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हमारे देश में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी को समानता और न्याय का प्रतीक माना जाता है-रंजीत वासनिक

 हमारे देश में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी को समानता और न्याय का प्रतीक माना जाता है-रंजीत वासनिक 

जय भीम, जय सेवा, जय संविधान के नारों से गूंज उठा कलारबांकी ग्राम  

बाबासाहेब के जीवन पर आधारित हुये जयंति कार्यक्रम 

कलारबाकी में धूमधाम से मनाई गई डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती 

कलारबाकी/सिवनी । गोंडवाना समय।

कलारबाकी में गोंडवाना समग्र विकास क्रांति आंदोलन ब्लॉक इकाई सिवनी के तत्वाधान में दिनांक 19 अप्रैल 2023 को संविधान के शिल्पकार, भारत रत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गई। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
             


सर्वप्रथम ग्राम में ढोल-बाजे डीजे की धुन पर थिरकते हुए हजारों लोगों ने रैली निकालकर ग्राम का भ्रमण किया और बाबा साहेब के जय भीम, जय सेवा, जय संविधान के नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

रैली का समापन बस स्टैंड कलारबाकी में हुआ, जहां सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था। जिसमें छिंदवाड़ा जिले की मधुर आवाज गोंडी गीत गायक लक्ष्मी शाह नवरेती एवं क्षेत्रीय डांस ग्रुप की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। गीत एवं डांस बाबासाहेब के जीवन पर आधारित कार्यक्रम हुए।

अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने तथा न्याय पूर्ण समाज की स्थापना का संदेश दिया है- राधेश्याम ककोड़िया


कार्यक्रम में गोंगपा के प्रदेश प्रवक्ता तिरु राधेश्याम काकोड़िया ने डॉ भीमराव आंबेडकर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा साहब ने अपने जीवन मे बहुत संघर्ष किया हैं।
            डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को दलितों का मसीहा कहना गलत होगा, असल में उन्होंने संपूर्ण मानवता को वैज्ञानिक सोच अपनाने रूढ़ियों से मुक्त होने, अन्याय व अत्याचार खत्म करने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने तथा न्याय पूर्ण समाज की स्थापना का संदेश दिया है। 

कोई भी राष्ट्र तब तक मजबूत नहीं हो सकता जब तक कि वह सामाजिक रूप से एक ना हो-प्रीतम सिंह उइके 


गोंगपा के प्रदेश प्रचार मंत्री तिरु प्रीतम सिंह उइके ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोई भी राष्ट्र तब तक मजबूत नहीं हो सकता जब तक कि वह सामाजिक रूप से एक ना हो। आज हम देख रहे हैं कि हमारे देश में लोग जाति और धर्म में बटे हुए हैं और आपस में झगड़ा कर रहे हैं।
                    सभी लोग एक दूसरे को श्रेष्ठ बताने के चक्कर में सामाजिक रुप से हम, एक नहीं हो पा रहे हैं। पहले कोई जात- पात नहीं थी, लोग एक साथ रहते उठते-बैठते थे लेकिन बाहरी लोगों ने आकर हमें जात-पात, धर्म-संस्कृति में बांट कर रख दिया है। पीतम सिंह उइके ने दादा हीरा सिंह मरकाम जी को याद करते हुए कहा कि दादा ने एक मजबूत संगठन खड़ा करके हम लोगों के बीच में दिए हैं। इस संगठन में जुड़िए, इसमें ना कोई भेदभाव है, ना जात-पात है, ना छुआछूत है, और ना उच-नीच है।

अंबेडकर जी के सपनों को साकार करने के लिए शिक्षित होना जरूरी है-रंजीत वासनिक 


कार्यक्रम में उपस्थित बरघाट नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रंजीत वासनिक ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के सपनों को साकार करने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। हमारे देश में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी को समानता और न्याय का प्रतीक माना जाता है।
                वह एक महान सामाजिक कार्यकर्ता थे, सभी भारतीयों में समानता लाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। उनका कहना था कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। समय आने पर भूखे रहो लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ। डॉक्टर बाबा साहब ने अपना पूरा जीवन अछूतों, महिलाओं और मजदूरों की भलाई के लिए न्यौछावर कर दिया।
             उन्होंने एक बार कहा था कि शिक्षा वह बाघिन का दूध है जो पिएगा वह बाघ की तरह जरूर गुर्राएगा। उन्होंने कहा था हमें शिक्षा के प्रसार को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना कि हम राजनीतिक आंदोलन को महत्व देते हैं, क्योंकि समाज का उत्थान, उस समाज में शिक्षा की प्रगति पर निर्भर करता है। 

समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा का समान अधिकार है-रावेन शाह उइके 


वक्ताओं की अगली कड़ी में गोंगपा के जिला प्रवक्ता रावेन शाह उइके ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान सरकार भारतीय स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। ऐसे में बहुआयामी डॉ बाबासाहेब के विचारों को गंभीरता से समझना एक राष्ट्र निर्माण के रूप में उनकी भूमिका और किए गए कार्यों समाजिक होने वाले कार्यों को मजबूत करने के साथ ही न्याय संगत समाज और सशक्त राष्ट्र बनाने में उनके योगदान का जिक्र अनिवार्य हो जाता है।
                बाबा साहेब का सपना था कि भारत जाति मुक्त हो, उनका मानना था कि वर्ग हीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जाति विहीन करना जरूरी है। आज महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए हमारे पास जो भी संवैधानिक सुरक्षा कवच, कानूनी प्रावधान और संस्थागत उपाय मौजूद हैं उनका श्रेय बाबासाहेब को जाता है। उनका मानना था कि भारतीय महिलाओं के पिछड़ेपन की मूल वजह भेदभाव पूर्ण समाज व्यवस्था और शिक्षा का अभाव है। शिक्षा पर किसी वर्ग का अधिकार नहीं है बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा का समान अधिकार है।

पिंकी भरत इनवाती को कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए संविधान की पुस्तक की भेंट


कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बाबासाहेब के जीवन पर प्रकाश डाला गया। वही कान्हीवाड़ा ग्राम समिति के सरपंच के द्वारा ग्राम पंचायत कलारबांकी श्रीमती पिंकी भरत इनवाती को कार्यक्रम के सफल संचालन के उपरांत संविधान की पुस्तक भेंट दी गई। कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य डॉ मेर सिंह परते जिला सचिव के द्वारा किया गया।

मुख्य रूप से इनकी उपस्थिति रही 


कार्यक्रम में मुख्य रूप से चेतलाल भगदीया प्रदेश उपाध्यक्ष, गया प्रसाद कुमरे जिला अध्यक्ष गोंगपा सिवनी, ईश्वर दयाल वरकड़े जिला सलाहकार, लालचंद धुर्वे जिला उपाध्यक्ष, रावेन शाह उइके जिला प्रवक्ता गोंगपा, कृष्ण कुमार धुर्वे ब्लॉक अध्यक्ष सिवनी, देवी सिंह अरवे, महेश मर्सकोले जिला विधि सलाहकार, डॉ मानक सिंह कुशराम, बबलेश ठाकुर जनपद सदस्य, तौफीक खान जनपद सदस्य, जीएन कुंजाम, नीलेश मर्सकोले जनपद सदस्य, श्रीमती पिंकी भरत इनवाती सरपंच ग्राम पंचायत कलारबांकी, पवन धुर्वे, शकत धुर्वे ब्लॉक अध्यक्ष छपारा, जोगी सरेआम ब्लॉक अध्यक्ष केवलारी, रामनाथ राय, डॉ सुनील राय, विवेक राय, ओमप्रकाश मरावी, सियाराम भलावी, रेशमी वरकड़े, ओमकार उइके, रंजीत राय, सुखराम वरकडे, राजा, दिनेश पुषाम, उइके संदीप, बलधारी धुर्वे सेक्टर अध्यक्ष कलारबाकी, लक्ष्मण उइके, हियाराम उइके, तामसिंह उइके, मानसिंह उइके सरपंच, आनंद कुरवेति, धर्मेंद्र इरपाची, सुमत धुर्वे, रामकुमार, राजेन्द्र धुर्वे एवं गोंगपा ब्लाक इकाई सिवनी के समस्त जेस्ट श्रेष्ठ कार्यकतार्ओं की सराहनीय उपस्थिित रही।

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