चुनावी साल पर क्रिकेट आयोजन में विधायक सांसद तलाश रहे अपना भविष्य
चंदे की मोटी रकम देकर मुख्य अतिथि और विशिष्टि अतिथि बन रहे नेतागण
लक्ष्मण सिंह अहिरवार
छपारा। गोंडवाना समय।
चुनावी साल के समय खिलाड़ियों की चिंता करते हुये उन्हें आगे बढ़ाने का खेल जमकर चल रहा है। क्रिकेट, कब्बडी, फुटवाल जैसे अनेक टूनार्मेंट आयोजनों की प्रतियोगिताएं देखने को मिल रही है और इन दिनों सिवनी जिले भर में क्रिकेट टूनार्मेंट, कुश्ती, कबड्डी सहित अन्य खेल आयोजन हो रहे हैं।
जहां मौजूदा और पूर्व विधायक इन आयोजन में पहुंचकर मतदाताओं को लुभाने का भी पूरा प्रयास कर रहे हैं। एक तरफ खेल प्रतियोगिताएं चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ नेताओं का इसी बहाने अपना चुनाव प्रचार भी चल रहा है।
क्या हर तहसील में खिलाड़ियों को मिल पाएंगे स्टेडियम ?
खेलों को लेकर जिले में खेल मैदानों की क्या उपयोगिता है, अगर इस पर नजर दौड़ाई जाए तो कोई खास उपलब्धि जिले में नहीं है। हर विधानसभा की तहसील मुख्यालय में कोई स्टेडियम की सुविधा के लिये जनप्रतिनिधियों ने कोई सार्थक प्रयास नहीं किया है। खेलकूद प्रतियोगिता टूनार्मेंट के सहारे विधानसभा चुनाव का प्रचार प्रसार सभी दल के नेता जोरों शोरों से कर रहे हैं। इन सभी नेताओं से खिलाड़ियों को जरूर पूछना चाहिए कि क्या वह अपनी विधानसभा क्षेत्र के हर तहसील मुख्यालय में खिलाड़ियों को एक स्टेडियम दे पाएंगे।
टूनार्मेंट आयोजनों के बहाने सभी नेता अपना अपना चेहरा चमकाने लगे हुए हैं
यह सवाल उन सभी खिलाड़ियों के लिए है जो खेल मैदान के अभाव में अपनी प्रतिभा को नहीं निखार पाते है। वहीं चुनावी साल आते ही नेता मोटी रकम चंदे के रूप में देखकर क्रिकेट टूनार्मेंट आयोजनों में मुख्य अतिथि के रूप में नजर आते हैं लेकिन क्या यह खिलाड़ियों के लिए अपनी विधानसभा के हर तहसील मुख्यालय में स्टेडियम दे पाएंगे, यह सवाल उठ रहे है। फिलहाल चुनावी साल में टूनार्मेंट आयोजनों की होढ़ लगी हुई है और इन टूनार्मेंट आयोजनों के बहाने सभी नेता अपना अपना चेहरा चमकाने लगे हुए हैं।
रोजगार गारंटी में खेल मैदान निर्माण एजेंसी और ठेकेदारों ने कर लिये लाखों करोड़ों के खेल
जहां खिलाड़ियों के खेलने के लिये खेल मैदान भी नहीं हैं। वही जबकि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत जिले भर में करोड़ों रुपए खर्च कर ग्राम पंचायत में खेल मैदान बनाए गए हैं। यह खेल मैदान में लाखों का खेल निर्माण एजेंसी और ठेकेदारों ने मिलकर लाखों करोड़ों रूपये का खेल कर लिए है। यदि इन खेल मैदानों की जमीनी हकीकत देखी जाए तो आपको कहीं यह खेल मैदान नजर नहीं आएंगे, जो राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत ग्राम पंचायतों में बनाए गए हैं।
यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चुनावी साल में जमकर क्रिकेट टूनार्मेंट चल रहे हैं। चंदे की मोटी रकम देकर मुख्य अतिथि बनने वाले यह नेता क्या अपनी विधानसभा क्षेत्रों में हर तहसील स्तर पर खिलाड़ियों को स्टेडियम दे पाएंगे यह सवाल उठ रहे हैं। बीते सालों में कभी इन नेताओं ने खेल की तरफ देखा भी नहीं लेकिन अब क्रिकेट, कुश्ती, फुटवाल, कबड्डी सहित अन्य खेलों मे वोट परसेंटेज तलाश रहे हैं।