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हिमाचल प्रदेश के सोलन में धूमधाम से मनाया गया 13 सितंबर अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस

हिमाचल प्रदेश के सोलन में धूमधाम से मनाया गया 13 सितंबर अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस

विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने राज्य में जनजातीय समूहों की दशा और दिशा के बारे में बताया

सुशिल म. कुवर, राष्ट्रीय संवाददाता
हिमाचल प्रदेश। गोंडवाना समय

आदिवासी समन्वय मंच भारत द्वारा आयोजित 18 वें अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस की शुरूआत हिमाचल प्रदेश की आदिवासी महिलाओं द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच धरती पूजा के साथ हुई।
                 


मुख्य कोर कमेटी द्वारा अतिथियों का स्वागत हिमाचल प्रदेश की परंपरा के अनुसार किन्नरी टोपी एवं शॉल भेंट कर किया गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 13 सितंबर 2007 को इस दिवस की घोषणा की गई थी। देश के विभिन्न राज्यों में आम मुद्दों पर काम कर रहे आदिवासी संगठनों और संस्थानों को संगठित करने के उद्देश्य से आदिवासी समन्वय मंच भारत हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में इस कार्यक्रम का आयोजन करता है। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने राज्य में जनजातीय समूहों की दशा और दिशा के बारे में बताया।

महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किये 


इस अवसर पर महाराष्ट्र से डोंगर बागुल, डॉ. सुनील पर्हाड, राजू पांढरा, किसन ठाकरे ने महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर जूम मीटिंग के जरिए ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले सोनम वांगचूक की बातें सभी ने सुनीं।
            उन्होंने कहा कि हम लोग लद्दाख से दिल्ली तक पृथ्वी बचाओ लॉन्ग मार्च शुरू कर चुके हैं, हम 2 अक्टूबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचेंगे। हॉल में मौजूद लोगों ने खड़े होकर सोनम वांगचूक का समर्थन किया और पृथ्वी बचाओ के नारे के साथ हॉल से बाहर चले गए, सोनम जी इस समय भावुक हो गये।

पैनल डिस्कशन और सेमिनार का आयोजन किया गया 


13 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस का पहला आयोजन नई दिल्ली के जंतर-मंतर, दूसरा नागपुर महाराष्ट्र, तीसरा रांची झारखंड, चौथा मैसूर कर्नाटक, पांचवां भिलोदा राजस्थान, छठा दीपू असम, सातवां रायपुर छत्तीसगढ़, आठवां भद्राचलम तेलंगाना में और नौवां सोलन में आयोजन हुआ। महाराष्ट्र के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे। पहले दिन के कार्यक्रम में देश के अलग-अलग जोन में पैनल डिस्कशन और सेमिनार का आयोजन किया गया।

नृत्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया 


इस दौरान बिरसा मुंडा कला पथक जामले, नासिक महाराष्ट्र का डूंगरदेव (पहाड़ पूजा) नृत्य और पालघर का तारपा पथक नृत्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
         अशोकभाई चौधरी, वी मुथैया, उत्पल चौधरी, पोरलाल खरते, स्टेलिन इंगती, पप्पाराव, देवकुमार नेगी, डॉ. शांतिकर वसावे, डोंगरभाऊ बागुल, डॉ. सुनील पर्हाड़ , किसन ठाकरे, रावण चौरे, के. के गांगुर्डे, सुभाष गवली, जयवंत गारे, कवि रमेश भोये, विजय घुटे, विजय पवार, हरिश्चंद्र भोये, पंडित बहिरम, नामदेव बागुल, आनंदराव भोये, रतन चौधरी, नामदेव ठाकरे, दत्तू साबले, दत्तू भोये, सुधाकर देशमुख, बालू बहिरम, मनोहर गायकवाड़, सोनू गायकवाड़, सरोजताई भोये, रुख्मिणी गवली, सुरेखा ठाकरे, पत्रकार देवेन्द्र धूमसे, पूर्व जिला परिषद सदस्य एवं विशिष्ट अतिथि सुश्री रतन मंजीरा, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक कवासी लखमा छत्तीसगढ़ उपस्थित थे।


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