अमृत सरोवर के नाम पर मलखेड़ा ग्राम पंचायत में बना दिया भ्रष्टाचार की डबरा-डबरी
सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, उपयंत्री और ठेकेदार की मिलीभगत से लाखों का भ्रष्टाचार
ना खाऊंगा न खाने दुंगा की बात करने वाले के राज में आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में यह स्थिति है कि दौलत की भूख और भ्रष्टाचार की आदत पंचायती राज में तकनीकि अमला में कूट कूट कर समा चुकी है जिसकी कोई उपचार या सुधार की गुंजाईश भी दिखाई नहीं दे रही है।
नीचे से लेकर ऊपर तक के क्रियान्वयन एजेंसी प्रशासनिक मिशनरी ठस्से से यह कहती है कि ऊपर तक देना पड़ता है हम सब मिल बांटकर खा रहे है। बेखौफ होकर भ्रष्ट गतिविधियों को इसलिये अंजाम दिया जा रहा है कि किसी का कुछ बिगड़ नहीं पा रहा है न कही कोई कार्यवाही हो रही है।
सारा की सारा आसमान फटा हुआ है कहां तक छेद गिनाने की कहावत चरीतार्थ हो रही है। मंच और मीटिंग तक सिमटी ईमानदारी, सुशासन तो ऐसी जुबान में समाई हुई है कि 1 रूपये में एक पैसा भी भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ रहा है।
हां लेकिन 1 रूपये पहुंचाते थे तो 15 पैसा ही पहुंचता था उनकी सरकार की चर्चा जरूर चुनावी भाषणों में की जाती है लेकिन अभी 1 रूपये में पूरा की पूरा 100 पैसा मटियामेट करके भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने का खेल चल रहा है लेकिन सीना चौड़ा कर सुशासन व ईमानदारी की बात जोरो से की जा रही है।
पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा बनी परंपरा
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी के अंतर्गत लखनादौन जनपद पंचायत क्षेत्र में पंचायती राज व्यवस्था के तहत अधिकांश ग्राम पंचायते ठेकेदारी प्रथा को अब परंपरा बनाकर अपना चुकी है।
केंद्र व राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना जिसमें अमृत सरोवर तालाब जो ठेकेदारों और तकनीकि अधिकारियों के लिये कुबेर का खजाना बन चुका है।
अमृत सरोबर तालाब के माध्यम से जल संरक्षण व किसानों ग्रामीणों को लाभांवित करने का अच्छा माध्यम बन सकता था और भविष्य में लाभदायी भी साबित होता यदि ईमानदारी से निर्माण कार्य किया जाता।
सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, उपयंत्री की चौखड़ी ठेकेदार के साथ कर रहे बंदरबांट
जनपद पंचायत लखनादौन के अंतर्गत ग्राम पंचायत मलखेड़ा के सुखवाह गांव के अर्मत सरोबर तालाब भ्रष्टाचार की कहानी स्वयं बयां कर रहा है।
ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती गीता भलाबी, सचिव यशवंत गोल्हानी, रोजगार सहायक पुरुषोत्तम जायसवाल एवं उपन्यत्री रामकुमार बघेल की चौखड़ी भ्रष्टाचार को अंजाम सामने से दे रहे है।
इन्होंने आपस मिलकर भ्रष्टाचार का गठबंधन कर अपने निजी स्वार्थ के चलते 21 लाख 68 हजार की लागत से बनने वाले अमृत सरोवर को भ्रष्ट ठेकेदार नीरज शर्मा के साथ मिलकर एक डबरा डबरी का रूप देकर शासकीय राशि की बंदरबांट करते हुये भ्र्रष्टाचार करने में सहभागिता निभाया है।
निजी स्वार्थ के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया
अमृत सरोवर तालाब के लिये लाखों रूपये की योजना राशि प्रदान करने के पीछे शासन व सरकार का यही उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्र में जलसंरक्षण की संसाधन बढ़ें और सिंचाई सुविधा के साधन बढ़े।
अमृत सरोबर तालाब सिवनी जिले में जहां जहां बने हुये है वह खुद पानी को मोहताज है। अमृत सरोबर योजना को पलीता लगाने वाले सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, उपयंत्री रामकुमार बघेल ने ठेकेदार नीरज शर्मा के साथ मिलकर घटिया कार्य निजी स्वार्थ के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया है।
उच्च स्तरीय जांच की सख्त आवश्यकता
अमृत सरोबर तालाब निर्माण कार्य की भौतिकता की यदि सूक्ष्मता से जांच की जाती है तो निश्चित ही बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होगा। लखनादौन जनपद पंचायत में वर्षों से बैठे अधिकारियों ने जिस तरह से कमिशन का खेल खेला है यदि उनके भरोसे जांच का जिम्मा सौंपा जाता है तो सरकार का उद्देश्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगा। उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता लखनादौन जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में हुये निर्माण कार्यों की आवश्यकता है विशेषकर अमृत सरोबर तालाब में सर्वाधिक भ्रष्टाचार हुआ है।