मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा का आदिवासियों के बीच बढ़ा जनाधार
आदिवासी आरक्षित 101 सीटों में 53 पर भाजपा और 43 पर कांग्रेस जीती
1 पर गोंगपा तो 4 पर भारत आदिवासी पार्टी की हुई जीत
सिवनी। गोंडवाना समय।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर आगामी लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। भाजपा ने जीत दर्ज कर कांग्रेस शासित राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता छीनी है तो मध्यप्रदेश पर कब्जा पूरी मजबूती के साथ बरकरार रखा है।
इस जीत में बड़ी भूमिका आदिवासियों के लिए सुरक्षित सीटों का भी है, जहां भाजपा ने बाजी मारी है। पहले के मुकाबले आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा के काबिज होने को मतदाताओं के मूड में अप्रत्याशित बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
इसमें एक बड़ा कारण जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर इस समुदाय के सबसे कमजोर वर्गों के लिए महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत को भी माना जा सकता है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में आदिवासी आरक्षित 101 सीट है जिसमें से 53 पर भाजपा और 43 पर कांग्रेस जीती है। वहीं छत्तीसगढ़ में गोंगपा ने 1 सीट, राजस्थान में भारत आदिवासी पार्टी ने 3 और मध्यप्रदेश में भारत आदिवासी पार्टी ने 1 सीट जीती है।
बिरसा मुंडा की धरती से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की धरती खूंटी के उलिहातू को इस योजना के लिए चयनित किया तो इसका व्यापक संदेश इन राज्यों में गया। उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए 24 हजार करोड़ की लागत से चलाई जाने वाली नई योजना के फायदे गिनाएं और चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया। इस दौरान नाम लिए बगैर उन्होंने कांग्रेस को सीधे निशाने पर लिया।
इससे आदिवासी समुदाय में संदेश जाने का अहसास कांग्रेस को था तभी तो प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की तरफ से तंज कसे गए। प्रधानमंत्री के संदेश का व्यापक असर इन राज्यों में हुए चुनाव में दिखा है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की कुल 90 विधानसभा सीटों में 29, मध्यप्रदेश में 230 सीटों में 47 और राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है। इन सीटों पर भाजपा की बढ़त से विरोधी दलों का चिंतित होना भी स्वाभाविक है।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आदिवासी आरक्षित 76 सीटों में ये रहा परिणाम
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आदिवासी आरक्षित 76 सीटे है जिसमें भाजपा ने 41 सीटों पर जीत दर्ज किया है वहीं जबकि 2018 में यह आकड़ा 19 था। छत्तीसगढ़ में 29 आदिवासी आरक्षित सीटों में से भाजपा 17 सीटें जीती है वहीं कांग्रेस 11 सीटे है इसके साथ ही 1 सीट गोंगपा ने जीती है। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की 47 आदिवासी आरक्षित सीटों में भाजपा ने 24 सीटों पर जीत दर्ज किया किया है वहीं कांग्रेस 22 सीटे जीती है और 1 सीट भारत आदिवासी पार्टी सैलाना में जीत दर्ज की है।
राजस्थान व तेलंगाना में ये रही स्थिति
राजस्थान में आदिवासी आरक्षित 25 सीटें आरक्षित है इसमें से 12 पर भाजपा जीती है। इसी तरह 10 सीट पर कांग्रेस जीती है वहीं 3 सीटों पर भारत आदिवासी पार्टी ने जीत कराई है। तेलंगाना में 12 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 9 सीटें कांग्रेस ने जीती है वहीं 3 सीट बीआरएस जीती है भाजपा का शून्य पर है।
2018 में कांग्रेस के पक्ष में आये थे परिणाम
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में अच्छे अंतर से जीत हासिल किया था। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में 29 में से 25 सीटे जीती थी। मध्यप्रदेश में 47 में से 31 सीटे जीती थी वहीं राजस्थान की 25 में 12 सीटे कांग्रेस ने जीती थी।
भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा
मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भाजपा का आदिवासियों के बीच जनाधार बढ़ा है। मध्यप्रदेश के आदिवासी सीटों पर कुल वोट है उसका 46 प्रतिशत वोट भाजपा को और कांग्रेस को 42.9 प्रतिशत मिला है यानि आदिवासी सीटों पर भाजपा का वोट प्रतिशत 7.1 प्रतिशत बढ़ा है और कांग्रेस का 0.1 प्रतिशत घटा है।
वहीं छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीटों पर कुल जितने वोट डाले गये है उसका 43.3 प्रतिशत भाजपा को मिला है और कांग्रेस को 41.7 प्रतिशत मिला है अर्थात भाजपा 11 प्रतिशत वोट बढ़ा है ओर कांग्रेस का 3.4 प्रतिशत घटा है। राजस्थान में तो आदिवासी सीटों पर भाजपा व कांग्रेस दोनो का वोट प्रतिशत कम हुआ है।