इंवेंट में व्यस्त शिवराज सरकार व भाजपा को 2018 से शर्मनाक स्थिति 2023 में देखना पड़ सकता है
भाजपा को अति विश्वास ले डूबेगा क्योंकि धरातल पर कांग्रेसी अत्याधिक सक्रिय
क्षेत्रिय दलों से भी भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना
इंवेंट, आमसभा, यात्रा, मीटिंग में करोड़ों-अरबों का खर्च का कर्ज किसके सर होगा
विवेक डेहरिया, संपादक
सिवनी। गोंडवाना समय।
शिवराज सरकार और भारतीय जनता पार्टी को मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने वर्ष 2018 में सत्ता की कुर्सी से उतारकर विपक्ष की भूमिका निभाने के लिये जनमत दिया था। वहीं कांग्रेस की सरकार भी बहुमत के किनारे किनारे पहुंचकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचकर सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी।
वहीं लगभग 18 महिने तक कांग्रेस की सरकार चलती रही लेकिन कांग्रेस के विधायकों के द्वारा अपनी ही पार्टी व सरकार से नाता तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने के कारण कांगे्रस सरकार के मुख्यमंत्री कमल नाथ को त्याग पत्र देना पड़ा था और कांग्रेस की सरकार से सत्ता की कुर्सी छीन कर भाजपा ने अपने कब्जे में कर लिया था।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी यहीं गलतियों को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी दोहरा रहा है
इसमें यह बात स्पष्ट है कि वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश की जनता व मतदाता ने शिवराज सरकार व भाजपा को नकारते हुये जनमत नहीं दिया था। यदि दिया होता तो शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री व भाजपा की सरकार वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में ही बन जाती, ये बात अलग है कि जनमत से नहीं कांग्रेस के विधायकों को अपने साथ लेकर सरकार बनाने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा कामयाब हो गई अर्थात सत्ता व सरकार मध्यप्रदेश में जनमत व मतदाताओं के मत से नहीं बनाई गई थी वरन कांग्रेसी विधायकों को अपने साथ लाकर बनाई गई थी।
यह खरी व स्पष्ट बात है जिसे भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ धरातल के भाजपाईयों को स्वीकार करना चाहिये। मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता की कुर्सी से जनता व मतदाता के द्वारा हटाने के पीछे कारण क्या था इस पर संभवतय: वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का न तो राष्ट्रीय नेतृत्व में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, चुनावी चाणक्य अमित शाह इसके साथ साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के प्रांतीय व जिला तक के कार्यकर्ता फिर 2023 में अति उत्साह में कार्य कर रहे है।
भाजपा की केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले सरकारी अफसरों व कर्मचारियों ने इसे धरातल पर कितना उतारा है और कागजों में आंकड़ों के कितने घोड़े दौड़ाया है। भाजपा के द्वारा इस पर चिंतन-मंथन नहीं किया गया है।
झूठ को सच बताने की कोशिश और अपनी गलती को सुधारने की बजाय छिपाने का परिणाम भाजपा वर्ष 2018 में देख चुकी है, ऐसा करके भाजपा अपने आप को ही धोखा दे रही है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी यहीं गलतियों को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी दोहरा रहा है।
सच को हर किसी ने छिपाकर भाजपा को झूठ बताकर, वाहवाही लूटने और धोखा देने में अपनी भूमिका निभाया है
शिवराज सरकार के मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश भाजपा संगठन शायद यह भूल करने की कोशिश कर रहा है कि वर्ष 2003 के बाद से ही मध्यप्रदेश में आम जनता व मतदाताओं अपनी ओर आकर्षित करने के लिये अनेकों ऐसी योजनाएं पूर्व में ही संचालित करती रही है इसके बाद भी मध्यप्रदेश की जनता व मतदाताओं ने वर्ष 2018 तक ही भाजपा की सरकार व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सत्ता चलाने की अनुमति दिया था। देखा जाये तो भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में वातानुकूलित कक्षों में बैठकर योजना बनाने और चलाने वाले सरकारी अफसरों की सलाह की बदौलत इंवेंट-इवेंट खेलकर वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की कुर्सी यानि सरकार पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहती है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार की धरातल पर हकीकत को भले ही अति उत्साह में भाजपा का कार्यकर्ता व पदाधिकारी स्वीकार न करें लेकिन वास्तविकता में वर्ष 2018 से भी शर्मनाक स्थिति में है। इसका परिणाम वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। इसके पीछे कारण यह सामने आया है कि सच को हर किसी ने छिपाकर भाजपा को झूठ बताकर, वाहवाही लूटने और धोखा देने में अपनी भूमिका निभाया है।
लुभावनी योजनाओं के लाभार्थी के आंकड़ों की संख्या से जीत की अभी से मना रहे खुशी
लाड़ली बहना जैसी जनता के लिये अनेकों लुभावनी योजना बनाने के पीछे भाजपाई पूर्णतय: आश्वस्त हो चुके है कि वर्ष 2023 में फिर से शिवराज व भाजपा की सरकार आयेगी। भाजपा के नेता लाड़ली बहना योजना की विधानसभाबार संख्या, किसान सम्मान निधि के हितग्राहियों की संख्या, पी आवास योजना के लाभार्थी की संख्या सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या को आधार पर बनाकर अपनी जीत सुनिश्चित कर रहे है।
इसके लिये पूरी भाजपा इवेंट, आमसभा, मीटिंग, कार्यक्रमों में ज्यादा व्यस्त है, अच्छी बात है कि भाजपा का अति उत्साह सच हो जाये परंतु इतनी अच्छी योजनाएं के पश्चात भी धरातल में वास्तविक स्थिति क्या भाजपा के पक्ष में है और जनता व मतदाता फिर से वर्ष 2023 में भाजपा की सरकार बनाना चाहते है।