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राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बिरिजलाल बैगा की पलायन के बाद 15 वर्षों बाद होगी घर वापसी

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बिरिजलाल बैगा की पलायन के बाद 15 वर्षों बाद होगी घर वापसी

आदिवासी अपने जीवन यापन के लिए, आदिवासी क्षेत्रों से कर रहे पलायन, जिम्मेंदार कौन ?

राष्ट्रीय विशेष संरक्षित जनजाति की स्थिति मध्यप्रदेश में दयनीय 


बैहर/बालाघाट। गोंडवाना समय। 

राष्ट्रीय विशेष संरक्षित बैगा जनजाति, राष्ट्रीय मानव, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा परिवारों का जीवन यापन के लिए विगत 15 वर्षों से पलायन के दंश का शिकार ग्राम सोनटोला ग्राम पंचायत लहंगाकन्हार विधान सभा बैहर के बिरिजलाल मर्सकोले अब सामाजिक सहयोग से अपने गृह ग्राम वापस लौटने वाले है। 

काम की तलाश में 15 वर्ष पहले नागपूर महाराष्ट्र गये थे 


उक्त जानकारी देते हुये सामाजिक कार्यकर्ता भुवन सिंह कोर्राम ने बताया कि 06 जनवरी 2024 विगत कई वर्षों से गुम हुये बिरिजलाल बैगा से कलकत्ता हाइवे ग्राम पलासबानी जमशेदपुर झारखंड स्थित देवा होटल ढाबा पर मुलाकात हुई। वहां पर पहुंचने पर देखते-देखते ही बिरिजलाल के चेहरे की खुशी से मानवीय संवेदनाओं का जीवन में गहरा अनुभव हुआ।
        मुलाकात के दौरान खैर खबर ली गई फिर उन्होने अपनी आप बीती सुनाई कि विगत 15 सालों से बैगा आदिवासी परिवार मजदूरी के लिए पलायन का दंश झेल रहे है जो कि सोनटोला, पंचायत लंहगाकन्हार विधानसभा बैहर के निवासी है, उस बैगा परिवार का मुखिया बिरीज लाल मर्सकोले बीते 15 वर्षों पहले मजदूरी के लिए गांव के साथियों के साथ पलायन कर नागपूर महाराष्ट्र गये थे। 

केरल, दिल्ली, कल्कत्ता छत्तीसगढ़ में भटकते रहा


पढ़ा लिखा भाषा का ज्ञान ना होना और अधिक समझ का ना होने के चलते अपने साथियों से भटक गया, फिर भटकते भटकते किसी तरह गांव लौटने के प्रयास के लिए ट्रेन में बैठा पर केरल राज्य जा पहुंचा। जहां किसी तरह नारियल और सुपारी की नर्सरी में काम कुछ वर्षो तक किया। फिर अपने परिवार से मिलने घर वापसी कि की कोशिश की गई लेकिन अंतमुर्खी नासमझ होने से ट्रेन के द्वारा कलकत्ता, दिल्ली, छत्तीसगढ़ के अनेको जगहों में काम करते-करते भटकते रहा। 

पैदल लड़खड़ाते हुए बेहद ही कमजोर बीमार स्थिति में चल रहा थे बिरिजलाल बैगा 


झारखंड के साथियो ने बताया की पिछले 9 माह पूर्व कलकत्ता हाइवे पर बरसात के मौसम में भारी बारिश में पैदल लड़खड़ाते हुए बेहद ही कमजोर बीमार स्थिति में चल रहा था। जिसे हमारे द्वारा देखा गया जब उसे रेस्क्यू का मन बनाकर उसे हाइवे स्थित ढाबे पर लाया गया, पुछताछ की गई पर बोल पाने की स्थिति में नहीं था मानसिक रूप से सही नहीं था, उसके बाल, दाढ़ी बनवाकर नहलाया गया।
            स्वच्छ कपड़े पहनाकर उसकी बीमारी का ट्रीटमेंट किया गया। उसे परिवार के सदस्यो की तरह देखभाल की गई, ठीक होने पर जब बोलने लायक हुआ तो पूछा गया पर जिला, प्रदेश, तहसील की अधिक जानकारी ना होने की वजह से अपना सही पता नहीं बता रहा पा रहा था, बैगा भाषा से बोलने के कारण कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था। बस पुछने पर पाथरी सोनटोला बता रहा था जो पता ढूंढने काफी नहीं था।

जीवित होने का पता चला परिवार और गांव वालों की खुशी देखते ही बन रही थी

कोशिश जारी रही सामाजिक संगठनों के कार्यकतार्ओं का अन्य प्रदेशों से जुड़े होने के कारण बड़वानी के समाजसेवी से संपर्क हुआ, जिनके चलते हमारे समाज सेवी तिर. गांधी घोरमारे लांजी से हुई, उन्होंने मुझे और सक्रीय सामाजिक युवा समाजसेवी तिरु. पी के ताराम बैहर, सक्रीय समाजसेवी हेमलाल धुर्वे से संपर्क किया। फिर इस बात को संज्ञान में लेकर जानकारी खंगालने का अभियान शुरू किया।
            पाथरी स्थित शिक्षक लखन सिंह धुर्वे से संपर्क कर फोटो, नाम, गांव की जानकारी को पुख्ता वेरिफाई की गई उनके परिवार से पूरी जानकारी ली गई। जिसमें बिरिजलाल का सन 2006 का जॉब कार्ड एवं राशन पर्ची प्राप्त हुई। जब परिवार को बिरिजलाल के जीवित होने का पता चला जिसे उन्होने मृत समझ लिया था तो उनके और गांव वालों के खुशी देखते ही बन रही थी। 

देश में काबिज हुक्मरानों सरकारों आदिवासी नेतृत्वों की कथनी करनी हुई उजागर 

परिवार एवं गांव वालों को टकटकी लगाकर यही उम्मीद समाज से आशा थी कि बिरीजलाल को किसी भी तरह परिवार वालों से मिलाने ग्राम सोनटोला पंहुचाया जाये। इस बात को फेसबुक व्हाट्सएप सामाजिक ग्रुपों में शेयर कर बृजलाल की वापसी के लिए मार्गदर्शन सहयोग मांगा जो मिला।
            इसी बात को लेकर जनपद पंचायत बिरसा के प्रतिनिधियों, एवं क्षेत्रीय विधायक बैहर को उनके प्रतिनिधी के द्वारा मानवीय आधार पर बिरिजलाल बैगा की वापसी हेतु संदेश पंहुचाया गया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी।
            इस आदिवासी समाज के सबसे निचले स्तर पर जीवन यापन करने वाले बैगा समाज जिन्हे भारत सरकार ने विशेष संरक्षण का दर्जा एवं राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया गया है पर देश में काबिज हुक्मरानों सरकारों और उनमें हमारे आदिवासी नेतृत्वों की कथनी करनी में वर्तमान की उनकी स्थिति बयां करती है। 

सरकारी योजनाओं का विकास जमीनी स्तर पर ना होकर कागजी फाइलों तक सीमित रहा है 

जबकि भारत की सविधान के प्रावधानों के अंतर्गत आदिवासी उप योजना (टीएसपी) अनुछेद 275 (1) के तहत अनुदान के रूप में मूलभूत सुविधाओं संवर्धन एवं संरक्षण के लिऐ प्रदाय किया जाता है लेकिन सरकारी योजनाओं का विकास जमीनी स्तर पर ना होकर कागजी फाइलों तक सीमित रहा है। 

सगा समाज से अपेक्षा है की बिरिजलाल के घर वापसी का स्वागत किया जाये 

अन्तत: हम समाज के कार्यकतार्ओं के सामूहिक सहयोग से मानवीय संवेदनाओं एवं आदिवासी समाज का अभिन्न अंग को सर्वोपरी तवज्जो के आधार पर भुवन सिंह कोर्राम, हेमलाल धुर्वे एवं उनके पंचायत के सगा के साथ जमशेदपुर झारखंड जाकर इस मानवीय मूल्यों को समझकर जानें का निर्णय लिया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप इस अभियान के तहत 6 जनवरी 2024 को जमदेशपुर झारखंड पहुंचे।
                वहां झारखंड के सभी समाजसेवियों ने बिरिजलाल के सुरक्षा व संरक्षण में विशेष भुमिका निभाई थी उनसे मुलाकात हुई सारी परिस्थितियों से अवगत कराया गया। वहीं 7 जनवरी को सारी फॉर्मलिटी कर बिरिजलाल की वापसी दिनांक 08 जनवरी 2024 को होगी। इस अवसर पर सगा समाज से अपेक्षा है की बिरिजलाल के घर वापसी का स्वागत किया जाये। 


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