ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल का चुनाव हुआ शून्य, पुन: चुनाव कराने के आदेश
अनुसूचित जाति वर्ग की आरक्षित सीट पर बिना जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने का है मामला
न्यायालय कमिश्नर, जबलपुर संभाग, ने लगाई चुनाव शून्य कार्यवाही पर मुहर
रामप्रसाद डेहरिया ने ब्रजेश सिंह लल्लू सहित अन्य पर कार्यवाही कर लिए कमिश्नरी में लगाई थी याचिका
लल्लू बघेल ने वंशावली के अनुसार उसकी जाति बागरी है वह अनुसूचित जाति का सदस्य है यह दी थी जानकारी
प्रकरण क्रमांक 0290/2022-23 पर दिनाँक 16 नवम्बर, 2023 को चुनाव शून्य का हुआ आदेश
शपथ पत्र के आधार पर जाति का निर्धारण करने का असफल प्रयास किया गया है जो विधि संगत नही है
780 जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति मध्यप्रदेश शासन भोपाल को भेजा गया है
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिला पंचायत चुनाव में वार्ड नंबर 1 से चुनाव लड़ने वाले बृजेश उर्फ लल्लू बघेल का चुनाव निरस्त किया जा चुका है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बृजेश उर्फ लल्लू बघेल वार्ड नंबर 1 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते थे लेकिन अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के कारण उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाया गया था। वर्तमान में वे जिला पंचायत के उपाध्यक्ष पद पर आसीन थे।
नियम कानून को ताक पर रखकर अध्यक्ष बनने की कवायद करने वाले बृजेश उफ लल्लू बघेल यह भूल गए थे कि वह फजीर्वाडा कर अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं। राम प्रसाद डेहरिया ने लल्लू बघेल के खिलाफ याचिका दायर कर इस मामले को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जहां कानून को ताक पर रखने वाली बात सिद्ध हो गई और जिला पंचायत सदस्य बृजेश उर्फ लल्लू बघेल का चुनाव निरस्त हो गया है।
कमिश्नर न्यायालय का आदेश
याचिकाकर्ता रामप्रसाद डेहरिया पिता श्री स्वरुपंद डेहरिया, निवासी ग्राम सिमरिया, पोस्ट बींझावाडा, तहसील व जिला सिवनी (म०प्र०) दवारा यह निर्वाचन याचिका म०प्र० पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 122 म०प्र०पंचायत राज अधिनियम 1993 सहपठित नियम 3 म०प्र०पंचायत (निर्वाचन अर्जिया/भ्रष्टाचार और सदस्यता के लिये निर्हता) नियम 1995 के अंतर्गत जिला सिवनी वार्ड क्रमांक 1, 2 व 7 के नाम निर्देशन पत्र जो गलत रूप से स्वीकार किये गये, उन्हें निरस्त करते हुये याचिका कर्ता को निर्वाचित घोषित किये जाने एवं रिटर्निग आफीसर द्वारा पारित आदेश दिनाँक 07/06/2022 निरस्त किये जाने के संबंध में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। जो कि मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग 2- से जारी कार्यक्रम एफ-37 /पीएन-01/2022/तीन/211 भोपाल दिनाँक 27/05/2022 के अनुसार निर्वाचन प्रक्रिया का कार्यक्रम घोषित किया गया था।
अनुसूचित जाति के सदस्य दर्शाते हुए शपथ पत्र सहित नाम निर्देशन पत्र जमा किये गये थे
सिवनी जिले के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 01 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। याचिकाकर्ता व उपरोक्त प्रत्यार्थीगण दवारा जिला सिवनी के वार्ड क्रमांक 01 के लिए अपने-अपने नाम निर्देशन पत्र दाखिल किए गए थे, राज्य चुनाव आयोग द्वारा याचिकाकर्ता को चुनाव चिन्ह (छाता) व प्रत्यर्थी क्रमांक 1 को चुनाव चिन्ह (दो पत्तियां) आबंटित किये गये थे एवं अन्य प्रत्यर्थीगणों को भी चुनाव चिन्ह आबंटित किये गये।
याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति का सदस्य होने से उसके द्वारा वार्ड क्रमांक 1 के लिये नाम निर्देशन पत्र दाखिल किया गया वही प्रार्थीगण ने भी अपने को अनुसूचित जाति का सदस्य दर्शाते हुये नामांकन पत्र जमा किये थे। प्रार्थीगण क्रमांक 1, 2 व 7 के द्वारा अनुसूचित जाति के सदस्य दर्शाते हुए शपथ पत्र सहित नाम निर्देशन पत्र जमा किये गये थे। जिस पर याचिक कर्ता दवारा दिनाँक 07/06/2022 को आपत्तियां जिला निर्वाचन अधिकारी, जिला पंचायत निर्वाचन सिवनी को प्रस्तुत की गई थी।
वह बागरी जाति का सदस्य है, स्वीकार कर भूल की है जिससे निर्वाचन दूषित हुआ है
याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आपति मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र क्रमांक एफ-70-पीएन-10/2021/तीन/332 भोपाल दिनॉक 03/06 2022 एवं पत्र क्रमांक एफ-70-130/2014/लीन / 1696 भोपाल दिनॉक 05/12/2014 प्रकरण क्रमांक 0290/अपील तथा मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 40क(1) एवं (2) में दिये गये थे तथा मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 40 क (1) एवं (2) में दिये गये निदेर्शानुसार अभ्यर्थी द्वारा दिये गये शपथ पत्र में उल्लेखित जाति/आरक्षित वर्ग के वारे में जॉच न करते हुए अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अभ्यर्थी का नाम निर्देशन पत्र स्वीकार कर आपत्तिकर्तागणों द्वारा प्रस्तुत आपत्ति अस्वीकार किये जाने का आदेश दिनाँक 07/06/2022 पारित किया गया।
प्रत्यर्थीगण अनुसूचित जाति के सदस्य न होते हुए भी उनके द्वारा झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने से, गलत तरीके से निर्देशन पत्र को रिटर्निंग आॅफीसर जिला पंचायत सदस्य सिवनी म०प्र० द्वारा स्वीकार किये जाने से व्यथित होकर याचिका कर्ता द्वारा यह अपील निम्नलिखित प्रमुख आधारों पर प्रस्तुत की गई थी :- 3(1)- यह कि, रिटनिंग आफीसर द्वारा प्रत्यर्थी क्रमांक 1 के द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में दी गई जानकारी कि, वह बागरी जाति का सदस्य है, स्वीकार कर भूल की है जिससे निर्वाचन दूषित हुआ है।
शपथ पत्र के समर्थन में स्थायी जाति प्रमाण पत्र बागरी जाति का प्रस्तुत नहीं किया
यह कि रिटर्निग आफीसर द्वारा इस तथ्य की अनदेखी की गई है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 1 द्वारा अपने शपथ पत्र के समर्थन में स्थायी जाति प्रमाण पत्र बागरी जाति का प्रस्तुत नहीं किया है। इससे यह प्रतीत होता है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 1 के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं था।
रिटनिंग आफीसर को परिणाम घोषित करने के पूर्व इस बात की पूर्ण संतुष्टि कर लेना चाहिये था कि प्रत्यर्थी क्रमांक 1 के पास स्थायी जाति प्रमाण पत्र (बागरी) है अथवा नही। तब तक परिणाम घोषित नहीं करना चाहिये था। यह कि, रिटर्निग आफीसर द्वारा इस तथ्य की भी अनदेखी की गई है कि राज्य निर्वाचन आयोग भोपाल म०प्र० के ?द्वारा जारी दिशा निर्देश की कंडिका 10.14 के अनुसार नाम निर्देशन पत्र के साथ आरक्षित वर्ग का सदस्य होने की दशा में म०प्र०शासन के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र की छायाप्रति संलग्न करना आवश्यक है।
बागरी जाति के सदस्यों को अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य नही किया गया है
इसी तरह नाम निर्देशन पत्र की कंडिका 10.25 में यह उल्लेख किया गया है कि आरक्षित वर्ग का सदस्य होने की दशा में म०प्र०शासन के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र की प्रति संलग्न करवा ली जावे। इन तथ्यों व दिशा निदेर्शों को दरकिनार कर शपथ पत्र के आधार पर जाति का निर्धारण करने का असफल प्रयास किया गया है जो विधि संगत नही है।
जबकि महाकौशल क्षेत्र के सिवनी जिले के अंतर्गत निवासरत बागरी, बागडी जाति के सदस्य अनुसूचित जाति के रूप में मान्य नहीं है, बल्कि राजपूत ठाकुर की उपजाति बागरी ! बागड़ी के रूप में रह रहे है। इस संदर्भ में म०प्र०शासन के संदर्भित पत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश राज्य के महाकौशल, विध्य व बुंदेलखण्ड संभागों में निवासरत बागरी जाति के सदस्यों को अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य नही किया गया है।
सिवनी जिले के बागरी जाति के सदस्य अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य नहीं है
इस संदर्भ में 1978 से लगातार सिवनी जिले एवं राज्य सरकार के मध्य पत्र व्यवहार रहा है। राज्य सरकार की ओर से 1997 में डॉ० टी०केब्वैष्णव की अध्यक्षता में कमीशन बनाकर जाँच कार्यवाही की गई, जाँच में यह पाया गया कि महाकौशल सिवनी जिले के बागरी जाति के सदस्य अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य नहीं है, सिवनी जिले के बागरी जाति के सदस्य राजपूत जाति के समकक्ष आते हैं।
अनुसूचित जाति की पात्रता नहीं रखते हैं। वर्ष 1999 से जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहे हैं। राज्य सरकार की जाँच के आधार पर भारत सरकार की ओर से वर्ष 2007 में अनुसूचित जाति बिल 2007 संसद ?द्वारा पारित कर राजपूत ठाकुर की उपजाति वागरी/बागडी जाति को अनुसचित जाति मान्य नहीं करने का बिल पारित कर शासनादेश जारी किया गया था।
उक्त आदेश के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन द्वारा परिपत्र जारी कर सिवनी जिले के बागरी जाति के लोगों को स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। इस संदर्भ में सिवनी जिले में निवासरत मूल अनुसूचित जाति के लोगां द्वारा समय-समय पर पत्राचार आंदोलन एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिकाएँ प्रस्तुत की गई है। जिसकी आदेश की प्रतियाँ संलग्न है।
सिवनी जिले के बागरी जाति के लोग अनुसूचित जाति में नहीं आते हैं
वहीं अनुविभागीय अधिकारी सिवनी के समक्ष भी अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत कर बागरी जाति द्वारा प्रमाण पत्र के आवेदनों पर दस्तावेज प्रस्तुत कर उक्त आवेदन निरस्त कराए गए हैं। वर्तमान में बागरी जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नही किया जा रहा है। सिवनी जिले के बागरी जाति के लोग अनुसूचित जाति में इसलिये नहीं आते हैं।
यह कि, कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सिवनी दवारा जारी ज्ञपन दिनाँक 18/10/2019 में यह स्पष्ट किया गया कि सिवनी जिले के अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामी का चयन किया गया है वे बागरी जाति बाहुल्य ग्राम है जो अनुसूचित जाति के अंतर्गत नहीं आते हैं।
यह कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007 में अनुसूचित जाति संविधान संशोधन अधिनियम 2007 के अनुसार मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची क्रमांक 02 पर बागरी/ बागडी (राजपूत ठाकुर) की उप्रजातियों बागरी/वागडी छोडकर संशोधन किया है। इस आधार पर मध्यप्रदेश के महाकौशल, विन्ध्य एवं बुंदेलखण्ड क्षेत्र के जिलो में निवासरत राजपूत वागरी जाति के सदस्य अब स्थायी रूप से अनुसूचित जाित के आरक्षण का फायदा लेने से बंचित हो चुके हैं।
बागरी जाति के सदस्यों द्वारा वर्ष 2007 तक चोरी छिपे जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति के बनवाया गया है
यह कि, मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में बागरी नाम को दो जातियां मानती है, पहली बागरी जाति अनुसूचित जाति की है जो उज्जैन संभाग की दो तहसालों में पाई जाती है तथा दूसरी बागरी जाति राजपूत जाति की उपजाति है, जो अपने नाम के आगे ठाकुर आदि लिखते हैं तथा अनुसूचित जाति के लोगों के साथ जातिगत दुर्व्यवहार से छुआछूत की भावना रखते हैं।
अनुसूचित जाति के लोगों का छुआ हुआ पानी नहीं पीते हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि यह जाति अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य नहीं है। यह कि सिवनी जिले के राजपूत बागरी जाति के सदस्यों द्वारा वर्ष 2007 तक चोरी छिपे जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति के बनवाया गया है। आधार पर शासन की नौकरी और अनुसूचित जाति को मिलने वाली सुविधाएं प्राप्त करते रहे है जिसमें संगठन की ओर से पूर्व में बने जाति प्रमाण छानबीन करने के लिये 780 जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति मध्यप्रदेश शासन भोपाल को भेजा गया है जाति प्रमाण पत्र बने निरस्त करने की कार्यवाहियों लगातार जारी है।
यह कि प्रत्याशी का निर्वाचन शून्य है क्योंकि उसका नाम निर्देशन पत्र गलत तरीके से स्वीकार किया गया है। यह अनुसूचित जाति (बागरी) का सदस्य नहीं है एवं उसके द्वारा शपथ पत्र पर गलत जानकारी दी गई है एवं साथ ही उसके द्वारा स्थायी जाति प्रमाण पत्र (बागरी) प्रस्तुत नहीं किया गया है।
केवल शपथ पत्र के आधार पर दी गई जानकारी विधि मान्य न होने से निर्वाचन शून्य किये जाने योग्य है। प्रत्यर्थीगण क्रमांक 1, 2 व 7 के दवारा शपथ पत्र पर मिथ्या जानकारी दी गई है जो कि दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
मूल अनुसूचित जाति के लोगों को मिले आरक्षण से वंचित होना पड़ा
यह कि याचिकाकर्ता दवारा चुनाव रद्द किये जाने बावत एक शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग भोपाल, आयुक्त महोदय राज्य निर्वाचन आयोग भोपाल एवं कलेक्टर/ जिला निर्वाचन अधिकारी सिवनी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की , नगरीय निकाय के चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिनाँक 06/06/2022 को निर्देश जारी किये गये, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख किया गया कि नाम निर्देशन पत्र के साथ जाति प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है।
जबकि जिला पंचायत चुनाव में केवल शपथ पत्र प्रस्तुत करना पूर्णत: त्रुटिपूर्ण है, जिसके फलस्वरूप उक्त चुनाव में फर्जी लोगों को आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने का मौका प्राप्त हुआ व मूल अनुसूचित जाति के लोगों को मिले आरक्षण से वंचित होना पड़ा।
जिस कारण से वार्ड क्रमांक 1 के निर्वाचन को शून्य पोषित किया जाना उचित होगा। यह कि, प्रत्यर्थी क्रमांक 1 का निर्वाचन अधिसूचित दिनाँक 15/07/2022 को प्रमाण पत्र देकर किया गया। इस प्रकार यह याचिका 30 दिवस की समयसीमा के अंदर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।
विचारोपरांत गैर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र अमान्य किया गया था
यह कि याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश पंचायत (निर्वाचन अर्जियां/भष्टाचार और सदस्यता के लिये निरर्हता) नियम 1995 के नियम 7 के तहत इस निर्वाचन अर्जी के साथ रुपए 1500/- की प्रतिभूति की राशि भी विनिर्दिष्ट अधिकारी के पास जमा किया था, याचिका कर्ता की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री संजय सर्वटे उपस्थित हुए उनके द्वारा प्रस्तुत तर्को का श्रवण किया गया तथा प्रस्तुत तर्कों से सहमत होते हुए प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर गैर याचिकाकर्तागणों को सूचना पत्र जारी किये गये एवं अधीनस्थ न्यायालय का मूल अभिलेख बुलाया गया। दिनांक 23/11/2022 को गैरयाचिका क्रमांक 1 द्वारा आवेदन पत्र: आदेश 7 नियम 11 प्रस्तुत किया गया। याचिकाकर्ता द्वारा आवेदन पत्र का जबाब प्रस्तुत किया गया। विचारोपरांत गैर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र अमान्य किया गया था। गैर याचिकाकर्ता क्रमांक 1 दवारा दिनांक 16/05/2023 को जबाब प्रस्तुत किया गया, जबाब की एक प्रति याचिकाकर्ता को प्रदाय की गई एवं प्रकरण तर्क हेतु नियत किया गया। क्रमांक 1 द्वारा अपने जबाब में यह उल्लेख किया गया है कि जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 01 के सदस्य का पद अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित था एवं प्रत्यर्थी क्रमांक 01 बागरी जाति का सदस्य है जो कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 के अंतर्गत म०प्र० हंत अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्य की गई है, अत: प्रत्यर्थी क्रमांक 1 द्वारा विधि सम्मत रूप से सदस्य पद हेतु अपना नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया गया था।
तो रिटर्निग आफीसर नाम निर्देशन पत्र को वैध मानेगा
याचिकाकर्ता के द्वारा प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के नाम निर्देशन पत्र के विरुद्ध इस आश्य की आपत्ति की गई कि बागरी जाति अनुसूचित जाति के अंतर्गत नहीं आती है एवं प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के पास जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। चूंकि नाम निर्देशन पत्र प्रस्तत करने की दिनाँक तक प्रत्यथर्थी क्रमांक 01 के पास जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नही था, अत: प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के द्वारा म०प्र०पंचायत निर्वाचन नियम 1995 एवं राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा समय समय पर जारी निदेर्शानुसार अपने नाम निर्देशन पत्र के साथ अनुसूचित जाति का होने संबंधी शपथ पत्र संलग्न किया गया था।
प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के पिता के भाई अर्थात उसके सगे चाचा के पास स्थाई अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र है जो कि प्रकरण क्रमांक 1162/वी-121/2002-03 दिनाँक 10/03/2004 को जारी हुआ था। इसी प्रकार प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के चचेरे भाई प्रमोद व सत्येन्द्र को भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राधिकृत अधिकारी द्वारा दिनाक 27/03/2003 व 28/04/2003 को जारी किया गया है, और रिटर्निंग आॅफीसर सिवनी ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आपत्ति का निराकरण आदेश दिनाँक 07/06/2022 को विस्तृत आदेश द्वारा किया गया। म०प्र०पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 के नियम 40 (क) (2) यह प्रावधानित करता है कि आरक्षित वर्ग के मामले में यदि संबंधित अभ्यर्थी उस वर्ग का सदस्य होने के बावत्, जिसके लिये सीट आरक्षित है, एक शपथ पत्र दाखिल कर देता है तो रिटनिग आफीसर मामले में आगे जाँच नहीं करेगा और नाम निर्देशन पत्रों का वैध मान लेगा। म०प्र०राज्य निर्वाचन आयोग के दवारा भी पत्र क्रमांक 70/130/2014/03/1696 भोपाल दिनाँक 05/12/2014 के माध्यम से यह दिशा निर्देश जारी किये गये थे कि यदि संबंधित अभ्यर्थी जाति संबंधी शपथ पत्र प्रस्तुत करता है तो रिटर्निग आफीसर नाम निर्देशन पत्र को वैध मानेगा। रिटर्निग आफीसर द्वारा याचिका कर्ता की आपत्ति को नियमानुसार निरस्त किया गया।
विजयी घोषित कर निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया गया
प्रत्यर्थी क्रमांक 1 द्वारा अपने जबाब में यह भी उल्लेख किया है कि वार्ड क्रमांक 01 के लिए मतदान 25/06/2022 को सम्पन्न हुआ दिनाँक 15/07/2022 को परिणाम घोषित किया गया जिसमें प्रत्यर्थी क्रमांक 01 को सर्वाधिक मत प्राप्त हुये और उसे विजयी घोषित कर निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया गया।
प्रत्यर्थी क्रमांक 01 के द्वारा नियमानुसार एवं विधि सम्मत तरीके से जिला पंचायत सिवनी के वार्ड क्रमांक 01 के सदस्य के रूप में अनुसूचित जाति के अंतर्गत नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसे स्वीकार करने में एवं याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आपत्ति को निरस्त करने में रिटर्निंग आफीसर द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई है अत: याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत याचिका निराधार होने से निरस्त किये जाने योग्य है।
गैर याचिका कर्ता का अतिरिक्त कथन है कि याचिकाकर्ता का यह मूल आक्षेप है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 01 अनुसूचित जाति का नही है। अत: वह वार्ड क्रमांक 01 के प्रत्यर्थी के रूप में निर्वाचित घोषित नही किया जा सकता। चूंकि चुनाव याचिका में इस बात का निर्धारण नहीं किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट जाति का है या नहीं, अत: प्रस्तुत याचिका प्रचलन योग्य न होकर निरस्तगी योग्य है।
नाम निर्देशन पत्र को वैध माने जाने से उसका चुनाव किस प्रकार प्रभावित हुआ है
माननीय सर्वोच्य न्यायालय के द्वारा माधुरी पाटिल के केस में अभिनिर्धारित किया गया है कि प्रत्येक राय उच्च स्तरीय जॉच परीक्षण समिति (हाई पॉवर कास्त स्क्रूटनी कमेटी) का गठन करेगी और जाति से संबंधित किसी भी प्रकार का अभिनिर्धारण मात्र और मात्र वह उच्च स्तरीय समिति ही कर सकती है। अत: प्रस्तुत याचिका में जो बिन्दू उठाया गया है वह माननीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर है।
अत: प्रस्तुत याचिका आरंभिक स्तर पर ही खारिज किये जाने योग्य है। म०प्र०पंचायत (निर्वाचन अर्जियां/भ्रष्टाचार और सदस्यता के लिए निरर्हता) नियम 1995 का नियम 5-अ यह प्रावधानित करता है कि प्रत्येक याचिका चुनाव से संबंधित समस्त प्रासंगिक एवं सारभूत तथ्यों को उद्घाटित करने वाली होना चाहिए जबकि प्रस्तुत याचिका में याचिकाकर्ता ने सारभूत तथ्यों का उल्लेख न करते हुये मात्र प्रत्यथर्थी क्रमांक 1 के नाम निर्देशन पत्र की वैधता को जाति के आधार पर चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता ने सम्पूर्ण याचिका में कही भी यह तथ्य प्रकट नही किया है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 1 के नाम निर्देशन पत्र की वैधता को जाति के आधार पर चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने सम्पूर्ण याचिका में कही भी यह तथ्य प्रकट नहीं किया है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 1 के नाम निर्देशन पत्र को वैध माने जाने से उसका चुनाव किस प्रकार प्रभावित हुआ है।
चुनाव सारभूत रूप से प्रभावित हुआ है
चुनाव याचिका में इस बात का अभिनिर्धारण नही हो सकता है कि कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट जाति का है अथवा नहीं, अत: याचिकाकर्ता को यह उल्लेख करना चाहिए था कि, वह इस बात को उद्घाटित करता कि प्रत्यथी क्रमाँक 1 के नाम निर्देशन पत्र को वेद्य मान लिये जाने से उसका चुनाव सारभूत रूप से प्रभावित हुआ है किन्तु याचिकाकर्ता द्वारा सम्पूर्ण पिटीशन में मात्र प्रत्ययर्थी क्रमांक 01 के जाति को लेकर ही आक्षेप किया है अत: प्रस्तुत याचिका नियम 1995 के नियम 5 अ व ब के प्रावधानों का पालन नहीं करती है अत: निरस्तगी योग्य है। दिनांक 30/05/2023 को प्रत्ययी क्रमांक 1 द्वारा धारा 151 व्य०प्र०सं० के अंतर्गत साक्ष्य आहूत करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया। आवेदन पत्र का जबाब याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया। चूंकि प्रकरण अंतिम तर्क हेतु नियत किया जा चुका है अत: प्रस्तुत आवेदन पत्र का कोई औचित्य प्रतीत नही होने के कारण प्रत्यर्थी क्रमांक 1 द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र खारिज किया गया।
अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रिटरनिंग आफिसर के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया
मेरे द्वारा उभय पक्ष के अधिवक्ताओं के तक श्रवण किये गये एवं प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों का परिशीलन किया गया। यचिकाकर्ता श्री रामप्रसाद डेहरिया दद्वारा दायर निर्वाचन याचिका दिनांक 26/07/2022 में यह प्रार्थना की गई है कि निर्वाचन अभ्यर्थी प्रत्यर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जाये, प्रत्यर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल), प्रत्यर्थी क्रमांक 02 बंसत बघेल एवं प्रत्यर्थी क्रमांक 07 सुनील बघेल के नाम निर्देशन पत्रों को निरस्त करते हुये याचिकाकर्ता रामप्रसाद डेहरिया को निर्वाचित घोषित किया जायें तथा रिटर्निग आफिसर (जिला पंचायत). सिवनी द्वारा पारित आदेश दिनांक 07/06/2022 को निरस्त किया जाये।
मेरे दद्वारा प्रकरण में संलग्न रिटनिंग आफिसर (जिला पंचायत) के द्वारा पारित तीन आदेश दिनांक 07/06/2022 का अवलोकन किया गया। इन आदेशों के द्वारा प्रत्यथर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिह (लल्लू बघेल), प्रत्यथी क्रमांक 02 बसंत बघेल तथा प्रत्यथी क्रमांक 07 सुनील बघेल के नाम निर्देशन पत्रों को प्रत्यथिया के द्वारा जाति (बागरी अनुसूचित जाति) के संबंध में प्रस्तुत मात्र शपथ पत्र के आधार पर म०प्र० निर्वाचन आयोग के पत्र क्रमांक एफ-70-पी एन-10/2021/तीन/322, भोपाल, दिनांक 03/06/2022 एवं पत्र क्रमांक एफ-70-130/2014/तीन/169, भोपाल, दिनांक 05/12/2014 तथा म०प्र० पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 के नियम 40 क (1) एवं (2) में दिये गये निदेर्शों के अनुसार स्वीकार किया गया है। इन प्रत्यर्थियों दवारा अपने बागरी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र संबंधित रिटरनिंग आफिसर (जिला पंचायत), सिवनी के समक्ष नाम निर्देशन के साथ नहीं प्रस्तुत किया गया था।
बृजेश सिंह (लल्लू बधेल) के द्वारा नाम निर्देशन पत्र में जाति प्रमाणपत्र संलग्न नहीं है
मेरे द्वारा निर्वाचित प्रत्यर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) के नाम निर्देशन पत्र का अवलोकन किया गया। ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) द्वारा नाम निर्देशन पत्र में संलग्न दस्तावेजों में उसने दस्तावेजों के ब्यौरे में यह लेख किया है कि उसके द्वारा मध्यप्रदेश शासन के सक्षम पदाधिकारी दवारा जारी जाति प्रमाण पत्र संलग्न किया जा रहा है परन्तु बृजेश सिंह (लल्लू बधेल) के द्वारा नाम निर्देशन पत्र में जाति प्रमाणपत्र संलग्न नहीं है।
उसके दवारा मात्र यह शपथ पत्र दिया गया है कि वंशावली के अनुसार उसकी जाति बागरी है। वह अनुसूचित जाति का सदस्य है। उसके चाचा तथा भतीजों का बागरी होने का जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है। बजेश सिंह (लल्लू बघेल) तथा अन्य दो प्रत्यर्थियों बसंत बघेल तथा सुनील बघेल के दवारा अपना जाति प्रमाण पत्र इस न्यायालय में प्रकरण में सुनवाई के दौरान भी प्रस्तुत नहीं किया गया ।
अभ्यर्थी का नाम निर्देशन पत्र निरस्त किया जा सकेगा
रिटर्निंग आफिसर (जिला पंचायत), सिवनी के द्वारा यह भी जाँच नहीं की गई कि वागरी बागड़ी जाति सिवनी जिले में अनूसूचित जाति के रूप में शासन के द्वारा मान्य है या नहीं। जिला पंचायत, सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-1 (अनूसूचित जाति के अभ्यर्थी हेतु आरक्षित) के सदस्य निर्वाचित होने के बाद प्रत्यर्थी क्र-01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बचेल) के द्वारा जिला पंचायत, सिवनी के अध्यक्ष के पद हेतु भी नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया गया था।
पीठासीन अधिकारी, जिला पंचायत (अध्यक्ष निर्वाचन), सिवनी ने अपने आदेश दिनांक 29/07/2022 के द्वारा ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) का नाम निर्देशन पत्र जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण निरस्त किया है। म०प्र० राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र क्रमांक एफ-70 एन एन-23/2022 /पांच/534, भोपाल दिनांक 06/08/2022 में निगरीय निकायों के निर्वाचन में आरक्षित वर्ग के पदों से निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के संबंध में निर्देश दिये गये हैं कि म०प्र० शासन के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने वाला अभ्यर्थी आरक्षित वर्ग का सदस्य नहीं होने की स्थिति में अभ्यर्थी का नाम निर्देशन पत्र निरस्त किया जा सकेगा।
निष्कर्ष के आधार पर सिवनी जिले के बागरी जाति को अनुसूचित जाति के अन्तर्गत मान्य नहीं किया जा सकता
प्रकरण के संबंध में कलेक्टर सिवनी से प्रतिवेदन प्राप्त किया गया। व सिवनी के प्रतिवेदन दिनांक 12/12/2022 के अनुसार शासन के निम्नाकिंत निदेर्शानुसार सिवनी जिले में बागरी जाति अनुसचित जाति मान्य नहीं है :- (क) म०प्र० शासन, आदिम जाति एवं हरिजन कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक 6148/4310/25/2/78, भोपाल, दिनांक 28/09/1978 में यह लेख किया गया है कि सिवनी जिले की बागड़ी जाति के संबंध में आदिम जाति अनुसंधान तथा विकास संस्थान, भोपाल द्वारा परीक्षण करवाया गया।
अनुसंधान संस्था के अभिमत पर विचार करते हुए शासन का यह निर्णय है कि सिवनी जिले की बागडी जाति , जो राजपूत हैं, उन्हें अनुसूचित जाति के अन्तर्गत मान्य नहीं किया जा सकता है। अत: उन्हें अनुसूचित जाति को मिलने वाली सुविधाएँ प्रदान किये जाने का कोई औचित्य नहीं है।
संचालनालय, हरिजन विकास, मध्यप्रदेश शासन के पत्र क्रमांक/हरि/वि छात्र/8272, भोपाल दिनांक 03/02/1986 में यह लेख किया गया है कि सिवनी जिले के बागरी, बागड़ी जाति के संबंध में संचालक, आदिवासी विकास एवं अनुसंधान संस्था, भोपाल से जांच कराई गई।
यह जाति हरिजन न होकर राजपूत में आती है। अत: ऐसी जाति के व्यक्तियों को विभागीय सुविधा व आरक्षण की सुविधा प्राप्त नहीं होगी। मध्यप्रदेश शासन, अनुसचित जाति तथा आदिम जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक /1470/97/25/5/भोपाल, दिनांक 22/12/1997 में यह लेख किया गया है कि संचालक, आदिम जाति अनु० संस्थान, भोपाल के जापन दिनांक 29/09/97 द्वारा मध्य भारत क्षेत्र के वागरी बागड़ी जाति एवं सिवनी जिला में बागरी जाति के अध्ययन निष्कर्ष के आधार पर सिवनी जिले के बागरी जाति को अनुसूचित जाति के अन्तर्गत मान्य नहीं किया जा सकता।
बागरी कहलाने वाले व्यक्ति अनुसूचित जाति में शामिल होने का अधिकार ही नहीं रखते है
म०प्र० आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, म० प्र० शासन के द्वारा जारी पुस्तिका 1999 की कंडिका 21 (ब) में यह स्पष्ट किया गया है कि सिवनी जिले के राजपूत सवर्ण जाति, जो मालगुजार व सम्पन्न कृषक हैं, अनुसूचित जाति बागरी का प्रमाण पत्र बनाने का प्रयास करते हैं। मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति/अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ/23-55/98/25/4, भोपाल, दिनांक 25/2/2003 में निर्देश दिये गये है कि मध्य भारत को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बागरी वागडी उपनाम का उपयोग ऐसे व्यक्ति भी करते हैं जो वास्तव में राजपूत अथवा ठाकुर जाति के हैं और इसप्रकार अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने योग्य नहीं है।
मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति वर्ग के जाति प्रमाण पत्रों की जांच हेतु गठित छानबीन समिति के निर्णय दिनाक 12/03/2003 के अनुसार सिवनी जिले तया सतना जिले में बागरी/बागड़ी जाति की अनुसूचित जाति की सुविधाएँ प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है।
इस क्षेत्र में बागरी उपनाम उपयोग का व्यक्ति ही करते है जो वास्तव में राजपूत या ठाकुर जाति के हैं और अनुसूचित जाति में सम्मिलित किये जाने योग्य नहीं है। मप्र० शासन, अनुसूचित जाति एम आदिम जाती कल्याण विभाग, भोपाल के पत्र कमांक एफ/23-25/98/25/ मापान, दिनाक 14/07/2003 के अनुसार प्रदेश के महाकौशल, बुन्देलखण्ड, विंध्यप्रदेश दावा में सामान्य बागरी कहलाने वाले व्यक्ति अनुसूचित जाति में शामिल होने का अधिकार ही नहीं रखते है। (1) भारत के राजपत्र दिनांक 30/08/2007 में प्रकाशित अधिसूचना में मध्यप्रदेश शासन से संबंधित अनुसूचित जाति बागरी, बागडी के संबंध में स्थिति स्पष्ट की गई है। सरल क० 2 पर बागरी/वागडी के साथ बागरी/बागड़ी में राजपूत एवं ठाकुर की उपजातियां को छोड़कर अधिसूचित की गई है।
गलत तरीका से विजयी होकर अनुसूचित जाति के सदस्य का संवैधानिक अधिकार का हनन किया गया हैं
मध्यप्रदेश शासन आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग मालय भोपाल के पत्र क्रमांक एफ/23-55/98/25/4/ भोपाल दिनांक 14/07/2003 के परिपालन में वर्तमान में बागरी जाति के प्रमाण पत्र सिवनी जिले में जारी नहीं किये जा रहे हैं। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि सिवनी जिले में बागरी बागड़ी जाति वास्तव में राजपूत तथा ठाकुर जाति है तथा शासन के विभिन्न आदेशों के अनुसार यह अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में मान्य नहीं हैं। अत: प्रत्यथी क्रमांक 01, 2 तथा 7 अनुसूचित जाति के सदस्य नहीं हैं।
रिटर्निग आफिसर, जिला (पंचायत) सिवनी के दवारा मात्र शपथ पत्र के आधार पर निर्वाचित अभ्यर्थी प्रत्यथी की ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) तथा अन्य 02 अभ्यर्थियों (प्रत्यथर्थी क्र० 2 तथा 07) जो कि विधि सम्मत नहीं है। रिटनिंग आफिसर (जिला पंचायत), सिवनी का शासन तथा राज्य निर्वाचन आयोग के उपर्युक्त अंकित विभिन्न निदेर्शों तथा मप्र० पंचायत निर्वाचन नियम 31(1) के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक जाच किया जाना था क्योंकि सिवनी जिले में बागरी/बागड़ी जाति को शासन द्वारा अनुसूचित जाति के सदस्य के रुप में मान्य नहीं किया गया है।
अत इस आधार पर रिटर्निग आफिसर (जिला पंचायत), सिवनी को इनका नाम निर्देशन पत्र को निरस्त किया जाना था। निर्वाचित अभ्यर्थी ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं हैं। इस प्रकार, प्रत्यशी क्र 1 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) द्वारा जिला पंचायत,सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र कमांक 01, जो कि अनुसूचित जाति सदस्य के लिए आरक्षित था, से गलत तरीका से विजयी होकर अनुसूचित जाति के सदस्य का संवैधानिक अधिकार काहनन किया गया हैं। इसी प्रकार, प्रत्यर्थी क्रमांक 02 तथा प्रत्यर्थी क्रमांक 07 के द्वारा निर्वाचन में भाग लेकर मतदाताओं के जनादेश को अवैधानिक रूप से प्रभावित किया गया है।
नाम निर्देशन पत्र स्वीकार करने बावत पारित तीनों आदेश दिनांक 07/06/2022 को निरस्त किया जाता है
म०प० पंचायत नियम, निर्वाचन नियम, 1995 के नियम 31(1) निम्नानुसार अभ्यर्थियों का नाम निर्देशन (1) किसी स्थान की पूर्ति हेतु कोई भी व्यक्ति निर्वाचन के अभ्यर्थी के रूप में नाम निर्देशित किया जा सकेगा, यदि वह उस स्थान की पूर्ति करने हेतु अधिनियम के उपबंधों के अधीन निर्वाचित किये जाने के लिए अर्हित हैं :-परन्तु अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछडा वर्ग या महिलाओं के लिए आरक्षित स्थान के लिए कोई व्यक्ति जो यथास्थिति, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग का सदस्य नहीं है या महिला नहीं है, ऐसे स्थान के लिए निर्वाचित होने के लिए नहीं होगा अत: उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल), प्रत्यथर्थी क्रमांक-02 बसंत बघेल तथा प्रत्यर्थी क्रमांक 07 सुनील बघेल अनुसूचित के सदस्य नहीं हैं।
जिला पंचायत, सिवनी के सदस्य हेतु निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-01 अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी हेतु आरक्षित है। म०प्र० पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 के नियम 31(1) के प्रावधान के अनुसार सिर्फ अनूसचित जाति के व्यक्ति ही इस निर्वाचन क्षेत्र से जिला पंचायत, सिवनी के सदस्य हेतु अर्हता होगें।
इस कारण उपर्युक्त तीनों प्रत्यर्थी इस पद हेतु अर्हय नहीं हैं। अत: इस आधार पर रिटनिंग आफीसर (जिला पंथायत), सिवनी के दवारा इन तीन प्रत्यर्थियों के नाम निर्देशन पत्र स्वीकार करने बावत पारित तीनों आदेश दिनांक 07/06/2022 को निरस्त किया जाता है।
ब्रजेश सिंह उर्फ लल्लू बघेल जारी निर्वाचन प्रमाण पत्र को भी निरस्त किया जाता है
चूंकि निर्वाचित अभ्यर्थी प्रत्यर्थी क्रमांक-01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं हैं और इस कारण निर्वाचित अभ्यथी अपने निर्वाचन की तारीख को जिला पंचायत, सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-01 के सदस्य (अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी के लिए आरक्षित) के स्थान भरने के लिए चुने जाने के लिए म०प्र० पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 14(2) तथा म०प्र० पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 के नियम 31(1) के अधीन अहित (योग्य) नहीं था। अत: निर्वाचित अभ्यर्थी प्रत्यथर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) के निर्वाचन को म०प्र० (निर्वाचन अर्जियां, भष्टाचार और सदस्यता के लिये निरर्हता) नियम,1995 के नियम 31(1) के अधीन अहित (योग्य) नहीं था।
अत: निर्वाचित अभ्यर्थी प्रत्यर्थी क्रमांक 01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) के निर्वाचन को म०प्र० (निर्वाचन अर्जियां, भष्टाचार और सदस्यता के लिये निरर्हता) नियम, 1995 में नियम 21 (1) (क) तथा नियम 23(1) (ख) के प्रावधानों के अनुसार शून्य घोषित किया जाता है। इस कारण, रिटर्निग आफिसर (जिला पंचायत), सिवनी के द्वारा जिला पंचायत, सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र क्र० 1 के सदस्य हेतु प्रत्यर्थी क्रमांक-01 ब्रजेश सिंह को दिनांक 15/07/2022 को जारी निर्वाचन प्रमाण पत्र को भी निरस्त किया जाता है।
वर्तमान स्थिति में उक्त निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं का नवीन जनादेश लिया जाना उपयुक्त होगा
जिला पंचायत, सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र 01 से जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन के मतों की गणना का परिणाम के अनुसार कुल 84 मतदान केन्द्रों में कुल विधिमान्य मतों की संख्या 37044 थी। इनमें 9 अभ्यर्थी तथा नोटा मिलाकर कुल 10 विकल्प थे। इनमें से निर्वाचित अभ्यर्थी प्रत्यथी क्रमांक-01 ब्रजेश सिंह (लल्लू बघेल) को 19272, प्रत्यर्थी क्रमांक 02 बसंत बघेल को 10226, प्रत्यर्थी क्रमांक 07 सुनील बघेल को 3319, याचिकाकर्ता राम प्रसाद डेहरिया को 1857 तथा शेष अन्य अभ्यर्थियों को मत मिल थे।
याचिकाकर्ता को कुल विधिमान्य मर्ता का मात्र 5.01 प्रतिशत मत मिला था तथा उससे ज्यादा निर्वाचित अभ्यर्थी को छोड़कर उपर्युक्त दो अभ्यर्थियों को मत मिले थे। इस प्रकार, याचिकाकर्ता द्वारा विधिमान्य वोटो की बहुसंख्या प्राप्त नहीं की गई थी तथा इस कारण वह निर्वाचित घोषित किये जाने हेतु पात्र नहीं हैं। अत: इस आधार पर याचिकाकर्ता रामप्रसाद डेहरिया को निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान स्थिति में उक्त निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं का नवीन जनादेश लिया जाना उपयुक्त होगा।
अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी हेतु आरक्षित के सदस्य के शीघ्र निर्वाचन हेतु नियमानुसार कार्यवाही करे
अत: कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत), सिवना को निर्देशित किया जाता है कि जिला पंचायत, सिवनी के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 01 (अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी हेतु आरक्षित) के सदस्य के शीघ्र निर्वाचन हेतु नियमानुसार कार्यवाही करें।
याचिकाकर्ता रामप्रसाद डेहरिया के निर्वाचन याचिका को उपर्युक्तानुसार आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।सर्वसंबंधित सूचित । पारित आदेश की प्रति सचिव, म०प्र० राज्य निवाचन आयोग तथा कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत), सिवनी तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सिवनी को भी अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु प्रेषित किया जायें एवं एक प्रित के साथ अधीनस्थ ज्यायालय का अभिलेख वापिस किया जाये तत्पश्चात प्रकरण दाखिल रिकार्ड हो।