कुशाग्र व खुशबू डहरवाल दोनो आदिवासी युवती को करते थे प्रताड़ित
आदिवासी युवती ने की आत्महत्या या फिर हुई हत्या, परिवार ने जताया संदेह
सिवनी। गोंडवाना समय।
जनजाति वर्ग की कुरई ब्लॉक में आदिवासी परिवार की युवती को रईसजादा भारत डहरवाल की औलाद कुशाग्र डहरवाल और उसकी पत्नि खुशबू डहरवाल के घर नाबालिग रहते समय ही घरेलू कार्य करने के लिये मजबूर होना पड़ा। वहीं बालिग होते ही 19 वर्ष के पड़ाव में धन्नासेठ रईसजादा कुशाग्र डहरवाल पिता भारत डहरवाल की अय्याशी ऐशोआराम की जिंदगी जीने की आदत के कारण आदिवासी युवती असमय ही मौत की बली चढ़ गई है।
आदिवासी युवती को जिसे 15 वर्ष की उम्र में भारत डहरवाल ने अपने बेटे कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल के घर घरेलू कार्य करने के लिये पहले पूना, उसके बाद सोलापुर और फिर बीते लगभग 6 माह पूर्व सावनेर में थी।
खुशबू डहरवाल का स्थानांतरण बैंक आॅफ बड़ौदा सावनेर में हो गया था जहां पर बीते लगभग 8 माह पहले सावनेर महाराष्ट्र अपने साथ आदिवासी युवती को लेकर आ गये थे। वहीं 13 मार्च 2024 को आदिवासी युवती कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल के घर पर फांसी पर लटकी मिली इसके बाद हड़कंप मच गया था।
वहीं सांवनेर पुलिस की कार्यवाही पर अंतुष्टी आदिवासी युवती के परिजनों ने असंतुष्टी जताया है। पीड़ित परिवार ने भारत डहरवाल, कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल को बेटी की मृत्यू के मामले में गंभीर आरोप लगाये है।
बाल पकड़कर मारती थी खुशबू डहरवाल और तोड़ दिया था मोबाईल
आदिवासी युवती को कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल के द्वारा जातिगत रूप से अपमानित करते हुये मारा पीटा जाता था और उसका फोन भी तोड़ दिया गया था। आदिवासी युवती से नाबालिग के समय से ही घरेलू काम बंधुआ मजदूर की तरह कराते थे।
वहीं खुशबू डहरवाल जो कि बैंक आफ बड़ौदा में कर्मचारी है वह भी आदिवासी युवती को बहुत प्रताड़ित करती थी बाल पकड़कर मारती पीटती थी। इस मामले में खुशबू डहरवाल पर कानूनी प्रकरण दर्ज करने की मांग परिवारजनों ने किया है।
डरी सहमी से मामा के गांव चली गई थी
प्रताड़ना से तंग आकर आदिवासी युवती वापस अपने घर आई थी तो उसके बाद वह डरी सहमी सी थी और मामा के गांव चंदरपुर चली गई थी उनके साथ वापस नहीं जा रही थी लेकिन कुशाग्र डहरवाल, भारत डहरवाल और खुशबू डहरवाल ने मामा के घर से लेकर चले गये थे।
चार से पांच वर्ष का नहीं दिया पारिश्रमिक और जेबर भी रख लिया
आदिवासी युवती को बीते लगभग 4 से 5 वर्ष से बंधुआ मजदूर के रूप में रखकर घरेलू कार्य कराने वाले कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल ने प्रति महिने की पारिश्रमिक की राशि भी यह कहकर जमा कर लिया था कि आदिवासी युवती की शादी के समय दे देंगे और उसके लिये कुछ जेबर भी पारिश्रमिक की राशि में खरीद दिये थे। वह जेबर एवं लगभग 4 साल का पारिश्रमिक की राशि भी कुशाग्र डहरवाल व खुशबू डहरवाल के पास ही जमा रखे है वह राशि व जेबर कपड़े गीता गज्जाम के माता व पिता परिजनो ंको दिलाया जाने की मां किया है।
मजिस्ट्रेट के समक्ष दूसरी बार हुआ आदिवासी युवती का पोस्ट मार्टम
सावनेर में आदिवासी युवती की मृत्यू होने के बाद उसका पोस्टमार्टम किया गया था। वहीं पीड़ित परिवारजन सावनेर पुलिस की कार्यवाही सके संतुष्ट नहीं हुये थे। सावनेर में हुये पोस्टमार्टम से भी संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद पुन: मृतक आदिवासी युवती के परिवारजनों की मांग पर महाराष्ट्र पुलिस प्रशासन व शासन द्वारा दोबारा मजीस्ट्रेट जांच के आधार पर विशेष टीम के द्वारा 15 मार्च 2024 को नागपूर मेडिकल कॉलेज में पोस्ट मार्टम कराया गया है।
मृत्यू के तीन दिन बाद हो पाया आदिवासी युवती का अंतिम संस्कार
जहां आदिवासी युवती की मृत्यू 13 मार्च को हो गई थी। इसके बाद भी पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं होने के कारण आदिवासी युवती का अंतिम संस्कार 16 मार्च 2024 को किया गया है। वहीं घटना स्थल जहां मृतक आदिवासी युवती की फांसी पर लटकती हुई टेबल पर पैर टिकाकर दिखाई दी थी।
उस मकान में कमरों की स्थिति संदेहस्पद नजर आ रहे थे जिसे देखकर मृतक आदिवासी युवती के परिजन अपनी बेटी की हत्या किये जाने को लेकर आशंका जता रहे है। इस संबंध में उन्होंने सिवनी में कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को शिकायत देने के साथ ही सहित जनजाति आयोग, महाराष्ट्र शासन में भी शिकायत भेजा है।
अनिल गोनगे पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने कर रहे सहयोग
वहीं इस मामले में बरघाट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े पूर्व प्रत्याशी अनिल गोनगे ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये घटना दिनांक से ही साथ में है। वहीं सावनेर, नागपूर, सहित सिवनी में पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर से संपर्क करके पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये प्रयास कर रहे है। वहीं सिवनी जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने उन्हें महाराष्ट्र राज्य की घटना होने के कारण वहां के प्रशासनिक सहयोग लेकर उचित जांच कराने का आश्वासन दिया है।