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जेसीबी से तोड़ा आदिवासी का आशियाना, जल संसाधन विभाग ने बिना राजस्व नोटिस के किया कार्यवाही

जेसीबी से तोड़ा आदिवासी का आशियाना, जल संसाधन विभाग ने बिना राजस्व नोटिस के किया कार्यवाही 

आदिवासी परिवार की 3.75 हेक्टेयर जमीन डूब में चली गई लेकिन 30 बाई 30 की जगह नहीं मिली 

जल संसाधन विभाग के अधिकारी गरीबों के आवास पर चलवा रहे जेसीबी 


भीमगढ़/छपारा। गोंडवाना समय। 

विश्व का एकमात्र मिट्टी का बांध निर्माण में अपनी जमीन अधिग्रहित कराने वाले आदिवासी परिवार का आशियाना को जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बिना कोई राजस्व के आदेश ही जेसीबी चलवाकर ध्वस्त करवा दिया। बांध निर्माण के दौरान शासन व सरकार ने पुर्नवास समिति के आदेशानुसार उन्हें सिवनी सहित आसपास के 4 जिलों में शासकीय भूमि पर 30 बाई 30 का मकान निर्माण की छूट प्रदान किया था।
            


जल संसाधन की भूमि पर छपारा मुख्यालय में मंदिर बने और बरघाट मुख्यायल में कोई प्राईवेट अस्पताल बना ले तो जल संसाधन विभाग को कोई परेशानी नहीं है परंतु बांध में जमीन देने वाला आदिवासी परिवार के आशियाने को जेसीबी का पंजा चलाकर तोड़ सकते है।
https://youtu.be/tcXtTV4VYLw?si=48k1VUR2ajsooNeu छपारा के गंगई ग्राम में आदिवासी के आशियाने को जल संसाधन के विभाग के अधिकारियों ने बिना राजस्व के आदेश या नोटिस के ही तोड़ दिया है। 

बर्बाद होने के साथ साथ कर्जदार बन गया आदिवासी परिवार

गरीब निर्धन आदिवासी परिवार ने मेहनत, मजदूरी करके रूपया जोड़ा था और कर्ज करके अपने आवास की व्यवस्था बना रहे थे लेकिन नींव, के बाद मकान और छत ढलाई हो जाने के कुछ ही दिन बाद जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के द्वारा जेसीबी से तोड़ दिया गया है।
                इसके आदिवासी परिवार जिन्होंने अपनी 3.75 हैक्टेयर जमीन को खोया है उन्हें डूब क्षेत्र का प्रमाण पत्र के आधार पर 30 बाई 30 की जमीन भी जल संसाधन विभाग और शासन प्रशासन सरकार उपलब्ध नहीं करवा पाई है। मकान में लगे रूपये की बर्बादी भी कर दी गई है। आदिवासी परिवार बर्बाद होने के साथ साथ कर्जदार भी बन गया है। 

एसडीओ, पुलिस के दल-बल के साथ जेसीबी ले जाकर अतिक्रमण हटावाया


हम आपको बता दे कि भीमगढ़ बांध निर्माण के दौरान आदिवासी परिवार की 3.75 हेक्टेयर जमीन डूब में चली गई हो और उसी की नातिन यदि डूब क्षेत्र में ही 30 बाई 30 में मकान निर्माण कर लिए तो उसका अतिक्रमण खुद जल संसाधन विभाग के एसडीओ, पुलिस के दल-बल के साथ जेसीबी ले जाकर अतिक्रमण हटावाया हैं।
            वही जानबकारों की माने तो जमीन कोई भी विभाग की हो बिना राजस्व अधिकारियों के आदेश के अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकता है। आदिवासी परिवार का घर गिराना है इसलिए जल संसाधन विभाग के एसडीओ खुद ही सर्वे सर्वा बन गये है।

डूब क्षेत्र का प्रमाण पत्र लगाकर मांगी थी अनुमति 

आदिवासी परिवार ने कार्यपालन यंत्री तिलवारा वायी तट नहर संभाग केवलारी जिला सिवनी से एसडीओ जल संसाधन विभाग अनुविभाग क्रमांक 3 भीमगढ़ से अनुरोध भी किया था। जिसमें कमरा रूम बांध अनुविभाग क्रमांक 3 भीमगढ़ में बनाने हेतु आग्रह भी किया था।
            आदिवासी परिवार के सदस्य श्रीमती ज्योति सिरसाम पति श्री सुरेश सिरसाम निवासी गंगई खास तहसील छपारा जिला सिवनी ने कहा कि उनके आजा की भूमि जल संसाधन विभाग में अधिग्रहण की गई है। मेरे पिता व मेरे परिवार के सदस्यों ने डूब क्षेत्र से प्रभावित होने के बाद भी किसी भी शहर में भूमि प्राप्त नहीं किया है।                 वहीं हम शिक्षित बेरोजगार है कमरा बनाकर अपना रोजगार करने के लिये भूमि जल संसाधन विभाग की जगह पर कमरा का निर्माण कार्य करके रोजगार चलाने का उद्देश्य है। इसके लिये अनुमति भी मांगी थी परंतु उन्हें अनुमति नहीं दी गई। वहीं जब इस संबंध में जल संसाधन विभाग के अधिकारी को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। 

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