छिंदवाड़ा में कमल नाथ मुर्दाबाद के लगे नारे, पुतला भी जलाया, लोकसभा सीट आदिवासी आरक्षित करने की उठी मांग
कमल नाथ ने गोंड समाज को लेकर दिया था बयान, बलिदान दिवस पर सामाजिक आन-बान-शान हेतु आदिवासी समाज ने जताया आक्रोश
छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय।
गोंड समाज व गोंडवाना को लेकर दिये गये बयान के बाद लगातार मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ को अपने गृह जिले में ही आदिवासी समाज का आक्रोश व विरोध झेलना पड़ रहा है।
वहीं 24 जून को पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जहां मण्डला में वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे वहीं उनके अपने ही गृह जिले में 24 जून रानी दुर्गावती शहादत दिवस के दिन छिंदवाड़ा मुख्यालय में कमल नाथ मुर्दाबाद के नारे लगे रहे थे और बंगाली बाबा वापस जाओं के नारों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का पुतला दहन भी किया गया।
हम आपको बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के द्वारा बीते दिनों छिंदवाड़ा में गोंड समाज व गोंडवाना को लेकर टिप्पणी की गई थी जिसको लेकर गोंडियन सगा समाज के कुछ सामाजिक संगठनों व राजनैतिक दलों के कुछ पदाधिकारियों के द्वारा कमल नाथ के बयान के बाद ही विरोध दर्ज कराया गया था।
वहीं धीरे-धीरे आदिवासी समाज के द्वारा किये जा रहे बढ़ते विरोध व आक्रोश 24 जून को जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा में आदिवासी समाज के युवक-युवतियों के द्वारा कमल नाथ के विरोध में लगा रहे नारों में स्पष्ट दिखाई दिया।
यहां तक कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई जहां पर कमल नाथ विगत 40 वर्षों से एकछत्र राज करते आ रहे है। अब उनके पुत्र नकुल नाथ सांसद बन गये है जो राज पाठ को आगे संभाल रहे है।
छिंदवाड़ा में 38 प्रतिशत आदिवासी इसलिये लोकसभा एसटी के लिये आरक्षित की जाये
जिसमें प्रमुख मांग छिंदवाड़ा जिले की लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित की जाने की मांग की गई। छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी समाज की बाहुल्यता है इसलिए छिंदवाड़ा लोकसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित होना चाहिए क्योंकि वर्तमान में बैतूल लोकसभा सीट जहां आदिवासी की संख्या 34% होने के बावजूद उसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है जबकि छिंदवाड़ा में 38% आदिवासी वर्ग निवास करता है।
इसके बाद भी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। इससे आदिवासियों का हक मारा जा रहा है, इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट को आदिवासी समाज के लिए आरक्षित किया जावे।
विभिन्न परियोजना से आदिवासी समाज होंगे प्रभावित
वहीं कन्हान नदी पर सिंचाई कांप्लेक्स परियोजना के तहत संगम बांध एक एवं संगम बांध दो, जाम घाट बांध, पलाश पानी बांध, रामगढ़ बैराज एवं जो भी नये बैराज प्रस्तावित है। इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले अनेकों गांव में निवास करने वाले आदिवासी परिवार निवासरत है उनकी पुश्तैनी जमीन का अधिग्रहण किया जा कर इन्हें बेघर किया जाएगा जिससे कई आदिवासी परिवार अपनी अस्मिता एवं पहचान खो देंगे इसलिए उक्त परियोजना पर तत्काल रोक लगाई जाए।
वन भूमि का पट्टा का प्रदान किया जावे
ऐसी भूमि जिन पर सैकड़ों वर्षों से खेती किसानी कर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे है उसमें आदिवासी वर्ग विशेषकर हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव, बिछुआ एवं अन्य विकासखंड अमरवाड़ा, पांढुर्णा परासिया और आदि ग्रामों के सैकड़ों आदिवासी वर्षों से वन भूमि के पट्टे के लिए विभागों के चक्कर काट रहे हैं परंतु आज दिनांक तक उन्हें पट्टा नहीं दिया जा रहा है। अत: इन क्षेत्रों के ग्रामों के आदिवासियों को प्राथमिकता के आधार पर वन भूमि का पट्टा दिया जाए।
मेडिकल कॉलेज का नाम बादल भोई के नाम पर किया जाये
छिंदवाड़ा शहर के अंदर का बाहर दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से आने वाले आदिवासी छात्र, छात्राएं, महिला एवं पुरुषों के लिए विश्राम गृह का एवं कोचिंग सेंटर खोलने हेतु भूमि आबंटित किया जाये। जिला छिंदवाड़ा में संचालित नवनिर्मित मेडिकल कॉलेज का नाम आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भाई के नाम से किया जाए।
ऐसी अन्य मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय में महामहिम राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि हमारी मांगों पर शीघ्र अति शीघ्र कार्यवाही नहीं होने पर सर्व आदिवासी समाज द्वारा जनहित में धरना, प्रदर्शन एवं उग्र आंदोलन किया जाएगा। जिसकी समस्त जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।