आदिवासी अब गैर आदिवासियों को भी अपनी जमीन बेच सकेंगे
ओडिशा कैबिनेट ने प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाई
भुवनेश्वर/ओडिशा। गोंडवाना समय।
ओडिशा के आदिवासी अब गैर आदिवासियों को भी अपनी जमीन बेच सकेंगे। ओडिशा कैबिनेट ने बुधवार को इससे संबंधित प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है।
अपनी जमीन गैर आदिवासियों को बेच सकेंगे आदिवासी उक्त कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री सुदाम मरांडी ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग विपरीत परिस्थतियों में भी अपने अपनी जमीन गैर आदिवासियों को नहीं बेच पाते थे। इसे केंद्र में रखकर सरकार ने इससे संबंधित कानून में कुछ सरलीकरण किया है। इससे जनजातीय समाज को लाभ होगा।
अब जमीन गिरवी रख कर्ज भी ले सकते हैं आदिवासी
आदिवासी अब अपनी जमीन गैर-आदिवासियों को बेच सकते हैं। वह चाहे तो किसी को अपनी जमीन दान सकता है। बैंक अथवा अन्य वित्तीय एजेंसियों के पास उसे गिरवी रखकर कर्ज ले सकता है।
अब राज्य का कोई भी आदिवासी उप जिलाधीश को आवेदन देकर अपनी जमीन गैर आदिवासियों को बेच सकता है। यदि उप जिलाधीश छह माह के भीतर इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लेते हैं, तो जिलाधीश को आवेदन देना होगा। इस मामले में जिलाधीश का फैसला ही अंतिम फैसला माना जाएगा।
नवीन पटनायक की सरकार द्वारा कानून में संशोधन करने का फैसला किया
ओडिशा में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाले लोग अब अपनी जमीनों को गैर आदिवासी समुदाय को बेच सकेंगे। हालांकि नए प्रावधान के तहत इस बात की भी व्यवस्था की गई है कि वे अपनी पूरी जमीन की बिक्री नहीं कर सकते।
ओडिशा के मंत्रिमंडल ने एक कानून में संशोधन करने का फैसला किया। नवीन पटनायक की सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन के बाद अब अनुसूचित क्षेत्रों में रह रहे अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोग राज्य सरकार की अनुमति से गैर-आदिवासियों को अपनी जमीन बेच सकेंगे।
पूरी जमीन नहीं बेच पाएगा आदिवासी समुदाय का व्यक्ति
मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लेकिन नए प्रावधान के तहत अनुसूचित जनजाति समुदाय का कोई व्यक्ति अपनी पूरी जमीन नहीं बेच सकता क्योंकि उस स्थिति में व्यक्ति भूमिहीन या बेघर हो सकता है। ओडिशा के मुख्य सचिव ने कहा कि इस कदम से राज्य में उद्योगों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जेना ने बताया कि अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की सिफारिशों के बाद एसटी समुदाय के लोगों के व्यापक हित को देखते हुए ओडिशा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण विनियमन, 1956 में संशोधन करने का फैसला लिया गया है।
2002 में भी हुआ था इस कानून में संशोधन
मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि 2002 में इस कानून में कुछ संशोधन किए जाने के बाद एसटी श्रेणी के नागरिकों को अचल संपत्ति केवल आदिवासियों को ट्रांसफर करने की इजाजत दी गई थी। इस प्रावधान के कारण समुदाय के कई लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
2002 से पहले अनुसूचित जनजाति समुदाय के किसी भी सदस्य की कोई भी जमीन नहीं बेची जा सकती थी। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यही था कि कोई भी दबंग व्यक्ति एसटी समुदाय के लोगों को डरा-धमकाकर उनकी जमीन न खरीद पाए। बता दें कि इसी तरह के या इससे मिलते-जुलते नियम देश के कई अन्य राज्यों में भी हैं।