आदिवासी समुदाय तोर अनगिनत योद्धा मर्री/सपुत लोर कुन गड़ी-गड़ी सेवा जोहार
भारत ता कुल जनसंख्या ता 8.6 % हिस्सा आदिवासी ला मंता
आदिवासी मूलवासी हमेशा धर्म, आडंबर, अन अंधविश्वास से परे प्रकृति कुदरत तुन माने मायवाल आंदुर
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस
सबले मुने नार्र ता जिमीदारिन यायान, बुमयार्क पेन्क, सपोय पाटपेन, पाटयायाह, लयाह, कयना कोडो, तलुरमुत्ते कडरेंगल, बयसासुर नेलंजुर, रावपेन तुन सेवा जोहार, अन नार्र गायता, पेन पुजार्क, सिरहा, पटेल, माजी, चालकी लोर कुन सेवा-सेवा, सेवा-जोहार, बस्तर बुमकाल तोर मुखया वीर बलिदानी क्रांतिकारी गुंडाधुर, डेबरीधुर, आयतु माहरा अन सपाय क्रांतिकारी कोयतोर कुन बुमकाल जोहार, डारामिरी जोहार, सोना खान धरती तोर मर्री शहीद वीर नारायणसिंह, गड़मंडला धरती ता यायाल महारानी वीरांगना दुर्गावती, अमर बलिदानी शंकरशाह-रघुनाथ शाह, परलकोट धरती तोर भुमिया राजा शहीद गेंदसिंह बाऊ, इंदरु केंवट, बुम मेटोर आदिवासी किसान माजी सरकार तोर बुबाल हीरासिंह देव करंगा उर्फ कंगला माजी। धरती आबा बिरसा मुंडा, तेलंगाना राज ते मावा नाटे मावा राज उपजे केवाल कुमरम भीमू, सिद्धो कांहु, चांद-भैरव, फुलो-जानो, टाट्या मामा भील, इदामे आदिवासी समुदाय तोर अनगिनत योद्धा मर्री/सपुत लोर कुन गड़ी-गड़ी सेवा जोहार।
बदामे विश्व मेनोट मानेय संग संयुक्त राष्ट्र संघ तुन जरूरत पड़े मात
मावा देश भारत ता संविधान पंडाना समिति तोर संय्युग आदिवासी मानेय ठाकुर रामप्रसाद पोटाई दादा, मंगलू उईके दादा, जयपाल सिंह मुंडा दादा, बोनीफस्स लकड़ा, धर्मधरी बस्सु मोतारी दादाल संग संग बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एलोर कुन सादर सेवा जोहार।। एलोर मावा देश तुन होरकुल किला, सपाय मानेय मूल तुन समान अधिकार संरक्षित किला संविधान पंडतुर।
इदे कड़ी ते मावा पीड़ित, शोषित, वंचित, दमित उपेक्षित समुदाय तुन साहित्य ता सहारा पयस नव चेतना, नव ऊर्जा, नव जागरण केवा लोर इतिहासकार, भाषाविद, लेखक, समीक्षक, साहित्यकार, समाजसेवी, हीरा-मोती-सोना ता जोड़, हासपेन दादा हीरा सिंह मरकाम, हासपेन दादा मोतीरावेन कंगाली अन हासपेन दादा सुन्हेर सिंह तारमीन सेवा जोहार।
इद बेरा ते कोयापुनेमी, भाषाचार्य दादा शेर सिंह आचलान सेवा जोहार। मंच ते उडलेर सपाय आदिवासी समुदाय तोर बानी बानी संगठनाह पदाधिकारी लोर पुन: सेवा जोहार, नेंड इगा ऐर्र मुखिया लोर न अथक मेहनत बदौलत नमो सकलाह कितोराट। इगा अवले सपाय यायाह-बुबाह,लई -यलोर, आदिवासी छात्र संगठन अन अधिकारी-कर्मचारी तोर सपाय क्रांतिकारी जाबांज सैनिक कुन सेवा जोहार।
सपाय मानेय कुन मालूम आता नेंड आदिवासी दिया/पंडुम मनाह किला जमा आतोराट, सपाय आदिवासी भाई लोर कुन आदिवासी पंडुम/आदिवासी दिवस ता गिरदा-गिरदा बधाई ,गिरदा-गिरदा सेवा -जोहार,। बदामे विश्व मेनोट मानेय संग संयुक्त राष्ट्र संघ तुन जरूरत पड़े मात या आदिवासी समुदाय मांग कीतया भारत सरकार मांग कीत या फिर चीन, जापान, अमेरिका फ्रांस, ब्रिटेन जैसे दूसरा देश तोर मांग कीतुर बिल्कुल नही।
तो सवाल वांता कि 9 अगस्त दिया ते आदिवासी दिवह क्यों माने मान्तोर
तो सवाल वांता कि 9 अगस्त दिया ते आदिवासी दिवह क्यों माने मान्तोर। मीकून जानकारी मंता कि बुम ते विश्व ता रंड बार लड़ाई आता। इद बुम मेटा लड़ाई परेक 24 अक्टूबर 1945 कातिक ललेंज ते संयुक्त राष्ट्र संघ पंडतुर इदेना मुख्यालय अमेरिका देश ता न्युयार्क शहर ते मंता। अद बेरा सपाय बुम ते यूरोपीय बुम तोर एक तरपा राज किंदुर अन मूलवासी ला परो खूबे अत्याचार किंदुर।
अत्याचार ता मारे मूलवासी लोर कुन शिक्षा..तक पुटो आत..। इदे प्रकार मूलवासी समुदाय तुन अशिक्षा,गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी,दासता, बंधुआ मजदूरी... जैसे बानी -बानी ता समस्या ता परो समस्या वासोर हत। बुम मेटा 195 देस मे से 90 देस ते मूलवासी आदिवासी ला जनसंख्या ज्यादा मंता। सपाय देस तो आदिवासी लगभग 37 करोड़ आंतोर। 7 हजार बानी पुनतोर-वड़कालतोर अन 5 हजार नाहक ने मंतोर मावा देस भारत ते गला आदिवासी ला संख्या 10 करोड़ ले ज्यादा मंता अरु 700 पल्लो पुनतोर-वड़कालतोर। भारत ता कुल जनसंख्या ता 8.6 % हिस्सा आदिवासी ला मंता।
आदिवासी ला हर प्रकृति/पुरुड़ आधारित सत्यता पर चले मांता
आदिवासी भाई ला गोंदोला /जनजाति हिसाब ते अलग-अलग पल्लो रीति-नीति, रिवाज प्रसिद्ध बानी-बिरादरी ता दस्तुर मंता। भारत ते बानी-बानी तोर मानेय मंजी गला उंद आसी मंतोर इद मावा ताकतवर संस्कृित/बानी ता पहचान आंद। आदिवासी मूलवासी हमेशा धर्म, आडंबर, अन अंधविश्वास से परे प्रकृति कुदरत तुन माने मायवाल आंदुर। आदिवासी ला हर प्रकृति/पुरुड़ आधारित सत्यता पर चले मांता।
एला हनुम-पंडुम-नेंग-परब हार-जीत, हत्या, अत्याचार पर आधारित बिल्कुल आयो मतलब बोने हानाह होकसी मंजा हरिक ते पंडुम बनाह कियाना मावा कोई भी पंडुमी ते हिले। बल्कि पुरुड़-संग अदेना हिले जीवा पर्रो जीवा पिसयालता अवधारणा तुन अनुसरण कियोर माने मांतोर। आदिवासी पुरुड़ ता संकेती कुन समजे मान्तोर अन व्यवहार किन्तोर।
उंद बैठका 9 अगस्त 1982 जेनेवा शहर ते आयोजित कितुर
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उंद बैठका 9 अगस्त 1982 जेनेवा शहर ते आयोजित कितुर। इद बैठका ते उंद पल्लो उबरे मांत कि बगा-बगा आदिवासी समुदाय मंता अगा अगा जल, जंगल, जमीन शुद्ध अन खुबे मात्रा ते खनिज संपत्ति मंता। मतलब साफ-साफ पल्लो कि आदिवासी समुदाय ही इव अमूल्य धरोहर तुन संरक्षण कियालता इदेना पहला अधिकार हक भी आदिवासी समुदाय ता आंद।
इदे आदिवासी ला मूल व्यवस्था तुन बुम ता संगठन समझे मास संयुक्त राष्ट्र संघ 1994 तुन आदिवासी वरसा घोषित कीत। 9 अगस्त 1995 सावन लंलेज ते पहली बार संयुक्तराष्ट्र ना निर्देश अन नेतृत्व ते सपाय देस ते आदिवासी दिवस माने मातुर। 27 बरसा तह लगातार आदिवासी दिवस माने मासोर वान्तोमा लेकिन बहुत से मावा समुदाय तोर मानेय कुन मालूम हिले।
आदिवासी दिवस ता मसला वांता तब-तब विरोध शुरू आंता क्यों
भारत सरकारते उडलेर मानेय ला हिडुला सोंच, अमानवीय सोंच ता कारण माकुन हमेशा धोखा हिसोर वांतोर। सरकार नेंड अवनाह विश्व आदिवासी दिवस ता बारे जानकारी हेवो। आदिवासी दिवस ता बारे सरकार भी माकुन गुमराह किसोर मंता इद वरसा राज्य ता सदन ते इद पल्लो ता चर्चा आत कि आदिवासी दिवस ता छुट्टी हियाना आंद कि आयो।
लेकिन सरकार ते इदलेड़ मावोर प्रतिनिधि लोर पल्लो तुन दमदारी से प्रस्तुत केवोर आंतोर। इदे पायके विपक्ष तो र मानेय थोपा गया असंवैधानिक इंजीन तोर उंद पल्लो केंजी आंता सर्व धर्म समभाव इदेना खूब गुणगान किंतोर अन सपाय धार्मिक त्यौहार न बिना सदन ते चर्चा छुट्टी 70 वरसा तह चले मांता जब-जब आदिवासी ला आदिवासी दिवस ता मसला वांता तब-तब विरोध शुरू आंता क्यों। समझे मायाना लागार....।
आदिवासी संस्कृति तुन सबले ज्या नुकसान किसोर दांतोर
5 अनुसूची ता जानकारी 70 वरसानाह दबा किले मंता..,रुढ़ी प्रथा 13 (3)क ता बारे ते मावोर प्रतिनिधि लोर मालूम हिले...जीरो...। बल्कि दूसरा नाह धर्म पंत ते विश्वास किनतोर, माने मानतोर एरे मानेय रंग-रंग ना संगठन ते जुड़े मासी चुनाव ते उम्मीदवार बने मासी चुनाव वितला तोर...अन इद सब बादामे आंता समाज ता जाति प्रमाण ता बदौलत।
समाज ता जाति प्रमाण ता बदौलत आइ.एस. अधिकारी तक बने मांतोर, समाज एर आदिवासी अधिकारी लोर से उम्मीद गला किनता की समाज तुन मार्गदर्शन अन प्रेरणा/बिदया पुटाल लेकिन उल्टा एर्र मानेय लोर आदिवासी संस्कृति तुन सबले ज्या नुकसान किसोर दांतोर ।
अधिकारी-कर्मचारी जनप्रतिनिधि बने मासी मावा समाज तुन पुति बुना कतरे किनतोर
समाज ते लटास गला एर्रे मानेय ला लोर तराल तोर.. ऐसे अधिकारी-प्रतिनिधि लोर से बिनती आंद कि बाबा साहेब ना पंडले संविधान तुन गला पढ़े केवेर। पढ़े जरुर किनतोर मगर खुद ता भलाई किला समाज जाए बाड़ में पढ़े किसी अधिकारी-कर्मचारी जनप्रतिनिधि बने मासी मावा समाज तुन पुति बुना कतरे किनतोर। इदेर नोर मानेय सुधरे माईर अन समाज ता सेवा केविर नही तो अंजाम बुगते माला तैयार मनीड़।
इदांय सबले हजोर प्रश्न आदिवासी बोर आंदुर ? विज्ञान ता प्रमाणित/जांच-परख, जीर्र DNA(Times of India May 2001) रिपोर्ट अनुसार St.Sc.Obc, धर्म बदले केवाल अल्पसंख्यक समुदाय ही भारत ता असली आदिवासी, मुलवासी आंदुर। बाकी मानेय ला डी.एन.ए विदेशी मानेय संग मिलान आंता इपेटे गला खूब षड़यंत्र UNO द्वारा घोषित international Day Of The World's Indigenous people Day तुन भारत तोर षडयंत्रकारी लोर सिर्फ आदिवासी दिवस ता रुप हिसी तुर जबकि मुलवासी ला पंडुम आंद। इगा बहुत खेल किसीतोर कि मुलवासी St.,SC,Obc, Minority लोर आपस ते लड़े.माइर अरु हाईर....
गोंडी धर्म कोटहाना महासभा ते प्रस्तावित किले आता
इदान केवलोर कुन समझे मायाना समय आंद ऐसे संगठन कुन चिन्हित कियाना समय आंद, ऐसे संगठन ते जुड़े दलाल मानेय कुन पुंदाना अन समाज ते वेहाना आंद। ऐसे मानेय ही समाज अन सामाजिक एकता तुन रनबन किला बानी -बानी ता षडयंत्र किसोर मंतोर, इदाना जवाब हियाना ता समय आंद। 2023 ते जनगणना आयाल तो धर्म ता कालम ते अन्य धर्म ता कालम गला मंदाल अद कालम गोंड़ समुदाय तोर मानेय कुन गोंडी धर्म कोटहाना आंद।
गोंडी धर्म कोटहाना महासभा ते प्रस्तावित किले आता। तो सपाय गोंड समुदाय तोर मानेय कुन जनगणना केवाल गुरुजिन गोंडी कोटहाना अन इदे ते बारे उंद गाव जरूर पूछे मायाना की धर्म ते मावा धर्म कालम ते बा ...कोटती ? गोंडी कोटहाना ता गला क ई कारण मंता इदेन कोटहाना ता कारण तुन सपाय सगाजन तुन पुंदाना आंद जैसे मावा रीति-नीति, रिवाज नीवाय सब अलग मंता इसलिए नमोट गला अलग आंतोराट।
RSS अन इदेना रंगरंग ता उपसंगठन आदिवासी लोर कुन हिंदु बनाह किला तनमन धन अन रणनीति बनाह गुमराह किसोर मंतोर खुद तुन तर्क कियाना अन अंतर असलियत तुन पुंदाना। बच दिनाह डमका नाचा एंदसोर मंदकीट।
आदिवासी न तो हिंदु आंदुर, न तो मुसलमान आंदुर, न तो सीख आंदुर, न ही ईसाई आंदुर
आदिवासी न तो हिंदु आंदुर, न तो मुसलमान आंदुर, न तो सीख आंदुर, न ही ईसाई आंदुर। आदिवासी सिर्फ प्रकृति पुरुड़ तुन माने मायवाल प्रकृति पुरुड़ तोर पुजाड़ आंदुर। अन कभी दिया ते भी प्रकृति पुजाड़ मतुर मंतोर अन मंदानुर इपेडे कोई सक हिले।
इदेन साबित किला मावा मूंड नेंग ही कापी आंद, जैसे जोलनेंग (पहला नेंग परोय तासाना जोलनेंग), दूसरा नेंग मरमिंग मंडा नेंग (विवाह संस्कार), तीसरा नेंग हात हामुर कुंडा नेंग (नाहनी) इव नेंग सपाय ला जीवन ते उंदी गांव जरूर आंता इदे पायके सपाय कुन भलीभांति जानकारी गला मंता, इव नेंग ने निमाट हिंदु नेंग नियम संग जमीन आसमान तह अंतर डिसाल। मावा इव नेंग कुन पंडाना या निपटाह कियाना काजे पंडित, पादरी, मौलवी या साधु संत या पंत ला जरूरत बिल्कुल हिले आंता।
इदे काजे मावा समुदाय ते हेलड़-मियाह ना इज्जत, सम्मान सबले परो मंता
मावा सब नेंग कुन नार्र गायता, दोसी, अक्को-मामाल, हेलड़-मियाड़ कियालताह। इदे काजे मावा समुदाय ते हेलड़-मियाह ना इज्जत, सम्मान सबले परो मंता। मरमिंग मंडा आई या दुसरा भंवर लगाह कियाना नेंग आई अदेन नमोट हमेशा धरती न तिरयाना अनुसार या नांगेल पुहाना भंवर अनुसार कियालतोमा।
आखिरी ते आदिवासी दिवस पंडुम ता मौका ते उंद पल्लो बिनती कियालतोना सपाय आदिवासी भाईलोर सगाजन सपाय पढेÞ केविर शिक्षित समझदार बने माईट, संगठन ते मनिट संगठन तुन मजबूत केविट। अन सपाय आदिवासी अपुना महान पुरका पाट पेन ला पंडले रीति-नीति-नेंग, नीवाय, संस्कृति (बानी) तुन माने माईट।
इदेन हमेशा संरक्षित कियाना काजे काम केविट तब मावोर नाती तोर नाती पुंदान। नही तो पिटोंग, हटोंग ने पढ़े कियानुर कि कभी इद धरती ते आदिवासी गला मंदुर। इव पिसानु ते मावा पुस्तक क्रमांक /अनुसूची क्रमांक 16 पिसाल...। ..सेवा -जोहार।।।