3 आदिवासी अनाथ मासूम बच्चे अपना जीवन यापन स्वयं करने है मजबूर
जिला प्रशासन की संवेदनशीलता से संवर सकता है 3 आदिवासी बच्चों का भविष्य
सिवनी जिले के केवलारी ब्लॉक के ग्राम गुबरिया का है मामला
सिवनी। गोंडवाना समय।
बिना माता पिता के सहारे ही 8 वर्ष से कम उम्र के 3 आदिवासी भाई बहन खुद खाना बनाकर भोजन खाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है। अब आप अंदाजा लगा सकते है कि मासूम बच्चे कितनी साफ सफाई करते हुये अपनी दिनचर्या को वह किस तरह स्वयं निर्वाह करते होंगे।
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी के केवलारी विधानसभा क्षेत्र की जनपद पंचायत केवलारी के ग्राम गुबरिया में 3 मासूम आदिवासी बच्चों की दयनीय स्थिति को जानने के बाद पारिवारिकता, मानवीयता, सामाजिक व्यवस्था, संवदेनशीलता, स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर चिंतन मनन करने वाला मामला सामने आया है।
केवलारी जनपद पंचायत के अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्राम गुबरिया में लगभग 8 वर्ष से कम उम्र के 3 आदिवासी भाई बहनों की दयनीय स्थिति ने मानवीयता को तो झकझोर कर ही दिया है। इसके साथ में आदिवासी समाज के सामाजिक मिशन चलाने वाले संगठनों पर भी सवाल उठाने को मजबूर कर दिया है।
इसके साथ साथ स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था व शासन व सरकार की योजनाओं को संचालित करने वाले विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली व उनकी संवेदनशीलता पर भी प्रश्न उठना लाजमी है।
भला हो समाजसेविका सुश्री वंदना तेकाम एवं नरेन्द्र मर्सकोले का जिन्हें इन तीनों आदिवासी भाई बहनों की जानकारी मिली तो वे गुबरिया गांव पहुंच गये और फिर उनकी सुरक्षा, देखभाल व भविष्य संवारने को लेकर सिवनी कलेक्टर श्री क्षितिज सिंघल से मिलकर 3 आदिवासी भाई बहनों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने का प्रयास प्रारंभ किया।
दिनेश उईके, आकांक्षा उईके, हरीकंचन उईके की है दयनीय स्थिति
केवलारी विधानसभा क्षेत्र के जनपद पंचायत केवलारी के अंतर्गत ग्राम गुबरिया में बिना माता-पिता के सहारे ही आदिवासी परिवार के तीन बच्चे अपना जीवन यापन करने को मजबूर है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम गुबरिया में 3 आदिवासी भाई बहनों की माता जी का स्वर्गवास बहुत पहले हो चुका है। वहीं उनके पिता स्वर्गीय इंद्रेश उईके का देहांत भी जुलाई माह में हो चुका है।
तीन आदिवासी भाई बहनों में दिनेश उईके, आकांक्षा उईके, हरीकंचन उईके है। ग्राम गुबरिया में आगंनवाड़ी केंद्र से लेकर पंचायत के प्रतिनिधि व अन्य विभागों के कर्मचारी भी मौजूद है। आदिवासी सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व राजनैतिक दलों के पदाधिकारी भी निवासरत है।
इसके बाद भी आदिवासी परिवार के 3 भाई बहनों को अपना जीवन यापन स्वयं करना पड़ रहा है। बिना माता-पिता के जीवन यादप करने वाले आदिवासी भाई बहनों में दिनेश उईके, आकांक्षा उईके, हरीकंचन उईके की प्रतिदिन की दिनचर्या व कार्यप्रणाली मानवीय व सामाजिक चिंतन के लिये गंभीर विषय है और तीनों आदिवासी भाई बहनों की दयनीय स्थिति पर ध्यान देने की अनिवार्य आवश्यकता है।
सामाजिक संगठनों के लिये बड़े ही चिंतन मंथन का विषय है
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी के अंतर्गत सामाजिक संगठनों के द्वारा सामाजिक मिशन के तहत आदिवासी समाज के विकास, उत्थान, कल्याण के लिये अनेकों कार्य किये जा रहे है। आदिवासी समाज के हित व अधिकार सहित संवैधानिक अधिकारों के लिये भी आदिवासी समाजिक संगठनों के द्वारा आवाज उठाई जाती है यह सामाजिक हित व कल्याण के लिये अच्छी बात है।
वहीं दूसरी ओर केवलारी ब्लॉक के ग्राम गुबरिया में बिना माता-पिता के सहारे ही 3 आदिवासी भाई बहनों के द्वारा जीवन यापन करने का मामला प्रकाश में आने के बाद सामाजिक संगठनों के लिये बड़े ही चिंतन मंथन का विषय है।
प्रशासनिक की मदद से बन सकता है अनाथ आदिवासी बच्चों का उज्ज्वल भविष्य
केवलारी ब्लॉक के ग्राम गुबरिया में 3 अनाथ बच्चों की जानकारी हालांकि सिवनी जिला कलेक्टर श्री क्षितिज सिंघल तक मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता वंदना तेकाम व नरेन्द्र मर्सकोले द्वारा संपर्क करते हुये कलेक्टर कार्यालय में दी गई है।
कलेक्टर श्री क्षितिज सिंघल द्वारा अनाथ 3 आदिवासी बच्चों की जानकारी मिलने पर तत्काल महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री अभिजीत पचौरी को बच्चों की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिये गये है।
वहीं महिला बाल विकास अधिकारी कार्यालय सिवनी में पदस्थ सहायक संचालक श्री राजेश लिल्हारे द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुये तत्काल बच्चों की समुचित व्यवस्था कराने संबंधित शाखा के कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी है।
सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री वंदना तेकाम और नरेन्द्र मर्सकोले के प्रयास से जिला प्रशासन सिवनी की मदद से शासन की योजनाओं के तहत 3 आदिवासी बच्चों को लाभ मिलता है तो उनका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।