44 साल पहले दबंगों ने हड़पी थी आदिवासियों की जमीन अब वापस मिली
माननीय एसडीएम न्याायालय से मिली आदिवासी परिवार को राहत
बिछिया/मंडला। गोंडवाना समय।
बिछिया एसडीएम न्यायालय से एक आदिवासी परिवार की 2.71 हैक्टेयर जमीन को दबंग परिवार ने षडयंत्रपूर्वक राजस्व अभिलेखों में अपना नाम दर्ज करवा लिया था, जिन्हें माननीय एसडीएम न्यायालय से जमीन लगभग 44 वर्ष बाद वापस मिल गई है।
हम आपको बता दे कि सम्माननीय न्यायालय बिछिया अनुविभागीय राजस्व में आवेदक श्रीमती सुंदरिया बाई पति छन्नू लाल पुसाम, श्री फगिया बाई पुसाम, जीवन सिंह पुसाम, नवल सिंह पुसाम ग्राम देई तहसील बिछिया के द्वारा भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 (ख) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया था कि बिछिया रैयत में खसरा नं. 122/1 रकबा 2.71 हैक्टेयर भूमि वर्ष 1976 में छुटिया बाई और कला बाई के नाम दर्ज थी।
यह जमीन 8 जुलाई 1976 को सिरझ पिता छोटू पुसाम निवासी देई ने छुटिया बाई, कला बाई दोनो बेबा सद्दृ तेकाम पिता रामू गोंड से 12 हजार रूपए में खरीदी थी। वहीं इसके बाद वर्ष 1979 में सिरझू गोंड की जमीन क्रय करना बताकर राजस्व रिकॉर्ड में अंगूरी बाई पति छगनलाल अग्रवाल के नाम पर दर्ज हो गई। जिसके बाद सरयू पूसाम के वारसानों बड़ी बहू सुंदरिया बाई, फगिया बाई (बहू) जीवन सिंह (लडका) नवल सिंह (लड़का ) भान सिंह (पोता) ने अपनी जमीन का हक पाने के लिए भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 (ख) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया था।
इस मामले में तहत एसडीएम न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया था। इस मामले में मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 की उपधारा 6 के प्रावधानों के तहत जनजाति की जमीन क्रय करने संबंधी कोई वैध अनुमति और क्रय संबंधी दस्तावेज प्रभावशाली आदेश जारी किए है।
गैर अनुसूचित जनजाति वर्ग के ये है अनावेदकगण
हम आपको बता दे कि बिछिया रैयत में खसरा नं. 122/1 रकबा 2.71 हैक्टेयर भूमि पर वर्ष 1979 से अपना नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज करवाकर लाभ लेने वाले दबंग अनावेदकणों में अंगूरीबाई पति स्व छगनलाल अग्रवाल, सुरेश पिता छगनलाल अग्रवाल निवासी कॉम्पलेक्स नैपियर टाउन जबलपुर, राजेन्द्र पिता छगनलाल अग्रवाल निवासी रामलला मंदिर के पास नैपियर टाउन जबलपुर, संतोष पिता स्व छगनलाल अग्रवाल निवासी वार्ड क्रमांंक 3 बिछिया तहसील बिछिया जिला मण्डला के निवासी है जो कि गैर अनुसूचित जनजाति वर्ग में आते है लेकिन अनुसूचित जनजाति वर्ग की जमीन पर छलकपट व षडयंत्र के साथ अपना नाम दर्ज करवाकर भूमि का लाभ वर्षों से ले रहे थे जिसे अब लगभग 44 वर्ष बाद अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवार को वापस मिली है।
सिरझू गोंड से भूमि खरीदने के प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाये अनावेदकगण
वर्ष 1979 में उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के छलपूर्वक अनावेदक अंगूरी बाई पति छगनलाल अग्रवाल जाति बनिया के नाम पर दर्ज कर दी गई थी जो कि गैर अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला है। दबंग अनावेदक परिवार के द्वारा खसरा नंबर 122/1 2.71 हैक्टेयर में से मौके पर 70 बाई 50 का मकान बनाया जा रहा था एवं शेष में धान की फसल लगाई गई थी।
राजस्व अभिलेखों में दबंग अनावेदकों के द्वारा नाम चढ़वा लेने के कारण वह राजस्व से संबंधित कर का भुगतान और फसल नुकसानी का मुआवजा का लाभ भी लेते रहे। वहीं अनावेदक द्वारा अपने जवाब में दिनांक 28 मई 1979 को उक्त भूमि सिरझू पुसाम से क्रय का करने का लेख किया गया था परंतु अनावेदकों के द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य या दस्तावेज अनुमति आदि प्रस्तुत नहीं की गई जिससे प्रमाणित हो सके कि उक्त भूमि अनावेदकों के कब्जे में किसी विधि पूर्ण प्राधिकार के रही है।
जिससे स्पष्ट होता है कि अनावेदकगणों के द्वारा छलपूर्वक राजस्व अभिलेखों में अपना नाम दर्ज कराया गया है। अत: उक्त संव्यवहार अंतरण और राजस्व अभिलेखों में नाम की प्रविष्टी को शून्य घोषित करते हुये खारिज किया जाता है।
निर्माणाधीन मकान को हटाये जाने सहित आवेदकों को कब्जा देने का दिया आदेश
सम्माननीय एसडीएम न्यायालय ने ग्राम बिछिया रैयत स्थित भूमि खसरा नंबर 122/1 रकबा 2.711 हें में अनावेदक अंगुरीबाई पति छगनलाल अग्रवाल जाति बनिया का नाम विलोपित करते हुये सिरझू गोंड के वारसानों जीवन सिंह पिता सिरझू, नवल सिंह पिता सिरझू, फगिया बाई पति जन्नूलाल, सुंदरिया बाई पति छन्नूलाल, कुंवर सिंह पिता सिरझू, रनिया बाई पिता सिरझू, रनची बाई पिता सिरजू जाति गोंड का नाम दर्ज करने हेतु आदेशित किया है। इसके साथ उक्त भूमि पर निर्माणाधीन मकान को हटाये जाने हेतु आदेशित किया है। इसके साथ अनावेदकगणों को भी यह आदेशित किया है कि प्रश्नाभूमि का कब्जा आवेदकगणों को वापस करें।
सिवनी जिले मे कब्जा के आधार पर ही बिक गई आदिवासी की जमीन
आदिवासियों की जमीनों पर गैर आदिवासियों के द्वारा कब्जा करने सहित फर्जी व षडयंत्रपूर्वक क्रय करने आदि तरीके से अपने नाम पर दर्ज कराकर लाभ लेने वालों के प्रकरण अनेको है लेकिन इन शिकायतों पर कार्यवाही करने या जांच कर जनजाति वर्ग के पक्ष में निर्णय देने वालों की अत्याधिक कमी है इसी के कारण अधिकांश आदिवासी परिवार न्यायालय के चक्कर लगाते हुये नजर आते है।
सिवनी जिले में ही बण्डोल थाना अंतर्गत बीसावाड़ी में लगभग 26 एकड़ जमीन कब्जा के आधार पर ही गैर आदिवासी को विक्रय कर दी गई है वहीं गैर आदिवासी का नाम पर भी राजस्व विभाग में दर्ज कर दिया है। राजस्व विभाग और पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री होने के साथ साथ राजस्व विभाग में नाम दर्ज कराने का यह अनोखा मामला है इसकी शिकायत भी हुई परंतु गांधी छाप नोटों के कारण सिवनी जिले में आदिवासियों को अभी तक न्याय नहीं मिला। ऐसे मामलों में आदिवासी समाज के नाम पर सामाजिक संगठन चलाने वाले और न ही आदिवसियों के नाम पर राजनीति करने वाले भी ध्यान देते है और न ही संज्ञान लेते है।