देश की प्रथम अनुसूचित जनजाति महिला शहीद सीआरपीएफ होने का गौरव अमर शहीद वीरांगना बीरबाला बिंदु कुमरे को प्राप्त हुआ
आतंकवादियों को यह संदेश देती गई की इस देश के युवक ही नहीं युवतियां भी अपने देश की रक्षा के लिए पूर्णत: तैयार व तत्पर
बीरवाला बिंदु कुमरे का नाम युवाओं विशेषकर महिलाओं व युवतियों में देश प्रेम की भावना की अलख जगाता है
जनजाति यौद्धा अमर शहीद वीरांगना बिन्दु कुमरे के बलिदान दिवस पर विशेष
हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.). भारत संघ का प्रमुख केन्द्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बल (अब केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) इनमें से एक है, जिसे 1939 क्राउन रिप्रजटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्कालीन रियासत में आंदोलनों व राजनीतिक अशांति तथा सामाजिक नीति के रूप में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में सहायता की।
हमारे देश की स्वतंत्रता के बाद 20 दिसम्बर 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया था। तत्कालीन गृहमंत्री मा. सरदार वल्लमभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप इस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की थी। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा शुरू किए गए हमलों के बाद इस बल को जम्मू कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया था।
बिन्दु कुमरे के बलिदान का स्मरण कर क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति का मस्तक गर्व से ऊंचा उठ जाता है
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की जाँबाज अमर शहीद बिन्दु कुमरे का नाम जिला सिवनी एवं उसके आसपास के जिलों के युवाओं विशेषकर महिलाओं एवं युवतियों में देश प्रेम की भावना की अलख जगाता है। अमर शहीद वीरबााला बिन्दु कुमरे के बलिदान का स्मरण कर क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति का मस्तक गर्व से ऊंचा उठ जाता है।
88 वीं वाहिनी केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में पदस्थ अमर शहीद बिन्दु कुमरे को जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों जैश-ए-मोहम्मद का सफाया करने हेतु उनका अदम्य साहस, वीरता, बहादुरी एवं कुशल योग्यता को दृष्टिगत रखते हुये तैनात किया गया था।
ग्राम जावरकाठी जो कि जनजाति बाहुल्य ग्राम है। इस ग्राम में गणेश उत्सव में गणेशजी व शारदीय नवरात्रि में दुर्गा देवी जी का प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करने की पुरानी परंपरा है। ग्राम जावरकाठी की रामायण मंडली प्रदेश में प्रसिद्ध रही है तथा वर्ष 1958 में भोपाल में इस ग्राम की रामायण मंडली को पुरुस्कार प्राप्त हुआ था।
अपने उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु बहुत ही जिद्दी थी उनमें राष्ट्रवाद का जुनुन था
देश की प्रथम जनजाति महिला अमर शहीद वीरांगना बीरबाला बिन्दु कुमरे का जन्म 07 अप्रैल 1970 को सिवनी जिला, बरघाट, मध्यप्रदेश के एक छोटे से ग्राम जावरकाठी बरघाट निवासी प्रतिष्ठित: मालगुजार अनुसूचित जनजाति परिवार में हुआ था।
माता श्रीमति गिदिया जी पिता स्व. श्री शिवनाथ जी (पटेल), दादी स्व. श्रीमति झिकिया जी, ताऊ स्वामी पन्नालाल जी, श्री धन्नालाल जी कुमरे (ग्राम पटेल), ताई स्व श्रीमति रूपा माय, स्व श्रीमति सुहागा माय, श्रीमति फूलवती मां, बड़े भाई बैजनाथ, रामेश्वर, मेन सिंग, श्याम सिंह, सुजान सिंह, स्व. बिहारीलाल, शरद सिंह, बड़ी बहन वैजन्ती, जसवन्ती,पदमा, शिवरी, किरण, मंजू, सुधा के स्नेह एवं वात्सल्य में इनका बचपन बीता।
इनकी प्राथमिक शिक्षा ग्राम-जावरकाठी माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा बरघाट में हुई कुछ वर्षों के लिए विद्या अध्ययन हेतु अपनी बड़ी बहन बैजन्ती लाल सिंह जी के साथ राजनादगांव में भी रही। बाल्यकाल से ही तैरना, निशानेबाजी, साईकिल एवं दो पहिया वाहन चलाने में रूची रखती थी। वे कुशाग्र बुद्धि की धनी थी व बहुत ही साहसी, देश प्रेमी, राष्ट्रभक्त, अपनी भारतीय परंपरा, संस्कृति, सभ्यता और धर्म का गर्व से कुशलतापूर्वक पालन करने वाली थी।
ग्राम जावरकाठी स्थित कुलदेवी के दर्शन करने के पश्चात ही अपना कार्य प्रारंभ करती थी। चैत्र नवरात्री एवं शारदीय नवरात्री में बाल्यकाल से व्रत रखती थी साथ ही बड़े देव की पूजा भी करती थी। वर्ष में दो बार नवा खाने के कार्यक्रम में विशेष रूप से भाग लेती थी।
भातरीय सभ्यता परंपरा संस्कृति पर गर्व करती थी। देश भक्ति के गीत गुनगुनाया करती थी। किसी भी विषम परिस्थितियों में अपने उद्देश्य से पीछे नहीं हटती थी। अपने उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु बहुत ही जिद्दी थी उनमें राष्ट्रवाद का जुनुन था।
अमर शहीद बिंदु कुमरे अपने कर्तव्यों के निभाने शहीद होने तक मोर्च पर डटी रही
हमारे देश में पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों के बदला लेने सेना में भर्ती होने का संकल्प बचपन से ही ले लिया था। इसलिये अवसर मिलते ही मिलिट्री फोर्स में भर्ती होने का अदम्य साहस दिखाया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में चयन के पश्चात अमर शहीद बिंदु कुमरे ने आजीवन अविवाहित रहकर देश की रक्षा करने का संकल्प लिया था।
वे चाहती तो ग्राम की अन्य बहन बेटियों की तरह शिक्षक बनकर सामान्य जीवन जीने के रास्ते का चुनाव कर सकती थी किंतु उनकी आत्मा में बसी राष्ट्रवाद, देशप्रेम की भावना में व हिंदु भाई-बहनों का पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किये जा रहे नरसंहार की घटनाओं ने उन्हें सीआरपीएफ में भर्ती होने का साहस एवं प्रेरणा दी।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कुछ पुरूषकर्मी हिम्मत सेना छोड़कर घर वापस आ गये थे लेकिन अमर शहीद बिंदु कुमरे अपने कर्तव्यों के निभाने शहीद होने तक मोर्च पर डटी रही। देश की प्रथम अनुसूचित जनजाति महिला शहीद सीआरपीएफ होने का गौरव अमर शहीद वीरांगना बीरबाला बिंदु कुमरे को प्राप्त हुआ है।
16 जनवरी 2001 को लश्कर ए तौयेबा के 6 फियादीन आतंकवादियों ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर हमला कर दिया था
बल संख्या 971351824 अमर शहीद बिंदु कुमरे वर्ष 1997 में रिजर्व पुलिस बल में सि/जीडी के पद पर भर्ती हुई थी। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 88 वी बटालियन में पदस्थ अमर शहीद बिंदु कुमरे की श्रीनगर एयरपोर्ट पर तैनाती के दौरान दिनांक 16 जनवरी 2001 को लश्कर ए तौयेबा के 6 फियादीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर अचानक हमला कर दिया था।
सभी 6 फियादीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादी भारतीय सेना की वर्दी में थे इसलिये उन्हें पहचानने में कुछ बिलंब हुआ एवं लगभग 10.45 बजे हवाई अड्डे के प्रथम प्रवेश मार्ग जो कि टर्मिनल बिल्डिंग से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है के पास पहुंचने में आतंकवादी सफल हो गये।
जहां अमर शहीद बिंदु कुमरे सहित वहां पर तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों को वहां पर रोका व तत्काल लश्कर ए तोयेबा के 6 आत्मघाती फियादीन पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों ने अमर शहीद बिंदु कुमरे सहित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के वहां पर तैनात जवानों पर ग्रेनेड से हमला किया।
अमर शहीद बिंदु कुमरे को 3 गोलियां लगी फिर भी अंतिम सांस तक आतंकवादियों से लड़ती रही
जब फियादीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों व अमर शहीद बिंदु कुमरे सहित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के बीच करीब 3 घंटे से भी अधिक समय तक मुठभेड़ चली। अमर शहीद बिंदु कुमरे ने अपने अदम्य साहस व वीरता के साथ देश हित में अपनी जान की परवाह किये बिना 6 फियादीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों से लोहा लिया जिसमें अमर शहीद बिंदु कुमरे को 3 गोलियां लगी फिर भी उन्होंने 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों पर अंतिम सांस रहने तक गोलिया चलाना बंद नहीं किया एवं खुंखार आतंकवादियों को वहीं ढेर कर दिया।
इस प्रकार हवाई अड्डे पर उपस्थित लोगों की सुरक्षा करने में सफल रही और देश की आन-बान-शान के लिए 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों के विरूद्ध वीरतापूर्वक लड़ते हुए खुशी-खुशी शहीद हो गई। इन फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों को यह संदेश देती गई की इस देश के युवक ही नहीं युवतियां भी अपने देश की रक्षा के लिए पूर्णत: तैयार व तत्पर है।
अमर शहीद बिन्दु कुमरे को वीरता के लिये वर्ष 2002 में पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया। अमर शहीद बिन्दु कुमरे के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम ही है तथा पैरा मिलिट्री फोर्स के अन्य जवानों देश व प्रदेश के युवक-युवतियों के लिए सदैव प्रेरणा स्त्रोत बनी रहेगी।
जनजाति समुदाय प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति व परम्परा का संवाहक रहा है
यूँ तो हमारा देश प्राचीन काल से सोने की चिड़िया रहा है, इसलिये सदैव विदेशी आक्रमणकारियों लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। आदिवासी जनजाति समुदायों ने हमेशा घोड़े, बंदूक, तोपों से सुसस्जित विदेशी आक्रमणकारियों एवं विदेशी शासकों की सेना का अपने परम्परागत शस्त्रों तीर-कमान, भाले व अपने अदम्य साहस से उनका मुकाबला कर भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्त्र बलिदान देते आये है तथा अपनी परम्परा, संस्कृति सभ्यता एवं धर्म पर आंच भी नही आने दिया तथा भारतीय सभ्यता, संस्कृति, परम्परा व धर्म को और समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जनजाति समुदाय प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति व परम्परा का संवाहक रहा है।
अनुसूचित जनजाति की महारानियों ने अतीत में भी दिया है बलिदान
विशाल गोडवाना साम्राज्य मण्डला की गोंड महारानी दुर्गावती जी ने भी विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारी अकबर की सेना से साहस और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपने सम्मान, स्वाभिमान व भारतीय परम्परा, सभ्यता, संस्कृति, धर्म की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई, उनके मृत शरीर को भी मुस्लिम आक्रमणकारी हाथ न लगा सके इसके लिये अंतिम समय में स्वयं कटार भौंककर खुद ही देश के लिए बलिदान हुई, व मृत शरीर को आग के सुपुर्द कराने का अनुरोध अपने सहयोगियों से किया।
गिन्नौरगढ़ भोपाल की गोड महारानी कमलापति जी ने भी विदेशी मुस्लिम सैनिकों से अपने शरीर को बचाने हेतु भोपाल के ताल में राज्य के सम्पूर्ण खजाने के साथ जल समाधि ले ली श्री. किन्तु अपनी परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म से समझौता नहीं किया। ऐसी सर्वोत्कृष्ट परम्परा का निर्वाह अनुसूचित जनजाति की महारानियों ने अतीत में भी किया है।
राष्ट्र की ध्वजा को हमारे देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गर्व से लहरा रहे है
वर्तमान में भी भारतीय संविधान में उपासना की स्वतंत्रता का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है। इसलिये इस देश के विविध धर्मावलंबियों द्वारा जहाँ एक ओर अपनी परम्परा सभ्यता संस्कृति व धर्म की आस्था का पालन करते हैं वहीं दूसरी और अन्य धर्मावलबियाँ, जातिय समुदायों की परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म का सम्मान भी करते हैं।
इसी गुण के कारण विशाल भारत देश संगठित, मजबूत, शिक्षित भारत, स्वस्थ्य भारत, विकसित भारत, स्वच्छ भारत, सुरक्षित भारत, अखण्ड भारत, विश्वगुरु भारत के रूप में विश्व के समक्ष अपने राष्ट्र की ध्वजा को हमारे देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गर्व से लहरा रहे है।
जनजातियों का धर्मातरण व शोषण प्रलोभन देकर जबरन न होने देवे तथा सर्वधर्म सद्भाव का परिचय दें
इसके बावजूद भी कुछ विकृत मानसिकता के असामाजिक तत्वों द्वारा अपने छदम नाम बताकर तथा धर्म को छिपाकर जनजाति समुदाय में व्याप्त अशिक्षा, गरीबी, उनकी सरलता व सहजता का दुरुपयोग कर डरा धमकाकर जबरन धर्मांतरण जैसे अशोभनीय व अवैधानिक कृत्यों में भी लिप्त है।
इन्ही कारणों से मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को लव जिहाद के विरुध्द भी कानून बनाने हेतु बाद्धय होना पड़ा। सभी धर्मावलंबियों व सामाजिक संगठनों का देश हित में यह दायित्व बनता है कि जनता में यह जागृति पैदा करें कि सभी अपने-अपने धर्म, संस्कृति व परम्परा की हद में रहे तथा अन्य जाति समुदाय, धर्मावलंबियों विशेषकर जनजातियों का धर्मातरण व शोषण प्रलोभन देकर जबरन न होने देवे तथा सर्वधर्म सद्भाव का परिचय दें।
16 जनवरी को जावरकाठी बरघाट में मनाया जाता है बलिदान दिवस
मेरा आदिवासी जनजाति समुदाय विशेषकर युवक-युवतियों से विनम्र अनुरोध है कि मंडला की गोंड महारानी दुर्गावती जी, गिन्नौरगढ़ भोपाल की गोंड महारानी कमलापति जी एवं अमर शहीद वीरांगना बिन्दु कुमरे जी के बलिदान से प्रेरणा व शिक्षा ग्रहण कर अपने समुदाय व भारत की परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म का पालन और संरक्षण करें।
प्रलोभन व जबरन धर्मांतरण से समाज की रक्षा करने हेतु आपसी मतभेद को भूलकर संगठित होकर सकारात्मक संवैधानिक पहल निरन्तर करते रहें तथा शैक्षणिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास की ओर अग्रसर रहे।
प्रतिवर्ष दिनांक 16 जनवरी को अमर शहीद बिन्दु कुमरे के बलिदान दिवस के दिन बरघाट, जिला सिवनी में उपस्थित होकर वीरांगना को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समाज के सभी वर्गी के विशेषकर जनजाति समुदाय के स्त्री-पुरुष, युवक-युवतियां, छात्र-छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित होकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उक्त लेख का स्त्रोत- के. रि.पु.बल से प्राप्त जानकारी, अमर शहीद के ग्रामवासियों से प्राप्त जानकारी, अमर शहीद के सहपाठियों व सहकर्मियों से प्राप्त जानकारी अनुसार है।