सुप्रीम कोर्ट के एससी, एसटी वर्ग के निर्णय के विरोध में भारत बंद का सिवनी जिले में रहा व्यापक असर
भारत बंद को सिवनी के व्यापारियों ने दिया स्वेच्छा से समर्थन, शांतिपूर्वक सफल हुआ आयोजन
एससी, एसटी समुदाय संवैधानिक अधिकारों को लेकर एकजुट आये नजर
सिवनी। गोंडवाना समय।
अनुसूचित जाति/जन जाति के संवैधानिक अधिकार (आरक्षण में वर्गीकरण एवं क्रीमिलेयर) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय को रद्द करते हुए अध्यादेश के माध्यम से पूर्ववत स्थिति यथावत रखे जाने की मांग को लेकर भारत बंद का आहवान 21 अगस्त को किया गया था।
उक्त संबंध में जारी विज्ञप्ति में अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त मोर्चा के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया ने बताया कि जिसके तहत सिवनी जिला भी शांतिपूर्वक पूर्णत: बंद रहा।
अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के सदस्यों के द्वारा अपने अपने हक अधिकारों के लिये सड़क पर उतरकर अपना आक्रोश व विरोध प्रदर्शन करते नजर आये। भारत बंद के तहत सिवनी बंद में को व्यापक समर्थन व्यापारी बंधुओं का मिला।
व्यापारी बंधुओं, जिला व पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त किया
सिवनी जिला सहित सिवनी जिला मुख्यालय के व्यापारी बंधुओं ने स्वप्रेरणा व स्वेच्छा से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जाति वर्ग के संवैधानिक हक अधिकारों की मांग को अपना पूर्ण समर्थन देते हुये अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखा गया।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति संयुक्त मोर्चा के द्वारा सिवनी जिला सहित सिवनी जिला मुख्यालय के समस्त व्यापारिक बंधुओं का आभार व्यक्त किया गया है।
वहीं सिवनी जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के द्वारा आयोजन को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनाने में सुरक्षा व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है इस हेतु आयोजकों के द्वारा जिला व पुलिस प्रशासन का भी आभार व्यक्त किया गया।
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा
वहीं एससी एसटी संयुक्त मोर्चा की रैली के पश्चात अंबेडकर स्मारक में महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम जिला मुख्यालय सिवनी में जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम सिवनी को ज्ञापन सौंपा गया।
जाति, जातियों के बीच उप वर्गीकरण नही किया जा सकता
अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त मोर्चा के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया ने आगे बताया कि ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा विगत दिनांक 01 अगस्त 2024 को दरविन्दर सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में निर्णय पारित किया गया है कि अनुसूचित जाति/जन जाति के भीतर आरक्षण के लिए उप वर्गीयकरण किया जा सकता है जबकि पूर्व में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के द्वारा ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्रप्रदेश राज्य के मामले में निर्णय पारित किया गया था कि अनुसूचित जातियों एवं जन जातियों के बीच एक समरूपता है।
सभी जातियां समान वर्ग में आती है। इसलिए जाति, जातियों के बीच उप वर्गीकरण नही किया जा सकता। परम पूज्य डॉ० अम्बेडकर जी के द्वारा रचित भारतीय संविधान के भाग-3 मूल अधिकार में समता का अधिकार प्रदान किया गया है।
विधि के समक्ष समता अनुच्छेद 14 में उल्लेखित किया गया है और अनुच्छेद 15 में लिखा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक के विरूद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म के स्थान अथवा इनमें से किसी के आधार पर विभेद नहीं करेगा ।
हम आपस में एकता और अखण्डता बनाए रखना चाहते है
किन्तु भारतीय संविधान की मूल अवधारणा को खंडित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 01 अगस्त 2024 में निर्णय पारित किया गया है जिसमें जातियों के बीच उक्त निर्णय से अनेकों मतभेद उत्पन्न होना निश्चित है। हम अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोग आपस में एकता और अखण्डता को विभेद नहीं करना चाहते और हम आपस में एकता और अखण्डता बनाए रखना चाहते है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित निर्णय को निरस्त किए जाने की मांग कर संविधान के अनुच्छेद 341, 342 के तहत अनुसूचित जाति/अनु. जनजाति को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था कराई जावें तथा संविधान की अनुसूचि 9 में रखें जाने की मांग के साथ 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदया को जिला कलेक्टर सिवनी के माध्यम से प्रेषित किया गया।
एससी, एसटी संयुक्त मोर्चा की प्रमुख मांगें
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 01 अगस्त 2024 में निर्णय पारित किया गया है उसको लेकर एससी, एसटी समुदाय में आक्रोश व्याप्त है। इसी के तहत भारत बंद का आहवान किया गया जिसमें सिवनी जिला भी पूर्णत: बंद रहा। वहीं इस दौरान एससी, एसटी संयुक्त मोर्चा के द्वारा ज्ञापन सौंपा गया। जिसमेें 12 बिंदुओं पर ज्ञापन सौंपा गया। आरक्षण का वर्गीकरण एवं क्रीमिलेयर का निर्णय तत्काल निरस्त किया जावें, 01 अगस्त 2024 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला तत्काल रद्द करते हुए अध्यादेश के माध्यम से पूर्ववत आरक्षण यथावत किया जावें।
जजों की नियुक्ति हेतु न्यायिक आयोग का गठन किया जावें
अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त मोर्चा के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया ने आगे बताया कि इसके साथ ही पूना पैक्ट रद्द किया जावें, कालेजियम व्यवस्था (जजों द्वारा जजों की नियुक्ति) की प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए संविधान में नियमानुसार नियम बनाए जाऐं, जजों की नियुक्ति हेतु न्यायिक आयोग का गठन किया जावें ताकि जजों की नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के वर्ग के समुदायों का प्रतिनिधित्व हो सकें, विभिन्न परीक्षाओं के लिए जो चयन मंडल का गठन किया जाता है उसमें अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के सदस्यों को नियमानुसार नियुक्त किया जावें। परीक्षा में लेटरल एंट्री की गलत प्रक्रिया को तत्काल समाप्त किया जावें एवं बैकलॉग व्यवस्था के अन्तर्गत बैकलॉग पदो की भर्ती तुरंत की जावें ।
सुप्रीम कोर्ट का उक्त आक्षेपित आदेश निरस्त करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल की जावे
पुरानी पेंशन व्यवस्था पुन: लागू की जावें, संवैधानिक संस्थाओं का सरकार द्वारा दुरूपयोग समाप्त कर उन्हें स्वायत रखा जावें, पूरे देश में जातिगत जनगणना कराई जावें, फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहें लाखों फर्जी लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जावें, ठेकाप्रथा समाप्त कर सफाई कर्मचारियों को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाकर उसका लाभ उन्हें दिलाया जावें।
हमारी उपरोक्त सभी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए निश्चित समय सीमा के भीतर निराकरण कर करोड़ो की संख्या में रह रहें अनुसूचित जाति/जनजाति के हक एवं अधिकारों देश में की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का उक्त आक्षेपित आदेश निरस्त करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल की जावें।
राजनैतिक दलों व पिछड़ा वर्ग संगठनों ने दिया समर्थन
अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त मोर्चा के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया ने आगे बताया कि एससी, एसटी वर्ग के हक अधिकारों को लेकर बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी, सहित एससी, एसटी के सामाजिक संगठनों के साथ साथ पिछड़ा वर्ग के सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने भी आगे आकर खुला समर्थन दिया।
कार्यक्रम के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त मोर्चा के समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों की मौजूदगी रही।