सीताराम स्टोन क्रेशर द्वारा खोदी जा रही खाई कहीं भूंकप का कारण तो नहीं है
खदान का खोदा जाना बिना हैवी ब्लास्टिंग के संभव नहीं है
सिवनी। गोंडवाना समय।
खनिज माफियाओं के द्वारा खोदी जा रही खदान और पत्थर उत्खनन को सिवनी मुख्यालय से लगे हुये लगभग 10 किलोमीटर की सीमा क्षेत्र में जिस तरह से शिवराज सरकार, जिला प्रशासन सिवनी व खनिज विभाग के अफसरों व जनप्रतिनिधियों ने नजरअंदाज किया है और करते जा रहे है।
कहीं यही कारण तो नहीं है कि सिवनी शहर में भूकंप आना आम बात हो गई है।
वैज्ञानिक कारण जो भी हो लेकिन सिवनी मुख्यालय से लगे हुये ग्राम डुंगरिया ग्राम पंचायत खामखरेली में स्थापित श्री सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक सहित कोहका व आसपास के ग्रामों में स्टोन क्रेशर संचालित हो रही है।
गहराई देखकर ऐसा लगता है कि कोयला की खदान में आ गये हो
सीताराम स्टोन क्रेशर जो कि सिवनी शहर से मात्र लगभग 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है जो कि ग्राम पंचायत खामखरेली के ग्राम डुंगरिया में स्थापित है। सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक द्वारा पत्थर उत्खनन के लिये जिस तरह से खाई की खुदाई की गई है उसकी गहराई देखकर ऐसा लगता है कि आप कोल माईंस यानि कोयला की खदान वाले क्षेत्र में आ गये हो, ऊपर से झांकों तो नीचे शिवराज सरकार का बड़ा नक्शा भी नजर नहीं आयेगा।
बड़ी-बड़ी मशीनें भी नीचे छोटी छोटी नजर आती है। सीताराम स्टोन क्रेशर के द्वारा कितनी गहराई तक पत्थर उत्खनन करने की अनुमति ली गई है यह तो खनिज विभाग के अफसर भर जानते है और कितना ज्यादा गहरा सीताराम स्टोन क्रेशर के संचालक ने खोद डाला है यह भी खनिज विभाग के अफसर अच्छे से जानते है।
हैवी ब्लास्टिंग के कारण सिवनी शहर में कहीं भूकंप आने का कारण तो नहीं है
सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के द्वारा पत्थर उत्खनन के लिये जितना गहरी खाई या खदान खोदा गया है उसकी नपाई करने की फुर्सत शिवराज सरकार के अफसरों को नहीं है परंतु इतना भी सच ही है कि सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के द्वारा जिस तरह से खदान को खोदा गया है वह कोई मशीन से खुदाई हो पाना संभव नहीं है क्षेत्र के लोग बताते है कि सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के द्वारा भारी भरकम हैवी ब्लास्टिंग की जाकर पत्थर की खुदाई की गई है। सीताराम स्टोन क्रेशर हैवी ब्लास्टिंग किये जाने के कारण आसपास का क्षेत्र सहित सिवनी शहर में कहीं भूकंप आने का कारण तो नहीं है।
सीताराम स्टोन क्रेशर के द्वारा खोदी गई खाई अमृत सरोबर तालाब के रूप में हो सकता है विख्यात
सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के परिसर क्षेत्र में जिस तरह से पत्थर का उत्खनन करके गिट्टी व बजरी आदि का पहाड़ खड़ा किया गया है उसका नजारा देखकर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है कितनी गहराई तक सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के द्वारा खुदाई की गई है।
वहीं सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक के द्वारा पत्थर तोड़कर खड़े किये गये पहाड़ और खुदाई किया जाकर बनाया गया अमृत सरोबर तालाब मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार व केंद्र सरकार के लिये ब्रांड के रूप में विख्यात हो सकता है।
वहीं पर्यटन विभाग भी चाहे तो सीताराम स्टोन क्रेशर संचालक द्वारा खुदाई की जाकर बनाये गये खाई को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकते है क्योंकि सीताराम स्टोन क्रेशर की अनियमितता व नियमों की धज्ज्यिां उड़ाने के मामले में जांच करने वाले संबंधित विभाग के अफसर तो गांधी छाप चश्मा पहनने के बाद अपनी आंख बंद कर चुके है उन्हें सबकुछ सही सही और नियमानुसार संचालित स्टोन क्रेशर नजर आ रहा है।