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एसटी, एससी वर्ग की आरक्षित दुकानों पर भी डाका ?

एसटी, एससी वर्ग की आरक्षित दुकानों पर भी डाका ?

शहरी क्षेत्र में एससी, एसटी वर्ग को नहीं बनने देना चाहते व्यापारी आखिर क्यों ?

सर्वाधिक मतदाता की संख्या वाले एससी, एसटी वर्ग के साथ व्यापारिक क्षेत्र में भी हो रही धोखेबाजी 

एससी, एसटी वर्ग के सामाजिक संगठन व जनप्रतिनिधि आखिर क्यों रहते है खामोश ?


सिवनी। गोंडवाना समय। 

पूरे देश में सर्वाधिक आदिवासी यानि अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या वाला प्रदेश मध्यप्रदेश है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग की संख्या भी बहुतायत है। केंद्र सरकार व मध्यप्रदेश सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग को व्यापारिक क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिये अनेकों योजनायें संचालित कर रही है।
                


हालांकि इनमें अधिकांश योजनायें धरातल स्तर पर दम तोड़ती हुई नजर आती है, इन योजनाओं को संचालित करने वाले विभाग, ऋण देने वाले बैंक के चक्कर लगाकर एससी, एसटी वर्ग के हितग्राही परेशान भी हो जाते है। हालांकि लाभ जितना मिलता है उससे 100 गुना खर्च प्रचार प्रसार में किया जाता है।
                अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को आरक्षण का लाभ सबसे ज्यादा मिल रहा है, ऐ तो एससी, एसटी वाले है इन्हें सरकार आरक्षण दे रही है, एससी, एसटी वाले को तो बहुत फायदा हो रहा है अक्सर ऐसी चर्चायें स्कूलों, कॉलेजों के साथ साथ अन्य वर्गों के बीच में चर्चा बनी रहती है।
                वहीं दूसरी ओर यह भी सच है कि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिये मिलने वाले आरक्षण के लाभ को अन्य वर्ग के कुछ लोगों के द्वारा डाका डालकर हजम कर लिया जाता है। नाम अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग का होता है लेकिन लाभ अन्य वर्ग के कुछेक लोगों के द्वारा उठाया जाता है। 

आदिवासी की आरक्षित दुकान लेने वाले पर सिवनी नपा करा पायेगी एफआईआर 


नगरीय क्षेत्रों में नगर पालिका, नगर परिषद, कुछ बड़ी पंचायतों में जो शहरी क्षेत्र में है वहां पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जाता है जहां पर व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित होते है। संवैधानिक प्रावधान के अनुसार उन शॉपिंग कॉम्पलेक्स में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों के लिये दुकाने आरक्षित रहती है उन्हें ही वह दुकाने आबंटित की जाती है ताकि एससी, एसटी वर्ग के व्यक्ति भी व्यापारिक गितविधियों में जुड़ सकें और व्यापारिक क्षेत्र में तरक्की प्रगति कर सकें।
                    सिवनी नगर पालिका परिषद अंतर्गत आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित दुकान को अन्य वर्ग को दिये जाने के मामले में नगर पालिका परिषद की बैठक में हंगामा भी हुआ, मुद्दा भी उठा यहां तक कि 15 दिनों में एफआईआर की बात भी जोर शोर से की गई है।
                    इससे यह भी सामने आया है कि सिवनी नगर पालिका परिषद अंतर्गत ही नहीं सिवनी जिले सहित अन्य जिलों में भी एससी, एसटी वर्ग के लिये आरक्षित दुकानों पर यानि उनके संवैधानिक अधिकारों पर डाका डालकर हजम कर लिया गया होगा।
                    इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये। वहीं यदि ऐसा हुआ है तो लाभ लेने वाले व्यक्ति जो कि अन्य वर्ग का है उन पर एफआईआर दर्ज होना चाहिये। इसके साथ ही उक्त दुकान को वास्तविक एससी, एसटी वर्ग को प्रदान किया जाना चाहिये। 

अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के सामाजिक संगठन व जनप्रतिनिधि कब लेंगे संज्ञान 

नगर पालिका परिषद में आदिवासी की दुकान अन्य समुदाय व अन्य वर्ग के नाम पर आबंटित किये जाने का खुलासा होने के बाद, कम से कम सिवनी जिले के अंतर्गत नगरीय निकाय, एवं पंचायत क्षेत्र में शॉपिंग कॉम्पलेक्स में एससी, एसटी वर्ग की आरक्षित दुकानों को सार्वजनिक किया जाना चाहिये, इनका भौतिक सत्यापन कराना चाहिये।
                    इस संबंध में सिवनी जिले के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनप्रतिनिधियों को गहरी नींद से जागकर समाज के प्रति कर्तव्य को निभाने की आवश्यकता है। वहीं अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के सामाजिक संगठनों को भी इस संबंध में संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार वैधानिक कार्यवाही की मांग कराकर वास्तविक लाभ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग को लाभ दिलाना चाहिये। इसके लिये सामाजिक संगठनों को संज्ञान लेने की आवश्यकता है। 


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