन स्तर तक पहुंचाएंगी। सिवनी जिले की विकास की कार्ययोजना में इन सब विषयों को प्राथमिकता देंगी। जिससे हर बच्चे का हक और जिले की स्कूलों की दशा में सुधार हो सके।
जल जीवन मिशन की पोल खोल रहे स्कूलों में टोंटी लगे नल
कुछ ग्रामों में तो प्राथमिक शाला भवन नहीं है यदि पुराना है तो वह टूट चुका है। ऐसी स्थिति में पंचायत भवन में स्कूल के बच्चे पढ़ रहे है। शासकीय स्कूलों में शौचालय की समस्या भी है जिससे विशेषकर छात्राओं को सामना करना पड़ता है। वहं ग्रामीणों क्षेत्र में जर्जर भवनों से जान जोखिम का खतरा रहता है। शासकीय स्कूलों में पीएचई विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत टोंटी तो लगा दी है लेकिन स्कूलों में पानी सप्लाई बंद पड़ी हुई है। जहां जरूरत नहीं है वहां बनाई जा रही 25 लाख की बाउंड्री बाल आखिर क्यों ?