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आपस में बंटकर नहीं लड़ते तो 2008 में ही लखनादौन विधानसभा से बन जाता गोंगपा का विधायक

 आपस में बंटकर नहीं लड़ते तो 2008 में ही लखनादौन विधानसभा से बन जाता गोंगपा का विधायक 

2003 में भी लखनादौन विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का रहा था सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन 

क्या 2003 जैसी गोंडवाना की आंधी 2023 में आ पायेगी वापस ?

गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के नेतृत्वकर्ता व कार्यकर्ता चुनाव में टुकड़ों क्यों बंट जाते है 


विवेक डेहरिया, संपादक 
सिवनी। गोंडवाना समय। 

मध्यप्रदेश की सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र लखनादौन में गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के आगे अंतराष्ट्रीय दल भाजपा व कांग्रेस की राजनीति भी फीकी रहती है। यदि हम वर्ष 2003 के बाद के चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनीतिक ईकाई का चुनावी प्रदर्शन धनबल, बाहुवल के आगे बहुत अच्छा रहा है।
                वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद वर्ष 2008 में घंसौर सीट परीसीमन में समाप्त होने के बाद लखनादौन में विलोपित कर दिया गया था जिससे मध्यप्रदेश में लखनादौन सबसे बड़ी विधानसभा क्षेत्र के रूप में मानी जाती है। लखनादौन विधानसभा में वर्ष 2003 के बाद भाजपा की विधायक श्रीमती शशि ठाकुर ने प्रतिनिधित्व किया।
                वहीं वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा प्रतिनिधित्व कर रहे है। वहीं गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनीतिक ईकाई भी वर्ष 2003 से लगातार विधायक बनाने की कोशिश कर रही है। वर्ष 2008 में गोंगपा अपनो से ही हार गई थी और यह सिलसिला लगभग निरंतर जारी है अब वर्ष 2023 में देखना है कि गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की कितनी राजनैतिक ईकाई लखनादौन विधानसभा के चुनावी मैदान में अपना प्रदर्शन करने के लिये उतरती है या फिर एकता के साथ में मजबूती के साथ सिर्फ एक प्रत्याशी के लिये चुनाव मैदान में उतरेंगे यह भविष्य में स्पष्ट हो ही जायेगा। 


वर्ष 2008 में लखनादौन विधानसभा चुनाव का परिणाम 

उम्मीदवार का नाम         पार्टी                         कुल मिले मत

श्रीमती शशि ठाकुर     भाजपा                             46209

ेबेनीकुंदन परते     कांग्रेस                             41211

राजेश्वरी उईके     गोंडवाना गणतंत्र पार्टी                             30851

गेंदलाल उईके     गोंडवाना मुक्ति सेना                             10242

बी एल कुमरे         बीएसपी                              6283

हेमंत कुमारी बरकड़े         निर्दलीय                               5022

रामगुलाम उईके निर्दलीय                               2610

रामनरेश मर्सकोले समाजवादी पार्टी                       1998

गौतम मरावी         निर्दलीय                              1740

रामान सिंह वलारी निर्दलीय                               1671

राम गनेश         निर्दलीय                               1437

धीरन सिंग         निर्दलीय                              1385

पितई कांटा मसराम निर्दलीय                               1245

चेतराम कुमरे         निर्दलीय                                 909

                                        कुल वोट           1, 52, 813


स्वार्थ भूलकर एकता के साथ लड़ते तो गोंगपा को मिलते 51707 और शशि ठाकुर को मिले थे 46209 

वर्ष 2003 में गोंगपा का विधायक लखनादौन विधानसभा क्षेत्र से बनते बनते रह गया था लेकिन वह कसर वर्ष 2008 में भी पूरी हो सकती थी यदि गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के नेतृत्वकर्ता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता एकता के साथ मिलकर एक साथ चुनाव लड़ते तो जीत सुनिश्चित थी और गोंगपा का विधायक बनने से कोई रोक नहीं सकता था।
                लखनादौन विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 राजेश्वरी उईके, गेंदलाल उईके उर्फ जय सेवा गुरू जी, हेमंत कुमारी बकरड़े गोंगपा की महिला नेत्री, रामगुलाम उईके पूर्व विधायक, गौतम मरावी, पितई कांटा मसराम साथ मिलकर लड़ते तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 51707 वोट मिलते जबकि भारतीय जनता पार्टी की श्रीमती शशि ठाकुर को 46209 वोट ही मिले थे।
                वहीं यह बात भी सत्य है कि यदि एकता के साथ में सभी मिलकर सिर्फ गोंगपा के चुनाव लड़ते तो 51707 से ज्यादा 60 हजार से भी अधिक वोट गोंगपा को मिल सकते थे। वर्ष 2008 में राजेश्वरी उईके गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 30851 वोट मिले थे, वहीं गेंदलाल उईके जय सेवा गुरू जी गोंडवाना मुक्ति सेना को 10242 वोट मिले थे, इसी तरह हेमंत कुमारी बरकड़े गोंगपा महिला नेत्री निर्दलीय को 5022 वोट मिले थे, इसी तरह पूर्व विधायक रामगुलाम उईके को 2610 वोट मिले थे, वहीं  गौतम मरावी निर्दलीय को 1740 वोट मिले थे, इसी तरह पितई कांटा मसराम जिला पंचायत सदस्य निर्दलीय को 1245 वोट मिले थे इन सबको जोड़ा जाये तो कुल 51707 वोट होते है जो कि भाजपा की जीतने वाली प्रत्याशी श्रीमती शशि को मिलने वाले वोट 46209 से भी ज्यादा है। 

टुकड़ों में बंटकर चुनावी मैदान में उतरने के कारण गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की हुई हार 

अर्थात स्पष्ट है कि वर्ष 2008 में लखनादौन विधानसभा क्षेत्र में गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के नाम पर समाज सेवा कहें या राजनीति करने वालों के आपस में लड़ने और टुकड़ों में बंटकर चुनावी मैदान में उतरने के कारण गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की हार हुई।
            गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की तेज आंधी वर्ष 2003 में चली थी वह धीरे धीरे अलग अलग दिशाओं में बंटकर चलने के कारण कम होती चली गई। गोंडवाना आंदोलन का तुफान भी वर्ष 2003 के बाद विभाजन के कारण थमता गया, यही कारण रहा कि गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनैतिक ईकाई का कोई भी विधायक जीतकर विधानसभा के सदन तक नहीं पहुंच पाये।
                वहीं जब विधायक ही नहीं बन पाये तो सांसद बनाकर संसद भवन तक भेजने की बात विचार करने की स्थिति में भी नहीं रही। कुल मिलाकर गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के कारण सत्ता के लिये घसट घसट कर संघर्ष करने वाली भाजपा जीतती चली गई और कांग्रेस भी हारती चली गई। 

भाजपा, कांग्रेस से कैसे मुकाबला कर पायेगी गोंगपा 

केंद्र व मध्यप्रदेश में सरकार सत्ता चलाने वाली भाजपा आगामी 2023 के चुनाव के लिये दिन रात मेहनत कर रही है, जनहितार्थ के कार्य करने के बाद भी लाखों, करोड़ो रूपये प्रचार-प्रसार, पोस्टर, फलेक्स, विज्ञापन, रैली, सभा, आयोजनों में खर्च कर रही है।
                वहीं दूसरी ओर आजादी के बाद सत्ता का सुख भोगने वाली कांग्रेस मध्यप्रदेश में भले ही 2003 से सत्ता से बेदखल हुई हो परंतु वर्ष 2018 में 15 महिने के लिये वापस हुई थी परंतु उतना अच्छा बहुमत नहीं मिलने व कांग्रेस पार्टी के 28 विधायकों के जनता व चुनाव आयोग का दोबारा चुनाव कराने के शौक के कारण भाजपा की सरकार बन गई और कांग्रेस बनी बनाई सरकार बचा नहीं पाई थी लेकिन अब वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी इस उद्देश्य के साथ कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को मेहनत करने के लिये मतदान केंद्रों पर लगा दिया है।
                भाजपा कांग्रेस पूजीपतियों के आगे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी या गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनैतिक ईकाई कैसे मुकाबल कर पायेगी यह विचारणीय है। 

10 रूपये और 1 किलो चावल के सहयोग ने बना दिया था 3 विधायक और कईयों को पहुंचाया दूसरे नंबर तक 

वर्ष 2003 में गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की आंधी और तुफान तेज था, गोंडवाना आंदोलन के कार्यकर्ताओं का जोश व जुनन इतना अधिक था कि 1 किलो चावल और 10 रूपये के सहयोग से मध्यप्रदेश में 3 विधायकों को चुनकर विधानसभा के सदन तक पहुंचा दिया था इसके साथ ही कई विधानसभा क्षेत्र में गोंगपा दूसरे स्थान पर पहुंची थी।
                गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन का 10 रूपये और एक किलो चावल के प्रयोग से मिले परिणाम को देखकर राजनैतिक बुद्धिजीवियों को भी आश्चर्य हुआ था। वर्ष 2003 में जिस तरह से गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनैतिक ईकाई ने एकता के साथ में चुनावी मैदान में अपनी ताकत दिखाई थी वह वर्ष 2008 के चुनाव के बाद निरंतर टुकड़ों में बँटकर विभाजित होकर कार्य करने लगी। जिसके कारण वर्ष 2008 के बाद गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनीतिक ईकाई को सफलता नहीं मिल पाई है। 

अनेक टुकड़े हो चुके है, कई भागों के विभाजित हो चुके है इसके पीछे मुख्य कारण स्वार्थ है 

वर्ष 2003 के बाद अब 2023 में गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनीतिक ईकाईयों के अनेक टुकड़े हो चुके है, कई भागों के विभाजित हो चुके है इसके पीछे मुख्य कारण स्वार्थ है।
                आदिवासी समाज के विकास, उत्थान, कल्याण की बात करते हुये आदिवासियों सहित किसान, मजदूरों, निर्धन व आम जनता के संवैधानिक अधिकारों को दिये जाने की बात करने वाले ही अनेको टुकड़ों में बंटे हुये तो वे कैसे विधानसभा के सदन तक पहुंचेंगे और कैसे सरकार बनायेंगे यह वास्तविक व यथार्थ सवाल है जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
            गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन को विभाजित कर टुकड़ों में बांटकर राजनीति करने वाले प्रमुख नेतृतवकर्ता सभी बुद्धिजीवि है और संवैधानिक जानकारी रखते है। वहीं अनेक संगठनों में बँटकर समाज का हित करने की बात करना का सच साबित हो सकता है इस पर संदेह बरकरार है। 


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