अंशुल शाह मरकाम और दामिनी मसराम का विवाह अनूठी पहल के साथ प्रकृति पूजक समाज के लिये होगा प्रेरणादायक
वैवाहिक कार्यक्रम] नेंग करने हेतु 12 राज्यो के परधान नेगी] राष्ट्रीय मुठवाल होंगे शामिल
सिवनी। गोंडवाना समय।
अंशुल मरकाम और दामिनी मसराम का 13 फरवरी 2024 को सिवनी जिला मुख्यालय में होने वाला विवाह अनूठी पहल के साथ साथ प्रकृति पूजक समाज के लिये पे्ररणादायक होगा।
गोंडी धर्म रीति रिवाज पंरपरा संस्कृति के साथ साथ मोहन जोदड़ो हड़प्पा संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से विवाह के दौरान दिखाई देगी। वैवाहिक आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुये अंशुल शाह मरकाम ने बताया कि प्राकृतिक संस्कृति को सहेजते हुये प्राचीन सभ्यता मोहन जोदड़ों हडप्पा की संस्कृति अस्मिता को पुन: विवाह के माध्यम से सगा समाज व आम जनमानस को संदेश देकर पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे है।
वैवाहिक आयोजन में क्रांतिकारी वरिष्ठ समाज सेवियों का होगा संगम
अंशुल मरकाम ने आगे बताया कि सिवनी मुख्यालय में होने वाले वैवाधिक कार्यक्रम में गोंडी पुनेम के अंतर्गत टोटम व्यवस्था का संबंध मोहन जोदड़ो हड़प्पा प्राप्त सिंधु लिपि में अंकित शीलशामवेस] देश भर के महान आदिवासी जननायकों की विचारों में चलने वाले क्रांतिकारी वरिष्ठ समाज सेवियों का संगम होने जा रहा है।
सिवनी शहर आदिम गोंडीयन संस्कृति की राजधानी अति प्राचीन काल से रही है
अंशुल शाह मरकाम ने चर्चा के दौरान बताया कि सिवनी शहर आदिम गोंडीयन संस्कृति की राजधानी अति प्राचीन काल से रही है। जहां पर गोंडवाना साम्राज्य के राजा दलपत शाह ने राज किया और देश भर के परगनाओ के संचालन व संस्कृति शिक्षा के लिए सिवनी अग्रणी रहा है।
यह जानकारी सिवनी जिले के पाटालीर रंगेल सिंग भलावी की आजादी से पूर्व लिखी गई किताब गोंडवाना ता महाकलडुप से प्राप्त होती है। जिसके अध्ययन के उपरांत आचार्य मोती रावेन कंगाली जी ने शोध स्थल सिवनी को बनाया था। ऐसे महान समाज सेवियों के आदर्शाें पर चलने का प्रयास मेरे द्वारा किया जा रहा है। इसी तरह मंगल सिंग मसराम जी के गोंडी भाषा के साहित्य को समर्पित करते हुये संस्कृति को सहजने का प्रयस् हम कर रहे है।
अंशुल शाह मरकाम ने आगे बताया कि दादा हीरा सिंह मरकाम जी के सिद्धांतों] आदर्शों व बताये गये मार्ग पर चलते हुए गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की विशेष सुरक्षा] संस्कृति] संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। वैवाहिक कार्यक्रम जिसमे नेग करने हेतु 12 राज्यो के परधान नेगी] राष्ट्रीय मुठवाल ळ्पुजारीव् के-पी- परधान जी के माध्यम से सम्पन्न कराया जा रहा है।