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यह कृत्य शिवराज सरकार की आदिवासियों के प्रति नफरत, ईर्ष्या, अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है

यह कृत्य शिवराज सरकार की आदिवासियों के प्रति नफरत, ईर्ष्या, अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है

विक्रम अछालिया के निलंबन के बाद आदिवासी समाज और जयस के कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर आक्रोशित है

कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, विवेक तंखा, हंसराज मीणा, विक्रांत भूरिया, अर्जुन महर, भंवरलाल परमार सहित वरिष्ठों ने किया ट्वीट 


भोपाल। गोंडवाना समय। 

भाजपा व आरएसएस की बैठकों में जयस को लेकर चर्चा जरूर होने लगी है। विशेषकर मालवाअंचल क्षेत्र में जयस ने जमीनी स्तर पर संवैधानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व समस्त क्षेत्रों में जागरूकता के लिये धरातल पर पहुंचकर सक्रियता के साथ कार्य करते हुये आगे बढ़ रहा है। जयस का आगे बढ़ना और सक्रिय रहना भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस को सहन नहीं हो रहा है।
             


जयस विशेषकर आदिवासी समुदाय के लिये सक्रिय रहकर संघर्ष कर रही है। जयस की जमीनी हकीकत से कांग्रेस तो हैरान है ही लेकिन भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस सबसे ज्यादा परेशान है। भाजपा और आरएसएस की परेशानी और सिरदर्द बनी जयस को लेकर भाजपाईयों व आरएसएस की बैठकों में होने वाली चर्चाओं से ही समझ आ रहा है। 

निलंबन से लेकर बर्खास्त तक करने की हो रही कार्यवाही 


जयस पर सबसे ज्यादा आरोप प्रत्यारोप भाजपा और आरएसएस की बैठकों के दौरान एवं वक्तव्यों के दौरान उनके पदाधिकारी व नेता ही लगाने का कार्य कर रहे है। यहां तक कि नक्सलवाद से लेकर विदेशी फंडिंग तक के आरोप जयस पर भाजपाईयों के द्वारा लगाये गये है।
                भाजपा नेता व आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ साथ कुछ अफसरों को भी मध्यप्रदेश में सत्तासीनों के द्वारा जयस को दबाने के लिये लगाया गया है। जयस के पदाधिकारियों को कानूनी दावंपेच में फंसाया जाकर जेल की सलाखों तक सफर तय करना पड़ रहा है।
                 जिला बदर जैसी कार्यवाही भी हो रही है। जयस सामाजिक संगठन में कार्य करने वाले शासकीय अधिकारी कर्मचारी को निलंबन से लेकर बर्खास्त तक करने की कार्यवाही की जा रही है। जयस आदिवासी समुदाय के साथ साथ प्रत्येक वर्ग के पीड़ित शोषितों की आवाज उठाने के साथ साथ उनके संवैधानिक अधिकारों को दिलाने के लिये संघर्ष करने वाला सामाजिक संगठन है। बीते 10 वर्षों में जयस ने पीली क्रांति के माध्यम से अपनी अलग पहचान मध्यप्रदेश में बनाया है। 

शाम की गणना में नहीं पहुँचे तो कर दिया निलंबित


मध्यप्रदेश की राजनैतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) सोशल मीडिया पर आक्रोशित नजर आ रहा है। जयस स्थापना दिवस कार्यक्रम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में होने के बाद कई घटनाएं ऐसी हुई की पक्ष और विपक्ष दोनों में जयस को लेकर तीखी बहस चल रहीं है।                     ये पूरा मामला यहां से शुरू हुआ कि जयस संस्थापक विक्रम अछालिया जो की 26 वाहिनी विषेश सहस्त्र बल गुना (कार्यालय) की डी कंपनी कैंप वन विभाग मुरैना में पदस्थ प्रधान आरक्षक है। उन्हे 16 मई 2023 (जयस स्थापना दिवस पर) को तत्काल प्रभाव से केवल इसलिये निलंबित कर दिया गया क्योंकि वो शाम की गणना में नहीं पहुँच सके थे।
                    जयस के संस्थापक विक्रम अछालिया के निलंबन के बाद आदिवासी समाज और जयस के कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर आक्रोशित है। आदिवासी युवा सरकार से तीखे सीधे सवाल पूछ रहें है, आदिवासी युवाओं के आदर्श को मानसिकता से प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहें है।  

21 मई को ट्वीटर पर #जोहार_विक्रम_अछालिया ट्रैंड किया जा रहा है


21 मई को जयस के संस्थापक विक्रम अछालिया के सम्मान में जयस कार्यकर्ता और देश के सामाजिक कार्यकतार्ओं द्वारा ट्वीटर पर #जोहार_विक्रम_अछालिया ट्रैंड किया जा रहा है। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा, अजय कनोजे, चंदू सोलंकी, मायाराम अवाया, संजय सोलंकी समेत जयस कार्यकतार्ओं के आव्हान पर 21 मई को ट्वीटर पर #जोहार _विक्रम _अछालिया ट्रैंड किया जा रहा है।

जयस कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्ष के नेताओं ने ट्रैंड के समर्थन में ट्वीट किया है 


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह,

सुप्रीम कोर्ट के सिनियर एडव्हाकेट विवेक तंखा, ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हंसराज मीणा,

प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया,

आदिवासी कार्यकर्ता दिल्ली के अर्जुन महर,

राजस्थान के भंवरलाल परमार,  डॉ आनंद राय आदि बड़े लोगो ने सरकार को जयस  संस्थापक विक्रम अछालिया के निलंबन पर जमकर घेरा है। कहा है कि मात्र गणना में अनुपस्थित रहने से निलंबन न्याय संगत नहीं, यह कृत्य शिवराज सरकार की आदिवासियों के प्रति नफरत, ईर्ष्या, अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दशार्ता है, तत्काल बहाल की मांग की गई है। देशभर के जयस कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्ष के नेताओं ने ट्रैंड के समर्थन में ट्वीट किया है। 

विक्रम अछालिया का निलंबन वापस करें और आदिवासी समाज से खेद व्यक्त करें-कमल नाथ 


मुरैना में पदस्थ आदिवासी प्रधान आरक्षक विक्रम अछालिया को केवल इसलिये निलंबित कर दिया गया क्योंकि वो शाम की गणना में नहीं पहुँच सके। यह कृत्य शिवराज सरकार की आदिवासियों के प्रति नफरत, ईर्ष्या, अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दशार्ता है। शिवराज जी, आपसे आग्रह है कि तत्काल इस द्वेष पूर्ण कार्यवाही पर रोक लगाते हुये प्रधान आरक्षक विक्रम अछालिया का निलंबन वापस करें और आदिवासी समाज से खेद व्यक्त करें।

जयस संस्थापक को तत्काल बहाल करे, अन्यथा हम आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे 


वहीं इंजी. लोकेश मुजाल्दा जयस राष्ट्रिय अध्यक्ष ने अपने ट्वीट में लिखा है कि आदिवासी युवाओं की आवाज, संस्कृति संरक्षक और प्रकृति पूजक लोगो को दबाया नहीं जा सकता है। ना खरीदा जा सकता है, ना झुकाया जा सकता है। सरकार हमारे जयस संस्थापक को तत्काल बहाल करे, अन्यथा हम आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे।

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