सावित्री बाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं
आंबेडकर जी, जयपाल सिंह मुंडा, प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फूले की प्रतिमा पर किया माल्यापण
अलीराजपुर। गोंडवाना समय।
आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास) ने स्थानीय जवाहर नवोदय विद्यालय पहुच कर भारतीय संविधान निमार्ता समिति के सदस्य जयपालसिंह मुंडा एवं समाज सेविका तथा देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
आकास जिला अध्यक्ष भंगुसिंह तोमर ने कहा कि मूल संविधान से आदिवासियों को जो मजबूती मिलती है, उन्हीं की बदौलत हैं, उन्हीं के संघर्ष का परिणाम हैं। जो काम दलितों और पिछड़ों के लिए बाबा साहब ने किया। वही काम आदिवासियों के लिए जयपालसिंह मुंडा ने किया हैं परन्तु उन्हें इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली पाई। हम सबको उनसे प्रेरणा लेकर कार्य करने की जरूरत है।
वे बहुमुखी प्रतिभाशाली आदिवासी योद्धा थे
आकास महासचिव सुरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि हम में से अधिकतर लोग आदिवासियों के आन-बान-शान डॉ. जयपाल सिंह मुंडा को नहीं जानते हैं। बाबा साहब के साथ मिलकर संविधान बनाया, आदिवासी व पिछड़ों को अधिकार दिया।
इन्होनें अल्प आयु में ही कई क्षेत्रों में आदिवासी नेतृत्व का लोहा मनवाया जैसे खेल, राजनीति, शिक्षा के क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया है। उनके परिचय को जानना जरूरी है। वे बहुमुखी प्रतिभाशाली आदिवासी योद्धा थे।
हॉकी के विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ी थे
आकास कोषाध्यक्ष रतनसिंह रावत ने कहा कि इनकी कुशाग्र बुद्धि एवं विलक्षण प्रतिभा धनी थे। अंग्रेज भी उनकी प्रतिभा से चकित थे। उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई विश्व की सर्वश्रेष्ठ आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय इंग्लैंड से की थी। हॉकी के विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ी थे।
जो कि 1928 की ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे भारत को गोल्ड मेडल दिलाया पर अफसोस कि आदिवासी होंने से उपेक्षित रहे हैं। इनके जूनियर खिलाड़ी ध्यानचंद को सब जानते हैं ।परन्तु जयपालसिंह मुंडा को नहीं। वे सिविल सर्विस (कअर) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले पहले आदिवासी थे, बाद में उन्होंने सिविल सर्विस की नौकरी त्याग कर और ताउम्र आदिवासियों के हक-अधिकारों के लिये लड़ते रहे।
प्रथम बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं
जवाहर नवोदय विद्यालय की प्राचार्य श्रीमति सविता पाठक ने कहा कि सावित्री बाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। सावित्री बाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। भारत की प्रथम बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं।
1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए भी एक विद्यालय की स्थापना की थी। 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। इस अवसर पर आकास जिला उपाध्यक्ष बहादुर सिंह रावत, सक्रिय सदस्य रमेश डावर, उपप्राचार्य मनीष दत्त मिश्रा, वरिष्ठ शिक्षक नवीन कुमार कुमावत एवं राजकुमार मीणा आदि थे।