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कम वोटिंग मतदाताओं की नाराजगी तो नहीं है

कम वोटिंग मतदाताओं की नाराजगी तो नहीं है

भाजपा, कांग्रेस और राजनैतिक दलों के बयान आ रहे मूर्खतापूर्ण 

विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया
संपादक 

देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं दो चरण के मतदान हो चुके हैं। लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं के द्वारा कम मतदान किया


जाना जहां चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा, कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक दल कम मतदान करने को ही अपनी अपनी पार्टी को जीतने का दावा बता रहे हैं।
        


वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के द्वारा कम मतदान किया जाना आखिर इसके पीछे क्या कारण है। राजनैतिक दल के नेताओं के द्वारा कम मतदान को धार्मिक बाहुल्यता वाले मतदाताओं से जोड़कर भी बयानबाजी दी जा रही है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव में कम मतदान हुआ है लोकतात्रिंक देश भारत के लिए गंभीर चिंतन का विषय है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि लोकसभा के चुनाव में कम वोटिंग होना मतदाताओं की नाराजगी तो नहीं है। 

देश में विकास हुआ तो फिर वोटिंग कम क्यों हुई ?


लोकसभा के चुनाव में कम वोटिंग होने को ही कुछेक भाजपा के नेता अपनी जीत बता रहे हैं। भाजपा जहां 400 पार का नारा दे रही है और इसके पीछे भाजपाई नेता देश में 2014 के बाद हुए विकास कार्यों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि बता रही है। सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ जनता के लिए जनहित की कल्याणकारी योजनाओं को बनाकर लाभ पहुचाने का दावा भी भाजपा कर रही है।
        अब सवाल उठता है कि वर्ष 2014 के बाद भाजपा ने ऐतिहासिक विकास कार्य किये हैं और समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्तिओं तक लाभ पहुचाया है तो इसके बाद भी आखिर मतदान का प्रतिशत दो चरण के चुनाव में कम क्यों हुआ है ? भाजपा की जहां राज्य में सरकार है वहां केंद्र और भाजपा की सरकार होने के नाते मतदाताओं को अधिक प्रभावित होकर ज्यादा से ज्यादा प्रतिशत में मतदान करना था लेकिन यदि हम दो चरण के चुनाव में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहिंत अन्य राज्यों की स्थिति देखें तो मतदाताओं ने लोकसभा 2024 के चुनाव में मतदान करने में रूची नहीं दिखाया है।
        भाजपा के विकास कार्यों से मतदाता यदि प्रभावित होते तो मतदान ज्यादा से ज्यादा हो सकता था। वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता भाषण और बयान में यह बता रहे हैं कि कम वोटिंग होने से हमारी पार्टी की जीत सुनिश्चित होगी।
        प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अनेक राजनैतिक दलों के नेता भी मजाकिया बयान दे रहे हैं कि कम वोटिंग होने से भाजपा को नहीं हमें फायदा होगा और हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी और केंद्र में सरकार बनायगी। कम वोटिंग होने से यदि राजनैतिक दल अपनी अपनी जीत का दावा करते हैं तो फिर चुनाव के समय ये और इनके प्रत्याशी घर घर जाकर मतदाताओं के पैर पड़कर वोट मांगने क्यों जाते हैं। 

नमक से लेकर सोना तक अत्याधिक महंगा हो गया है

यदि कम मतदान से ही सरकार बन सकती है तो राजनैतिक दलों के नेतागण चुनावी सभा, प्रचार प्रसार में करोड़ों अरबों रूपये क्यों खर्च करते हैं। कम वोटिंग होने से लोकतंत्र का महापर्व के प्रति मतदाताओं का उत्साह के साथ भाग नहीं लेना इस ओर इशारा करता है कि भारत देश का मतदाता सत्ता व राजपाठ करने वाले सरकार और उनके रीति नीति से ऊब चुके हैं और इनके झूठे वायदों घोषणा से तंग आ चुके हैं।
        देश में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है वह भरण पोषण करने का इंतजाम करने वाले परिवार के साथ साथ मध्यम वर्गीय परिवार के लिए भी गंभीर समस्या बन गयी है। महंगाई के इस दौर में भोजन का इंतजाम करना भी निर्धन परिवारों के लिए दूभर होता जा रहा है। महंगाई के इस दौर में मध्यम वर्गीय परिवार समाजिक परिवेष में अपना स्थान बनाये रखने के लिए कर्ज लेकर कर्जदार बनता जा रहा है।
        देश में नमक से लेकर सोना तक अत्याधिक महंगा हो गया है। नमक और सोना की कीमत में जितनी बढ़ोतरी हुई है उतना ही मतदान के प्रति भी मतदाताओं का उत्साह भी कम हुआ है। 



विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया
संपादक 


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