प्रोफेसर बी.एल. इनवाती को डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त
स्नेही और शुभचिंतकों ने दी बधाई शुभकामनायें
सिवनी। गोंडवाना समय।
सिवनी जिले के शासकीय महाविद्यालय बरघाट में पदस्थ श्री बसोरी लाल इनवाती सहायक प्राध्यापक हिन्दी को विश्वविद्यालय शिक्षा में प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रायोगिक स्वरूप का सर्वेक्षण (जबलपुर संभाग के विशेष संदर्भ में) शोध विषय पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई है।
इन्होंने मार्गदर्शन के साथ हमेशा उत्साह संवर्धन किया
प्रोफेसर श्री बी एल इनवाती ने बताया कि उनको इस उपाधि को प्राप्त करने में निर्देशक डॉ कैरोलिन सैनी का सानिध्य, कुशल मार्गदर्शन, प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ धीरेंद्र पाठक का आशीर्वाद व सभी स्टाफ का इसमें महत्वपूर्ण सहयोग रहा। इसी कड़ी में डॉक्टर लक्ष्मीकांत चंदेला ने हमेशा उत्साह संवर्धन किया।
महाविद्यलयीन स्टाफ, साथियों व परिवार का मिला साथ
प्रोफेसर सत्येंद्र शेंडे, डॉक्टर राजेश ठाकुर और महाविद्यालयीन स्टाफ तथा सभी साथियों का सतत साथ एवं सहयोग प्राप्त हुआ है। मेरी धर्मपत्नी श्रीमती आभा इनवाती, बच्चे व परिवार का हर वक्त कदम-कदम पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग बना रहा है। प्रोफेसर इनवाती की इस सफलता पर सभी स्नेहीजन और शुभचिंतकों ने बधाई प्रेषित कर, उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दिया है।
गृह ग्राम कुरनभटा धनौरा में खुशी का माहौल व्याप्त, सभी ने दी बधाई शुभकामनाएं
वहीं हम आपको बता दे कि संघर्षपूर्ण शैक्षणिक अध्यापन कार्य में निरंतर प्रयास करते हुये सहायक प्राध्यापक श्री बी एल इनवाती शिक्षण कार्य क्षेत्र में वर्ष 2003 से निरंतर पुरस्कृत होते रहे है। वहीं वर्ष 2008 में वे राज्य स्तरीय आचार्य सम्मान से भी सम्मानित हुये है।
सहायक प्रोफेसर श्री बी एल इनवाती डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद जब अपने गृह ग्राम पहुंचे तो परिवारजन, रिश्तेदार सहित ग्रामीणजन अत्याधिक प्रसन्नचित हुये और सभी ने बधाई देते हुये उन्हें शुभकामनाये प्रेषित किया है। बधाई देने वालो में प्रमुख रूप से श्री भोपत सिंह इनवाती, प्रेम सिंह इनवाती, सोन सिंह उईके, श्रीमती मीरा बाई, केशव, कमलेश, प्रताप सिंह सहित अन्य ग्रामीणजन मौजूद रहे।
प्राथमिक शाला के संग कुरनभटा के रंग फिल्म भी बनाया
सहायक प्राध्यापक श्री बी एल इनवाती द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में प्रगति करने के लिये निरंतर कार्य किया जाता रहा है। उनके द्वारा प्राथमिक शाला के संग कुरनभटा के रंग फिल्म भी बनाया गया था और गांव में शिक्षा की लहर पत्रिका का प्रकाशन भी किया गया है।