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आत्मरक्षा संबंधी कुछ सेल्फ डिफेंस सीखना आज के परिवेश में जरुरी होता जा रहा है

आत्मरक्षा संबंधी कुछ सेल्फ डिफेंस सीखना आज के परिवेश में जरुरी होता जा रहा है

महिला सशक्तिकरण : एक नयी भोर, वास्तविकता, चुनौतियां एवं अनिवार्य पहलू




आपके विचार, दैनिक गोंडवाना समय अखबार
लेखिका-एडवोकेट अदिती तिवारी
जबलपुर हाईकोर्ट

हमारी वास्तविक भारतीय संस्कृति में नारी को सम्मान प्रदान किया जाता था। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: यत्रैतास्तु ना पूज्यन्ते, सर्वस्त्राफला क्रिया।
            


सामान्य शब्दों में उपरोक्त श्लोक नारी के सम्मान, महत्त्व, गरिमा को बताते हुए कह रहा है कि जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता या ईश्वरीय शक्तियों का वास हो ता है। और जहाँ ऐसा नही होता, वहाँ कोई कार्य सफल नहीं होता। जो कि जीवन से जुड़ी समस्याओं के होने का भी परिचायक है।

स्थितियों को ठीक करने में योगदान दिया

धीरे धीरे बाहरी आक्रमण, गुलामी, कुरीतियों का बढ़ना, सामजिक, रजनीतिक एवं अन्य परिद्रश्य संबंधी परिवर्तनों की वजह से स्त्री की स्थिति दिन प्रति दिन दयनीय एवं चुनौती पूर्ण होती गई। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती जैसी कई नारियों ने क्रांति में सहयोग कर मिसाल तो बनायी, किंतु इनका प्रतिशत एवं इन्हें मिला सहयोग सामजिक वास्तविक पटल पर नगण्य था।
                कई पुरूउत्थान आंदोलन जैसे राजा राम मोहन राय का सति प्रथा उन्मूलन, विधिक कानून जैसे सम्पति में अधिकार संबंधी कानून, भ्रूण हत्या उन्मूलन संबंधी कानून जैसे लिंग जांच से जुड़े कानून, महिलाओं की शिक्षा संबंधी मौलिक अधिकार, समानता का अधिकार आदि ने काफी हद तक, स्थितियों को ठीक करने में योग दान दिया।

सतत कार्य करने तथा जागरूक होने की आवश्यकता है

लेकिन फिर भी काफी सतत सोच के स्तर पर परिवर्तन, लोगों के सतत प्रयास, महिलाओं के सबल इरादों और हर क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी से, विभिन्न स्तरों पर हुए प्रयासों से हम आज वहाँ है जहाँ वर्तमान में नारी की स्थिति सुधरती दिख रही है किन्तु स्थिति अभी भी बेहद संतोषजनक नही है। कई पहलुओं पर सतत कार्य करने तथा जागरूक होने की आवश्यकता है।
                आज की नारी की वास्तविक स्थिति और चुनौतियां, सोच संबंधी समस्या अभी भी बेटे और बेटी को लेकर सोच के दायरे पूरी तरह से सुधरे नहीं है। भ्रूण हत्या के मामलो का अभी भी होना। महिलाओं की संख्या में पुरुषों की तुलना में कमी, सुरक्षा की द्रष्टि से होने वाली समस्या, दहेज प्रथा का अभी भी व्यापक स्तर पर विभिन्न जाति वर्ग संप्रदाय में चलन।

अपने समूह का चुनाव सजगता से करें

समाधान क्या करें महिलाऐं जागरूक बने छोटी-छोटी बातों ख्याल रखना। अपने फोन को हमेशा चार्ज में रखना। जिस जगह से आना-जाना अधिक हो वही के संबंधित पुलिस चौकी, हॉस्पिटल, महिला पुलिस थाना आदि का नंबर का पता रखना। अजनबियों से ना उलझे।
            घर पर या अभिभावक को अपनी लोकेशन और स्मार्टफोन के अभाव में वस्तुस्थिति सूचित करते रहे। अपने समूह का चुनाव सजगता से करें, तथा संभवत: रास्ते मे अकेले से बेहतर है, समूह या किसी मित्र का साथ, परिस्थितियों अनुसार अवश्य करें।

संबंधित कानूनों को जाने एवं अपने हित में उनका प्रयोग करना सीखें

कुछ भी अनुकूल ना लगने पर चाहे वह पाठशाला हो, कॉलेज हो, कार्यस्थल हो, सजग कदम उठाएं। परिवार वाले भी लड़कियों और महिलाओं का साथ दें, ना कि उन्हे इन चुनौतियों से मुक्ति पाने घर में काम छोड़ बैठने को विवश करें। संबंधित कानूनों को जाने एवं अपने हित में उनका प्रयोग करना सीखें। आत्मरक्षा संबंधी कुछ सेल्फ डिफेंस सीखना भी आज के परिवेश में जरुरी होता जा रहा है।

महावारी संबंधी सही ज्ञान एवं झिझक को मिटाना

टेक्नोलॉजी से करें दोस्ती यह भी आपको सुरक्षित रखनें एवं सर्वांगीण अनिवर्य विकास में सहायक होता है। कामकाजी एवं होम मेकर महिलाओं और युवतियों संबंधी अन्य समस्या एवं निदान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में बेसिक स्वास्थ्य हाइजीन जैसे महावारी संबंधी सही ज्ञान एवं झिझक को मिटाना। तथा कुपोषण से बचने पौष्टिक खान पान जो की गाँव एवं शहर की सभी महिलाओं के लिए आवश्यक है।
                सरकारी योजनाओं की भी जानकारी लें तथा लाभान्वित हों। जागरूक रहें ही नहीं बल्कि इस विषय में जागरूकता फैलाएं भी। खुद को ना करें नजर अंदाज, स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक, शारीरिक स्वस्थ के मामलों में लापरवाही ना बरतें। आप अपनी जिमेदरियां तब बेहतर निभा सकते हैं, जब आप स्वस्थ होंगें।

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