उल्टा करके अंतिम संस्कार करते है क्योंकि मरने वाला अनुसूचित जाति वर्ग का व्यक्ति है
नरसिंहपुर जिले में अनुसूचित जाति वर्ग के साथ कम नहीं हो रही नफरत, घृणा, भेदभाव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजपाठ में कम नहीं हो पाई ऐसी कुप्रथा
जिंदा में तो अनुसूचित जाति वर्ग के साथ छुआछुत, नफरत, घृणा, भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, शोषण किया ही जाता है लेकिन मृत्यू के बाद भी उनके साथ अपमानजनक, घृणित मानसिकता मध्यप्रदेश की धरती में आज भी जारी है। डॉ भीमराव आंबेडकर जी द्वारा रचित संविधान से चलने वाले भारत में आजादी के इतने वर्षों के बाद भी भारत देश में अनुसूचित जाति वर्ग के साथ नफरत, घृणा, भेदभाव समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है।
शिक्षा और साक्षरता का बढ़ता प्रतिशत, तकनीकि युग, डिजिटल इंडिया, स्वर्णिम भारत जैसे अनेक शब्दों से गौरवांवित करने वाले भारत में हजारों, हजार वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति और राजनेताओं के वोटबैंक वाला शब्द दलितों पर अन्याय, अत्याचार, शोषण, छुआछुत, नफरत, घृणा, भेदभाव आज भी निरंतर जारी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राज में और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के राज में मध्यप्रदेश में तो अनुसूचित जाति वर्ग के साथ छुआछुत, नफरत, घृणा, भेदभाव, शोषण, अन्याय, अत्याचार की हद पार हो रही है।
यह शिक्षित समाज व शिक्षित भारत देश के लिये चिंतनीय प्रश्न है
आजादी के बाद सरकार चाहे कांगे्रस की रही हो या भाजपा की लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के साथ होने वाली छुआछुत, नफरत, घृणा, भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, शोषण को दोनो राजनीतिक दलों की सरकारे नहीं कर पाई है।
भाजपा की वर्तमान केंद्र व मध्यप्रदेश की सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के प्रति जिस तरह से हमदर्दी बताते हुये सबसे बड़ा शुभचिंतक बताती है उसी शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक जालम सिंह पटेल के क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के साथ जिंदा में तो छुआछुत, नफरत, घृणा, भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, शोषण किया ही जा रहा है लेकिन मृत्यू होने के बाद भी शर्मनाक, घटिया, घृणित मानसिकता के साथ छुआछुत, नफरत, भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, शोषण किया जा रहा है। यह शिक्षित समाज व शिक्षित भारत देश के लिये चिंतनीय प्रश्न है और गंभीर चिंतन मंथन का विषय है।
उल्टा करके औंधे मुंह लिटाकर किया गया अंतिम संस्कार
नरसिंहपुर जिले के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति की मृत्यू होने के पश्चात जब उनका अंतिम संस्कार किया जाता है तो उसे उल्टा यानि की औंधे मुंह करके अग्नि संस्कार किया जाता है। वहीं जबकि अन्य सामान्य वर्ग के व्यक्ति की यदि मृत्यू होती है तो उन्हें सीधे चित्त करके लिटाकर अंतिम संस्कार किया जाता है।
आखिर यह कैसी प्रथा है कैसा नियम है इसका जवाब शिक्षित वर्ग के साथ साथ नरसिंहपुर जिले में राजनीति करने वाले नेता ही जानते है। यदि इस संबंध में कभी कोई विरोध भी करता है तो सवर्ण वर्ग कहें या उच्च वर्ग के द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को ही उल्टा करकें यानि औंधे करके अंतिम संस्कार किया जाता है।
हम आपको बता दे कि यह मामला ताजा घटनाक्रम है नरसिंहपुर जिले के निवारी पुलिस चौकी अंतर्गत ग्राम बारहा छोटा में अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति का 6 सितंबर 2023 अंतिम संस्कार किया गया था जिन्हें उल्टा करके औंधे मुंह लिटाकर अंतिम संस्कार किया गया।
क्या समरसता यात्रा और संत रविदास जी के मंदिर निर्माण से दूर हो जायेगी नफरत-छुआछूत-घृणा ?
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में अनुसूचित जाति वर्ग के साथ जिंदा कहें या जीवित अवस्था में जिस तरह से छुआछुत, नफरत, भेदभाव, घृणा, अन्याय, अत्याचार, शोषण किया जाता है उससे कहीं ज्यादा अपमानजनक शर्मनाक हरकत अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति की मृत्यू होने के बाद भी की जा रही है।
मध्यप्रदेश में समरसता यात्रा निकाली गई थी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संत रविदास जी के भव्य मंदिर निर्माण की आधारशिला भी रखी है। समरसता यात्रा में जिस तरह से भाजपा सरकार व संगठन के नेताओं ने ज्ञान रूपी बातों का बखान किया है उसकी जमीनी हकीकत व धरातल में उसके विपरीत है।
मध्यप्रदेश की धरती में संत रविदास की मंदिर बनाने और समरसता यात्रा निकालने से छुआछूत, नफरत, घृणा, भेदभाव अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के प्रति कम नहीं होने वाला है। इसके लिये सरकार को अपने आप को सभ्य, सवर्ण, शिक्षित कहने वाले समाज को सिखाना बताना होगा कि सभी मानव-मानव एक समान है और सभी मानव के शरीर में लाल रंग का ही खून है।
गोटेगांव से जीतने वाले भी नफरत कम नहीं कर पाये
हम आपको बता दे कि नरसिंहपुर जिले में गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित है और भाजपा, कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों की टिकिट पाने के लिये अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति हर स्तर पर गिरने को तैयार रहकर चुनाव लड़ने को तैयार रहते है।
जीतकर विधायक भी बन जाते है और आगे भी बनेंगे लेकिन अपने समाज के प्रति नफरत, घृणा, भेदभाव को कम कर पाना उनके बस की बात नहीं है। गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रे्रस और भाजपा दोनो दल के विधायक बनते रहे है लेकिन अनसुसूचित जाति वर्ग के साथ होने वाली नफरत को एक प्रतिशत भी कम नहीं कर पाये है।