पटवारी को 4 वर्ष का कारावास एवं 5 हजार रूपये का अर्थदण्ड
नाम संशोधन करवाने के एवज में रिश्वत लेने वाले केवलारी में पदस्थ पटवारी के मामले में न्यायालय का निर्णय
सिवनी। गोंडवाना समय।
प्रार्थी रामदयाल पंचेश्वर पिता अन्नीलाल पंचेश्वर, उम्र 25 वर्ष, निवासी ग्राम खेररांजी, तहसील केवलारी ने लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में जाकर दिनांक 31 जनवरी 2017 को शिकायत किया था कि हम चार भाईयों में जमीन का बटवारा हो गया हैं। बही में मंझले भाई रामूलाल के नाम की जगह रामलाल और मेरे नाम की जगह दल्लू लिख गया हैं।
लोकायुक्त पुलिस ने रंगेहाथों पटवारी को रिश्वत लेते पकड़ा था
बही में जमीनी रिकार्ड में नाम संशोधन करवाने के लिए वह पटवारी दीपक गेड़ाम पिता स्व. श्री रूपचंद गेडाम, उम्र 52 वर्ष, पटवारी हल्का नं. 36, केवलारी, जिला सिवनी के पास गया तो पटवारी इस कार्य के एवज में रिश्वत मांग रहा हैं।
मैं पटवारी को रिश्वत देना नहीं चाहता एवं उन्हे रिश्वत लेते पकड़वाना चाहता हूँ। दिनांक 01 फरवरी 2017 को लोकायुक्त पुलिस ने कार्यवाही करते हुए पटवारी दीपक गेड़ाम को प्रार्थी से 8,000 रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था एवं कार्यवाही करते हुए उन्हे गिरफ्तार किया था।
प्रकरण विशेष न्यायालय में पेश किया गया
श्री प्रदीप कुमार भौंरे मीडिया सेल प्रभारी/एडीपीओ जिला सिवनी ने उक्त प्रकरण के संबंध में माननीय न्यायालय में हुई सुनवाई व निर्णय के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि आरोपी दीपक गेड़ाम के विरूद्ध अपराध क्रमांक 23/2017, धारा 7, 13 (1)(डी)/13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर चालान माननीय न्यायालय श्रीमान खालिद मोहतरम अहमद, विशेष न्यायालय की न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। शासन की ओर से श्रीमान रमेश उइके, विशेष लोक अभियोजक/उप-संचालक अभियोजन एवं श्री अनिल माहोरे, वरिष्ठ ए.डी.पी.ओ. ने न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत किये। अभियोजन के द्वारा प्रस्तु्त साक्ष्य से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय श्रीमान खालिद मोहतरम अहमद, विशेष न्यायाधीश, जिला सिवनी (म.प्र.) द्वारा दिनांक 06/07/2024 को निर्णय पारित करते हुए आरोपी दीपक गेड़ाम पिता स्व. श्री रूपचंद गेडाम, उम्र 52 वर्ष, पटवारी हल्का नं. 36, केवलारी, जिला सिवनी को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000रू. के अर्थदण्ड एवं धारा 13(1)(डी)/13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000रू. के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया हैं।