प्रकृति पूजक आखिर इतने निर्दयिता क्यों दिखा रहे है और गोंगपा का मिशन यही सिखा रहा है ?
दादा हीरा सिंह मरकाम जी के गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन और जीएस 7 का क्या उद्देश्य है
उमरिया में घटी घटना में पुलिस की कार्यवाही और गोंगपा के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई पिटाई दोनो निंदनीय
पढ़ने में कड़वा जरूर लगेगा लेकिन विचार-मंथन के लिये अत्यंत आवश्यक है क्योंकि उमरिया में घटी घटना सबक के साथ साथ गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलनकारियों के लिये चिंतन-मंथन का गंभीर विषय है। प्रकृतिपूजक, प्रकृति शक्ति को मानने वाले सगाजन जिस तरह से आक्रोशित होकर घायल पुलिस की पिटाई कर रहे है वह प्रकृतिवादी व्यवस्था के कहीं न कहीं खिलाफ है। प्रकृति सहती कितना है और उपकार कितना करती है यह प्रकृतिपूजक और प्रकृति शक्ति को मानने वाले ही अच्छे से जानते है।
जान बचाने में अपनी भूमिका निभाना चाहिये
उमरिया में घटी घटना में भले ही यह बात सामने आ रही है कि पुलिस ने ही प्रारंभ में गोंगपा के कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों को पहले पीटने का, लाठीचार्ज करने का कार्य किया था लेकिन जिस तरह इसके बाद गोंगपा के कार्यकर्ता व वहां पर एकत्र ग्रामीणजनों ने उग्रता के साथ जवाबी कार्यवाही करते हुये पुलिस की पिटाई किया है वह मानवीयता व प्रकृतिवादी व्यवस्था के खिलाफ है।
मानवीयता यही कहती है कि यदि कोई घायल मानव जमीन पड़ा हुआ है तो उसका उपचार कराने और उसकी जान बचाने में अपनी भूमिका निभाना चाहिये न कि घायल को और अत्याधिक मारने पीटने की कोशिश करना चाहिये।
दादा हीरा सिंह मरकाम जी का कहना था कि जियो और हजारो लाखों को जीवनदान दो
इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गोंडवाना रत्न दादा हीरा सिंह मरकाम जी का गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन और जीएस 7 का क्या उद्देश्य क्या रहा है। दादा हीरा सिंह मरकाम जी की विचारधारा क्या है, उनके सिद्धांत क्या है, उनकी रीति-नीति क्या है, इसे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को समझने, जानने और मानने की सख्त आवश्यकता है।
उमरिया में चाहे मध्यप्रदेश शासन के मंत्री के इशारे में विरोध प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज हुआ हो, या कानून व्यवस्था के बिगड़ने की संभावना को देखते हुये जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने निर्णय लिया हो, वहीं पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज के बाद जिस तरह से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानि की गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के कार्यकर्ताओं व ग्रामीणजनों के द्वारा पुलिस की पिटाई की गई है वह दादा हीरा सिंह मरकाम जी की विचारधारा, रीति-नीति सिद्धांत के खिलाफ ही है।
दादा हीरा सिंह मरकाम जी का कहना था कि जियो और हजारो लाखों को जीवनदान दो न की किसी की जान या जीवन लेने का संदेश उन्होंने आजीवन कभी नहीं दिया। दादा हीरा सिंह मरकाम जी इसलिये हमेशा अपने भाषण, संदेश, वक्तव्य और मीटिंग के दौरान अपने कार्यकर्ताओ को पेन, कॉपी, डायरी में अपने विचारों और बातों को लिखने के लिये कहते थे ताकि गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन का कार्यकर्ता हमेशा सजक व सर्तक रहकर अच्छे मिशन पर कार्य करे और गोंडवाना का नाम आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाये।
चिंतन व मंथन का विषय है
उमरिया में घटी घटना से पुलिस प्रशासन के साथ-साथ गोंगपा के कार्यकर्ता सहित ग्रामीणजन दोनो परेशान भी हुये है और घायल हुये है शारीरिक रूप से चोटिल हुये है। जिससे अच्छा संदेश नहीं गया है मानवीयता भी प्रभावित हो रही है। चिंतन व मंथन का विषय है।