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जल संसाधन विभाग और ठेकेदार की लापरवाही से आदिवासी किसानों की मक्का की खड़ी फसल हुई बर्बाद

जल संसाधन विभाग और ठेकेदार की लापरवाही से आदिवासी किसानों की मक्का की खड़ी फसल हुई बर्बाद

केवलारी विधानसभा क्षेत्र के मुंडरई-कुड़ोपिपरिया के आदिवासी किसानों ने पूरी नुकसानी दिलाये जाने की मांग किया

मक्का की फसल की जगह आदिवासी किसानों के खेत में मलबा, पत्थर-बोल्डर आ रहे नजर 

पटवारी सतीष जंघेला झूठ बोलकर आदिवासी किसानों को कर रहा गुमराह 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

केवलारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मुंडरई के रहने वाले आदिवासी किसानों की 5 एकड़ में लगी मक्का की फसल जल संसाधन विभाग सिवनी और ठेकेदार की लापरवाहीपूर्वक कार्य करने के कारण बर्बाद हो गई है।
            


हम आपको बता दे कि भमोड़ी जलाशय, जल संसाधन विभाग सिवनी के अधिकारियों एवं रिपटा निर्माण एजेंसी ठेकेदार के द्वारा जानबूझकर की गई लापरवाही के कारण, गलत निर्माण के कारण अधिक जल भराव का पानी, जल संसाधन विभाग व ठेकेदार के द्वारा रिपटा निर्माण का मलबा को खाली व समतल क्षेत्र में न एकत्र करके, गउघाट नाला में फैंक देने के कारण, 19 व 20 जुलाई को हुई बरसात में अधिक जलभराव होने के कारण नाला में एकत्र मलबा, पत्थर, बोल्डर आदिवासी किसानों के खेतों में आने से 5 एकड़ में लगी मक्का की पूरी फसल बर्बाद हो जाने के कारण 2 लाख रुपए से अधिक नुकसान की संपूर्ण राशि दिलाये जाने एवं जल संसाधन विभाग के संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही कराये जाने एवं रिपटा निर्माण एजेंसी ठेकेदार पर कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग को लेकर

पीड़ित आदिवासी किसानों ने कलेक्टर सिवनी, मुख्य अभियंता व कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग सिवनी को आवेदन देकर निवेदन किया है।
                

पीड़ित आदिवासी किसानों ने मुख्यमंत्री, जल संसाधन मंत्री, केवलारी विधायक को भी फसल बर्बाद होने के संबंध में कार्यवाही कराने आवेदन पहुंचाया है। वहीं पटवारी के द्वारा इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाये जाने पर कार्यवाही की मांग भी किया है। 

इन आदिवासी किसानों को हुआ नुकसान 


पीड़ित आदिवासी किसानों में सुरेश कुमार मर्सकोले, श्यामलाल मर्सकोले, शिकुमार मर्सकोले, दिनेश मर्सकोले, महेश मर्सकोले, रमेश मर्सकोले, शशि बाई उईके, शकुन बाई बरकड़े, सरिता उईके, सुष्मा बरकड़े, पुष्पा मर्सकोले, निज्जो मर्सकोले, रामप्यारी तेकाम शामिल है जिनका नुकसान जल संसाधन विभाग सिवनी व ठेकेदार के कारण हुआ है।
                पीड़ित आदिवासी किसानों ने बताया कि ग्राम कुड़ोपिपरिया, पटवारी हल्का नंबर 57, राजस्व निरीक्षक मण्डल भोमा में खसरा नंबर 138, तहसील-सिवनी, थाना-कान्हीवाड़ा, जिला-सिवनी में हमारी पैतृक भूमि स्वामी की 8.300 हैक्टेयर जमीन है। 

2 लाख रूपये का हुआ नुकसान 


पीड़ित आदिवासी किसानों ने बताया कि हमारी लगभग 5 एकड़ जमीन में मक्का की फसल लगी थी जो कि जल संसाधन विभाग सिवनी के अधिकारियों एवं भमोड़ी जलाशय के समीप रिपटा निर्माण कार्य एजेंसी ठेकेदार की लापरवाही से किये गये निर्माण कार्य के कारण 20 जुलाई को खेत में खड़ी फसल में नाला के मलबा, पत्थर बोल्डर पानी में बहकर आ जाने से 5 एकड़ में लगी मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। जिसके कारण हमें लागत के लगभग 60 हजार रुपए एवं उत्पादन के बाद मक्का से होने वाली आय का लगभग 2 लाख रुपए का पूरा नुकसान हुआ है। 

खेत से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भमोड़ी जलाशय 


पीड़ित किसानों ने बताया कि ग्राम कुड़ोपिपरिया में जहां पर हमारी खेती की जमीन है जहां पर मक्का की फसल लगी थी। वहां से भमोड़ी जलाशय की दूरी लगभग आधा किलोमीटर होगी। भमोड़ी जलाशय का निर्माण कार्य लगभग 20 वर्ष पहले हुआ था।
            वहीं जल संसाधन विभाग सिवनी के द्वारा बांध में अधिक जल भराव हो जाने से उसका पानी निकालने के लिये बनाये गये छांटा रिपटा का निर्माण कार्य छिंदवाड़ा का एक ठेकेदार के द्वारा कराया गया था। वहीं बांध का अधिक जल भराव का पानी नाला से होकर बाहर जाता था। जिसमें ठेकेदार व जल संसाधन विभाग के द्वारा नाला में ही मलवा, पत्थर, बोल्डर फैंक दिया गया था, जिससे नाला भरकर जाम हो गया था।

रिपटा निर्माण के दौरान ठेकेदार ने मलवा, बोल्डर-पत्थर नाला में फैंक दिया था 


पीड़ित आदिवासी किसानों ने बताया कि रिपटा निर्माण कार्य के दौरान ही हमारे द्वारा एवं ग्रामीणों द्वारा जल संसाधन विभाग के अधिकारियों एवं संबंधित ठेकेदार को कहा गया था कि रिपटा निर्माण से निकलने वाला मलवा, पत्थर, बोल्डर को कहीं दूर खाली जगह में डाला जाये लेकिन न तो जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने सुना ओर न ही ठेकेदार न हमारी बात माना।
                इनके द्वारा जानबूझकर नाला में मलवा, पत्थर, बोल्डर डाले जाने के कारण हम आदिवासी किसानों की खेत में लगी मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है, जिसके हम आदिवासी किसानों को 2 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। 

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार ने नहीं मानी थी किसानों की बात

पीड़ित आदिवासी किसानों ने बताया कि जल संसाधन विभाग व ठेकेदार के द्वारा रिपटा निर्माण कार्य में हैवी ब्लास्टिंग करते हुये बड़े-बड़े निकाले गये थे जिसे भी नाला में ही फैंक दिया गया था और मुरम मिटटी मलबा को भी नाला में फैंक दिया गया था, जिसके कारण नाला में बहने वाला पानी रूक जाता था।
                इसके साथ ही भमोड़ी जलाशय में अधिक जल भराव होने की स्थिति में पानी निकासी के लिये बनाये गये छांटा का पानी भी नाला में ही रूक जाता था। इस संबंध में हमारे द्वारा रिपटा निर्माण कार्य के समय ही जल संसाधन विभाग व ठेकेदार को कहा गया था कि नाला में फैंक गये मलबा, पत्थर, बोल्डर को किसी ओर खाली जगह में फैंका जावे जिससे भविष्य में आसपास के किसानों को कोई परेशानी व नुकसान न होवे।
                इसके बाद भी हमारी बात को जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार न नहीं सुने, उनके द्वारा जानबूझकर की गई लापरवाही का परिणाम आज हम आदिवासी किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आदिवासी आवेदक किसानों की 5 एकड़ में लगी मक्का की खड़ी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। 

पटवारी सतीष जंघेला आदिवासी किसानों की नहीं कर रहे सुनवाई 


पीड़ित आदिवासी किसानों ने बताया कि 19 एवं 20 जुलाई 2024 को हुई बरसात के कारण 19 व 20 जुलाई को हुई बरसात में अधिक जलभराव होने के कारण नाला में एकत्र मलबा, पत्थर, बोल्डर हम आदिवासी किसानों के खेतों में आने से 5 एकड़ में लगे मक्का की पूरी फसल बर्बाद हो जाने के कारण 2 लाख रुपए से अधिक नुकसान हो गया है।
                इस संबंध में जब आदिवासी किसानों के द्वारा गांव के पटवारी सतीष जंघेला को भी जानकारी फसल नुकसानी के दिन बता दिये थे। इसके बाद पटवारी खेत में नुकसानी देखने आये थे और कहा था कि मेरे आफिस में आ जाना फिर में कोई कार्यवाही करूंगा।
                इसके बाद पटवारी सतीष जंघेला से फोन में संपर्क किये तो जब भी बात करते है तो पटवारी सतीष जंघेला के द्वारा कहा जाता है कि तुम कल आना, आज मैं मीटिग में हूं। यह कई दिनों से पटवारी के द्वारा कहा जा रहा है लेकिन उनका कल आ ही नहीं रहा है। 

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