हम गोड़ आदिवासी समुदाय के है, हम अपना धर्म क्या लिखें यह सरकार व शासन ही हमें बतायें
गोंडवाना गुरू दादा दुर्गे भगत जगत जी का घंसौर, सिवनी मुख्यालय में हुआ स्वागत-अभिनंदन
मीडिया से रूबरू होकर गोंडवाना गुरू दादा दुर्गे भगत जगत जी ने गोंडी धर्म, संस्कृति, की मुखरता से रखी बात
सिवनी। गोंडवाना समय।
दिनांक 14 सितंबर 2024 दिन शनिवार को छत्तीसगढ़ के तिवरता धाम के गोंडवाना गुरूदेव दुर्गेभगत जगत जी एवं गुरूमाता करूणामयी दाई दुगेर्दुलेश्वरी जी का आगमन एवं 11 राज्यों के लोगों के साथ 200 गाड़ियों का काफिला के साथ करमडार एवं कर्मा नृत्य महोत्सव कार्यकम छिंदवाड़ा पोला ग्राउंड में संपन्न होने जा रहा है।
जिसमें 3 बजे के बीच सिवनी जिला के प्रारभिंक ग्राम रजरवाड़ा से घंसौर में स्वागत वंदन एवं मीडिया से वार्तालाप किया गया। इकसे बाद कहानी, लखनादौन, छपारा, सिवनी में 4 बजे से 5 बजे के बीच आगमन रानी दुर्गावती चौक गांधी भवन में स्वागत वंदन किया गया। इसके बाद छिंदवाडा की ओर प्रस्थान किया गया।
घंसौर व सिवनी मुख्यालय में हुआ भव्य स्वागत
करमडार महापूजा एवं करमा नृत्य महोत्सव 2024 कार्यक्रम जो कि छिंदवाड़ा में 14 सितंबर 2024 को आयोजित है। उक्त आयोजन में गोंडवाना गुरूदादा दुर्गेभगत जगत जी एवं करूणामयी दाई दुर्गे दुलेश्वरी जी का आगमन सिवनी जिले में भी 14 सिंतबर को हुआ।
मण्डला से प्रस्थान कर वह घंसौर पहुंचे जहां पर उनका भव्य स्वागत, सत्कार, अभिनंदन हुआ। इसके पश्चात लखनादौन, छपारा होते हुये सिवनी जिला मुख्यालय पहुंचे। जहां पर वीरांगना रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल पर उन्होंने गोंडियन सगा समाज को संदेश दिया।
गोंडी धर्म, संस्कृति, भाषा की पहचान बनाये रखने के लिये कार्य कर रहे है
इसके साथ ही गोंडवाना समय संपादक से चर्चा के दौरान गोंडवाना गुरू दादा दुर्गे भगत जगत जी ने अपने संदेश में कहा कि वह छत्तीसगढ़ से चलकर सिवनी होते हुये छिंदवाड़ा में आयोजित करमडार महोत्सव कार्यक्रम में जा रहे है। गोंडी धर्म, संस्कृति, भाषा की पहचान को बनाये रखने के लिये कार्य किया जा रहा है। 18 राज्यों के साथ मिलकर कार्य कर रहे है।
यदि गोंड है तो हिंदु नियम धर्म लागू नहीं होता है
आगे गोंडवाना गुरू दादा दुर्गे भगत जगत जी ने अपने संदेश में कहा कि अभी जनगणना होने वाली है। हम गोड़ समुदाय के है, हम अपना धर्म क्या लिखे, यह हम सरकार, शासन से पूछना चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दिया कि वर्ष 1871 से 1941 तक हम आदिवासियों को 6 धर्म से अलग रखा गया था तो अभी हम क्या लिखें। छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की 164 और 165 पर स्पष्ट लिखा है कि यदि गोंड है तो हिंदु नियम धर्म लागू नहीं होता है।
करमडार एकादशी के दिन पूजन किया जाता है
सबके अपने अपने धर्म व पहचान है, हम गोंडी धर्म को मानने वाले है, हमारी पहचान संस्कृति व संस्कार से होती है। गोंडी संस्कृति का अर्थ होता है प्रकृति के अनुसार संचालित होती है। पुरखों से चली आ रही व्यवस्था को बनाये रखने के लिये हम यह कार्यक्रम करते चले आ रहे है। हम गोंडी धर्म ही लिखेंगे, पेंसिल में नहीं पेन से लिखवायेंगे और लिखेंगे, जाति का गोंड है तो हिन्दु नियम लागू नहीं होता है, हम प्रकृति पूजक है। वहीं उन्होंने बताया कि करमडार एकादशी के दिन पूजन किया जाता है।
प्रमुख रूप से ये रहे मौजूद, पुलिस व प्रशासन ने सुचारू व्यवस्था में दिया सहयोग
दिलीप सिंह सैयाम की अगुवाई में गोंडवाना गुरूदेव, गुरू माता का सासम्मान स्वागत घंसौर ब्लॉक में किया गया छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष बल्लू नेताम, सिवनी जिला अध्यक्ष गनाराम पंद्रे, राजा, दिलीप कुमार भगदिया जिला सचिव गों.ध.सं.सं.समिति सिवनी वर्तमान जनपद सदस्य घंसौर, नारायण वरकड़े, अशोक मरावी ब्लॉक अध्यक्ष घंसौर, शिवलाल भगदिया ब्लॉक संयोजक, तितु तेकाम ब्लॉक सचिव घंसौर मौजूद रहे। करमडार महोत्सव में आगमन व वाहन की रैली को सुविधाजनक रूप से आवागमन करने हेतु सिवनी जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।