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आदिवासी उपयोजना की राशि आदिवासियों पर ही खर्च हो, यही नियम बनाया जाये : जयस

आदिवासी उपयोजना की राशि आदिवासियों पर ही खर्च हो, यही नियम बनाया जाये : जयस

उपयोजना की राशि को अन्यत्र खर्च करने के खिलाफ जयस का प्रदेश भर में हल्ला बोल 


डिंडौरी/मध्यप्रदेश।गोंडवाना समय। 

जयस प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम के आव्हान पर सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में आदिवासी उपयोजना की राशि गौ संवर्धन एवं अन्य मद को आवंटित किए जाने पर प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया है, महामहिम राज्यपाल से निम्न मांग की गई है।

आदिवासी उपयोजना की राशि अन्य मदों की गई खर्च 


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 अंतर्गत आदिवासियों के बुनियादी और सर्वांगीण विकास के लिए आदिवासी उपयोजना के लिए बजट आवंटन का प्रावधान है। आदिवासी उपयोजना की राशि आदिवासियो और आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए खर्च होना चाहिए परंतु देखा गया है।
                 विगत कुछ वर्षों में म.प्र. सरकार ने आदिवासियों की उपयोजना जिस पर आदिवासी और आदिवासी क्षेत्रों का पहला और अंतिम अधिकार है उसे इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में खर्च किया जा रहा हैं जबकि आज भी आदिवासी क्षेत्रों में हजारों परिवारों को पीने का साफ पानी नहीं है, स्कूल,सड़क अस्पतालों का अभाव है।
                इसके बावजूद इन समस्याओं का नजर अंदाज कर सरकार आदिवासियों के उपयोजना की राशि को किसी अन्य कार्य जो आदिवासियों के विकास से किसी भी तरह से संबध नहीं रखते उन्हें आवंटित कर दिया गया है जो आदिवासियों के साथ सरकार के गैर संवेदनशीलता का जीवंत उदाहरण है और आदिवासियों के विकास पर सबसे बड़ा रोड़ा है। पिछले वर्षों में आदिवासी उपयोजना की राशि की जो हेराफेरी सरकारी तंत्र द्वारा की गई उसकी जानकारी इस प्रकार है। 

सरकार की इस गैर जिम्मेदाराना रवैये से आदिवासी समाज में आक्रोश है

वित्तीय वर्ष 2016-17 में 40 करोड़ इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए, वर्ष 2023-24 में आदिवासी उपयोजना का 100 करोड़ सामान्य क्षेत्रों के आंगनवाड़ी संलग्न भवन बनाने के लिए, 2024-25 में संस्कृति विभाग को 42,07,00 हजार रूपए और तत्कालीन  समय पर लगभग समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी में आया है कि एससी, एसटी उपयोजना का 96 करोड़ गौ कल्याण के नाम से आवंटित कर दिया गया है जो आदिवासियों के साथ अन्याय है।                         सरकार की इस गैर जिम्मेदाराना रवैये से आदिवासी समाज में आक्रोश है। अंतिम उम्मीद आप ही हैं कि राशि आवंटन को तत्काल रोका जाए और बजट का खर्च आदिवासियों के बुनियादी विकास के लिए खर्च किया जाए तथा आदिवासी उपयोजना की राशि खर्च करने के लिए एक नियम ही बनाया जाए, ज्ञापन सौंपते समय प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम, वरिष्ठ समाजसेवी हरि मरावी, जयराज कुलेश, दीपक, अजीत पट्टा एवं अन्य जयस कार्यकर्ता मौजूद रहे।

आदिवासी मिलकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे आदिवासियों का हक नहीं छीनने देंगे-इद्रपाल मरकाम 


आदिवासी उपयोजना के बजट की राशि आदिवासियों के बुनियादी विकास पर ही खर्च किया जाये अन्य मदों में खर्च न किया जाये यह मांग करते हुये इंद्रपाल मरकाम जयस मध्यप्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि आदिवासी परिवार, गांव और जिला बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हैं। पीने के साफ पानी के अभाव में लोग गंदा पानी पीकर जान गवां रहें हैं।
                स्कूल भवन नहीं, स्कूलों में बच्चे छाता लेकर पढ़ने को मजबूर, कई वर्षों से छात्रवृत्ति भी विद्यार्थियों को नहीं मिली। इन सबके बावजूद सरकार सैकड़ों करोड़ इन बुनियादी सुविधाओं की जगह दूसरे कार्यों में खर्च कर रही ये अन्याय है।
                आदिवासी समाज और आदिवासी जिलों का, यदि ईमानदारी से बुनियादी सुविधाओं के लिए आदिवासी उपयोजना की राशि का खर्च होता तो डिंडोरी सहित किसी भी आदिवासी जिले का विद्यार्थी बाहर आॅनलाइन परीक्षा देने नहीं जाना पड़ता।
            ये सिर्फ आदिवासी नहीं आदिवासी जिले वासियों के हक पर भी डाका है, जो उपयोजना के खर्च के लिए नियम ना बनाने के कारण हो रहा है और इसका दुष्प्रभाव जिलेवासियों के भविष्य के साथ खिलावाड़ और जिंदगी दांव पर लग रही है। ये तत्काल रूकना चाहिए, अन्यथा सभी जिले के आदिवासी मिलकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे आदिवासियों का हक नहीं छीनने देंगे।



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