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ऊंची डींगे हांकने वाले ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल पलारी का निरन्तर घटिया परिणाम

ऊंची डींगे हांकने वाले ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल पलारी का निरन्तर घटिया परिणाम

बेहतर शिक्षा के नाम पर खुलेआम ग्रामीणों को लूट रहा स्कूल प्रबंधन

पलारी। गोंडवाना समय।

सिवनी जिले के पलारी क्षेत्र में संचालित ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधन द्वारा नए एडमिशन को लेकर पालकों एवं अभिभावकों को गुमराह कर भ्रामक जानकारी देते हुए प्रलोभन दिया जा रहा है।
          


 ताकि उनको नए सत्र में एडमिशन मिल सके। गौरतलब है कि लाभ कमाने का अड्डा बना उक्त स्कूल जहां के संचालक द्वारा अधिक लाभ कमाने की लालसा में हिंदी मीडियम स्कूल को सीबीएसई स्कूल में परिवर्तित किया गया किन्तु निरन्तर घटिया परीक्षा परिणाम एवं लचर व्यवस्था के चलते स्वत: बच्चो के एडमिशन कटने लगे तब स्कूल संचालक द्वारा आननफानन में फीस कम कर गांव-गांव में प्रवेश के लिए भटकते नजर आने लगे थे।
        

परन्तु सफलता हाथ नहीं लगी। गौर करने वाली बात तो यह है कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी बच्चो का परीक्षा परिणाम खराब रहा। जिसके चलते स्कूल प्रबंधन द्वारा परीक्षा परीणाम विगत वषार्नुसार सोशल मीडिया पर साझा नही किया गया।

शासन के मापदंड के विपरीत संचालित हो रहा ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल


कहने को तो स्कूल सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त है परंतु यह स्कूल सीबीएसई के मापदंडों पर संचालित नही है, न ही नियमो का पालन किया जा रहा है। विधार्थियो से बात के दौरान पता चला कि यहां पर प्रयोगशाला के नाम पर छोटे-छोटे कमरे हैं जिसमें बहुत कम सामग्री है जिनका उपयोग अधिकतर विधार्थियो को प्रयोग करने के लिए नही मिलता। सीबीएसई मापदंड के अनुसार गणित, जीव विज्ञान, भौतिक, रसायन एवं एकीकृत प्रयोगशाला कमरे के साइज एवं पर्याप्त उपकरणों की उपलब्धता विधार्थियो के अनुपात के साथ होना अनिवार्य है परंतु विधार्थियो के लिए ऐसी कोई भी सुविधा नही है। परिणाम स्वरूप स्कूल में शिक्षा का स्तर स्तरहीन होना माना जा रहा है। देखा जाए तो बच्चो में भी अनुशासन दिखाई नहीं पड़ता तरह-तरह के किस्से सुनने में आने लगे है जो विधार्थियो के भविष्य के लिए अनुकूल नही है, साथ ही स्कूल के पास सीबीएसई मापदंड अनुसार खेल के मैदान में फुटबाल, वालीबाल, बैटमिंटन, खोखो, कबड्डी व्यवस्थित ग्राउंड बने होना चाहिए परंतु यह कोई ऐसी व्यवस्था नही है, वरन खेल मैदान हेतु सरकारी भूमि में जबरन कब्जा कर उसे खेल मैदान हेतु उपयोग किया जा रहा है। खेल गतिविधियां वयवस्थित नही होने से नौनिहाल छात्र एवं छात्रों को फिजिकल रूप बर्वाद किया जा रहा है।

शिक्षको की कमी, एवं अयोग्य शिक्षक

सीबीएसई गाइडलाइन के अनुसार अध्यापन हेतु योग्य एवं अनुभवी शिक्षक रखे जाने चाहिए, परंतु इस विद्यालय में ऐसे शिक्षक है जो अयोग्य एवं अधिकतर हिंदी माध्यम से पढ़े हुए है और सीबीएसई स्कूल में पढ़ाने का अनुभव भी नही रखते। विधार्थियो एवं अभिभावक की माने तो भौतिक एवं रसायन विषय आयोग्य शिक्षको से पढ़ाया जा रहा, जिन्हे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना ही नही आता। परिणाम स्वरूप विधार्थियो को परीक्षा परिणाम में कोई बड़ी सफलता हाथ नही लगती।

एक ही परिसर में स्कूल एवं कालेज का संचालन?


कालेज एवं सीबीएसई विद्यालय का एक साथ संचालन पूर्ण रूप से नियमो के खिलाफ है परंतु स्कूल के संचालक द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर मान्यता प्राप्त कर ली एवं स्कूल के साथ-साथ कॉलेज के बच्चो का भविष्य भी खराब कर रहे है। अगर इनके स्कूल एवं कालेज की जांच पुन: एक साथ एक ही दिवस हो तब यह स्कूल का कौन सा बोर्ड लगाएंगे? एवं नियमो पर आधारित शिक्षक एवं शिक्षिकाएं कहा से लायेंगे, साथ ही अलग-अलग भवन कहां से लायेंगे? नियमानुसार इनकी दोनो मान्यता निरस्त होना चाहिए।

अपने पाम्पलेट में 100% परीक्षा परिणाम का झूठ हुआ उजागर

ज्ञान सागर अनुराग स्कूल का एक आॅफिशियल फेसबुक अकाउंट है जिस पर विगत वर्ष स्कूल द्वारा एक पाम्पलेट अपलोड किया गया जिसमे 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम का झूठ लिखा हुआ है। आपको बता दें कि यह झूठे एवं फर्जी पाम्पलेट भोले-भाले ग्रामीणों को बहकाने के लिए बहु उपयोगी होते है जिसकी शिकायत कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी से किया जाना जनहित में आवश्यक होगा। इनके द्वारा विगत वर्ष एक 4 पेज का पाम्पलेट छापा गया जिसमे बच्चो की पढ़ाई एवं स्कूल की उपलब्धियां की बड़ी-बड़ी डींगे हांकी गई है, जब इनका विद्यालय हिन्दी माध्यम था। सवाल तो यह है कि अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से शुरू किया सीबीएसई स्कूल ने आज तक कौन सी उपलब्धि प्राप्त की है, अगर की है तो बताएं? उसी पाम्पलेट में इन्होंने भविष्यवाणी की है कि यदि किसी विधार्थी का एडमिशन इनके विद्यालय में होता है तो वह विद्यार्थी कितने परसेंट बनाएगा। जो की पूर्ण रूप से झूठा साबित हुआ है।

एक नजर 

 - ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल पलारी द्वारा अधिक लाभ कमाने की जुगत में किया गया परिवर्तन नाकाम रहा।

 - ज्ञान सागर अनुराग स्कूल द्वारा जहां विद्यार्थी को हिंदी माध्यम में अध्ययन कराते अचानक सीबीएसई में परिवर्तन किया गया तथा फीस लगभग 3 गुना तक बढ़ाकर लाभ कमाने की योजना हुई फेल।

 - ऐसे शिक्षकों द्वारा अध्यापन कराया गया जो नहीं है अध्यापन के काबिल तथा पहले वर्ष में ही असफलता हाथ लगी परिणाम स्वरूप अभिभावकों ने लिया अन्य स्कूलो का सहारा लिया।

 -  वायरल पाम्पलेट में अपनी में कक्षा के कुल 100% परीक्षा परिणाम की झूठी बात लिखकर लगे हैं वाह वाही लूटने। खुलकर नहीं बताते हैं कि किस विद्यार्थी ने कितने अंक लाकर परीक्षा उत्तीर्ण की है अगर परीक्षा परिणाम का सूक्ष्मता से आकलन करें तो उजागर होगा कि अधिकतर विद्यार्थी को सिर्फ पासिंग मार्क या सेकंड डिवीजन से पास या तो अधिकतर सप्लिमेंट्री या अधिकतर फैल ही मिलेगा।

 - एक ही भवन मैं कॉलेज एवं सीबीएसई स्कूल जो कि नियमों के खिलाफ संचालित कहलाता है। प्रतीत होता है कि सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ कर ले ली गई है मान्यता, जबकि जिस भवन में वर्षों से सिर्फ स्कूल संचालित हो रहा है उसी भवन में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कैसे मान्यता दे दी गई?

 - अपनी असफलता को छुपाने के लिए शैक्षणिक वर्षों की फीस कम कर प्रवेश बढ़ाने का नया तरीका स्कूल संचालक द्वारा खोजा गया है।

- शिक्षा को अलग-अलग तरीके से बेचने वाले एवं एक ही भवन में स्कूल एवं कालेज संचालन करने वाले पर लगना चाहिए लगाम।

 - पत्रकार जो आईना दिखाता है उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की झूठी अफवाह फैलाई जा रही है, अपने पंपलेट में लिखा कर अपनी खराब व असंतुलित मानसिकता को प्रदर्शित करता है स्कूल संचालक ।
- पलारी क्षेत्र में संचालित ज्ञान सागर अनुराग हायर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन द्वारा क्षेत्रवासियों को गुमराह किया जा रहा है।

 - जब एमपी बोर्ड से स्कूल था तब लगभग 800 विधार्थी थे परंतु अब लगभग 400 स्वयं के पंपलेट में लिखा गया है। इस गिरती दर्ज संख्या का कारण स्कूल का गिरता शिक्षा का स्तर हो सकता है।
- शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम में अधिकांश विधार्थी के पर्सेंटेज न्यूनतम व फैल।
-  स्कूल की ऐसी क्या मजबूरी है जो सत्र 2022-23 की फीस से भी कम कर एडमिशन लेने का प्रयास किया जा रहा है। अभिभावक को किया जा रहा गुमराह।
- एक ओर फीस कम की है तो दूसरी ओर प्रतिवर्ष 10% फीस बढ़ाने की बात, स्कूल को अपनी दर्ज संख्या बढ़ाने की तरकीब है।
- पढ़ाई में नही है दम इसलिए की जा रही है फीस कम।


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